आयोग के निर्देश का उल्लंघन कर आप संविधान के संघीय ढांचे पर प्रहार करने का काम कर रही है-मनोज तिवारी

नई दिल्ली, 13 दिसम्बर।  चुनाव आयोग द्वारा दिल्ली के चीफ सेक्रेटरी विजय देव को भेजे लिखित पत्र जिसके अनुसार दिल्ली सरकार को दिल्ली के स्कूली छात्रों के परिजनों से मतदाता पहचान पत्र की जानकारी मांगने पर रोक लगाने को कहा गया है उस पर प्रतिक्रिया देते हुये दिल्ली भाजपा अध्यक्ष श्री मनोज तिवारी ने कहा कि पहले भी दिल्ली सरकार ने डायरेक्टरेट ऑफ एजुकेशन (डी. ओ. ई.) को निर्देश देकर स्कूल के छात्रों व उनके परिवारों का डाटा कलेक्ट करने को कहा था । जिसकी शिकायत चुनाव आयोग को मिली तो चुनाव आयोग ने इसे गैर- कानूनी बताते हुये इस प्रक्रिया को बन्द करने को कहा लेकिन दिल्ली के उप मुख्यमंत्री मनीष सिसौदिया ने इससे इंकार कर दिया है और चुनाव आयोग को लिखे एक पत्र में कहा है कि यह उसके अधिकार क्षेत्र का मामला नहीं है और केवल चुनाव के वक्त ही चुनाव आयोग निर्देश दे सकता है। इस पर चुनाव आयोग ने आज प्रतिक्रिया देते हुये कहा कि चुनाव संबंधि सभी डाटा पर चुनाव आयोग का हर समय अधिकार है और यह कोई और नहीं ले सकता। सर्वप्रथम 8 अक्टूबर को एक सर्कुलर जारी कर स्कूली बच्चो से परिजनों का डाटा मांग गया जिस पर गवर्नमेंट स्कूल टीचर्स असोसिएशन की ओर से याचिका दायर की गई। याचिका पर दिल्ली सरकार और शिक्षा निदेशालय को नोटिस जारी करते हुए हाई कोर्ट ने साफ कहा कि सर्कुलर के तहत मांगी गई जानकारी का इस्तेमाल नेबरहुड क्राइटेरिया के आधार पर दाखिला देने से इनकार किए जाने के लिए नहीं होना चाहिए।

श्री तिवारी ने कहा कि चुनाव आयोग कि निर्देश का बार-बार उल्लंघन कर आम आदमी पार्टी संविधान के संघीय ढांचे पर प्रहार करने का काम कर रही है। स्कूल के बच्चों के परिवारों के सदस्य मतदाताओं की जानकारी जुटा रही दिल्ली सरकार की राजनीतिक मंशा पर चुनाव आयोग का संदेह कर हस्तक्षेप करना एकदम उचित है क्योंकि दिल्ली में शिक्षा पर राजनीति कर आम आदमी पार्टी अपने राजनैतिक हितों के लिए मासूम विद्यार्थियों का सहारा लेने से बाज नहीं आ रही है जिसका विरोध हम बीते सिंतबर से लगातार करते आ रहे है।दिल्ली के स्कूली छात्रों से उनके परिजनो के वोटर आई डी कार्ड का डाटा मांगकर आम आदमी पार्टी  निजी राजनैतिक लाभ लेने का प्रयास कर रही हैं।

श्री तिवारी ने कहा कि सिंतबर माह में दिल्ली सरकार ने एक सर्कुलर जारी कर दिल्ली के सभी स्कूलों को, जिनमें पब्लिक और प्राइवेट शामिल  हैं, सभी छात्रों, उनके परिजनों और रिश्तेदारों का डाटा एकत्र करने का निर्देश दिया था। इस डाटा के तहत मोबाईल नम्बर, वोटर आईडी और शैक्षिक योग्यता के कागजात की जानकारी ली जा रही थी जो कि एक नजर में ही दिल्ली के नागरिक की  निजता के अधिकार का उल्लघंन मात्र नजर आ रहा था जिस पर दिल्ली न्यायलय ने भी संज्ञान लेते हुये आपत्ति जताई थी। अब चुनाव आयोग ने इस मामले पर कड़ी आपत्ति दर्ज करते हुये कहा है कि मतदाताओं की मतदाता संबंधित जानकारी इकट्ठा करने का अधिकार सिर्फ चुनाव आयोग का है, कोई तीसरा पक्ष ऐसा नहीं कर सकता है। चुनाव आयोग की आपत्ति पर मनीष सिसौदिया का बयान संविधान के संघीय ढ़ाचे पर हमले के समान है। केजरीवाल सरकार यह बताए कि इस प्रक्रिया से बच्चों या उनके परिवार को क्या लाभ मिलेगा? बच्चों के एडमिशन के समय जुटाई गई पर्याप्त जानकारी के बावजूद इतनी निजी जानकारी किस उद्देश्य से जुटाई जा रही है और वेरिफिकेशन का जिम्मा किस मकसद से प्राइवेट एजेंसी को सौंपा गया है। दिल्ली सरकार के तीन साल के शासन में शिक्षा के नाम पर बेमिसाल प्रचार हुआ परंतु धरातल पर शिक्षा में कोई बदलाव नहीं किया गया।

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