अहिल्या उद्धार और सीता राम का विवाह प्रसंग सुन श्रोता हुए मंत्रमुग्ध

सेक्टर 82 स्थित निरंजनी अखाड़ा , ब्रम्हचारी कुटी में आयोजित श्री महालक्ष्मी यज्ञ एवं श्रीराम कथा के छठवें दिन यज्ञाचार्य पंडित महेश पाठक शास्त्री द्वारा महालक्ष्मी यज्ञ कराया गया।कथा व्यास अतुल प्रेम जी महाराज ने अहिल्या उद्धार का प्रसंग सुनाते हुए कहा कि रास्ते में एक निर्जन आश्रम दिखाई दिया जहां पर पत्थर की शिला देखकर भगवान राम ने पूछा तब विश्वामित्र जी बताया कि यह गौतम ऋषि की पत्नी अहिल्या हैं जो श्रापवश पत्थर की हो गयी है अगर आपकी चरण रज का स्पर्श हो जाये तो अहिल्या का उद्धार हो जाएगा। भगवान के चरण राज लगते ही अहिल्या प्रकट हो गईं और भगवान की प्रार्थना की और भगवान के परमधाम को प्राप्त हुईं। विश्वामित्र जी दोनों भाइयों के साथ पवन गंगा तट पर पहुंचते है। जब जनकपुर के निकट पहुंचते हैं तो राजा जनक उनका सत्कार करते हैं। राम लक्ष्मण गुरु की आज्ञा लेकर जनकपुर देखने जाते हैं जहां पर उनको देखकर सभी मोहित हो जाते हैं। पुष्पवाटिका में राम और सीता की भेंट होती । सीता जी राम को अपने पति के रूप में प्राप्त करने के लिए मां गौरी से वरदान मांगती हैं। धनुष यज्ञ में देश देशांतर के राजा आते हैं जो कि शिव धनुष को तोड़ना तो दूर की बात हिला तक नहीं पाते है। भगवान राम गुरु को प्रणाम कर शिव धनुष को तोड़ देते है। सीता जी राम जी के गले में जयमाला डाल देती हैं और पूरे जनकपुर में खुशियां मनाई जाती हैं। इस अवसर पर महंत ओम भारती जी, संयोजक एवं मुख्य यजमान राघवेंद्र दुबे, देवेंद्र गुप्ता, शिवव्रत तिवारी, सुशील पाल, संजय शुक्ला, रवि राघव, संजय पांडे, मुकेश रावत, पंडित संजय शर्मा, सुभाष शर्मा, हरि जी, पंकज झा , विष्णु शर्मा सहित तमाम लोग मौजूद रहे।

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