कपट,अभिमान और क्रोध रूपी राक्षस हमारे जीवन यज्ञ को सफल नहीं होने देते : अतुल प्रेम जी

सेक्टर 82 स्थित निरंजनी अखाड़ा, ब्रम्हचारी कुटी में आयोजित श्री महालक्ष्मी यज्ञ एवं श्रीराम कथा के पांचवें दिन यज्ञाचार्य महेश पाठक शास्त्री द्वारा पूजन उपरांत वेद मंत्रों से यज्ञ में आहुतियां अर्पित कराई गयीं। श्रीराम कथा के पांचवें दिन कथा व्यास अतुल प्रेम जी महाराज द्वारा भगवान राम के बाल्यकाल का रोचक वर्णन किया गया। ” ठुमकि चलत रामचंद्र बाजत पैजनियां” भगवान राम घुटनों के बल पूरे आंगन में घूमते फिरते हैं। माता कौशल्या, राम की बाल लीलाओं को देखकर आनंदित होती हैं। भगवान राम जब बड़े होते हैं तो गुरु के यहां सभी भाइयों के साथ शिक्षा ग्रहण करने के लिए भेजा जाता है। अतुल प्रेम जी ने विश्वामित्र का प्रसंग सुनते हुए कहा कि विश्वामित्र यज्ञ करते हैं तो मारीचि, सुबाहु और ताड़का जैसे राक्षस यज्ञ का विध्वंश कर देते है। उन्होंने बताया कि मारीचि कपट है, सुबाहु हमारा अभिमान है और ताड़का क्रोध है जब तक ये तीनों हमारे अंदर मौजूद रहेंगे तब तक हमें सफलता नहीं मिलती है। विश्वामित्र जी महाराज दशरथ जी से राम ,लक्ष्मण को यज्ञ की रक्षा के लिए ले जाते है और वह सुबाहु और ताड़का का वध कर देते है। जब हमारे जीवन में भक्ति आ जाती है तब कपट हमसे बहुत दूर चला जाता है और क्रोध और अभिमान नष्ट हो जाता है।
 इस अवसर पर महंत ओम भारती, संयोजक एवं मुख्य यजमान राघवेंद्र दुबे, देवेंद्र गुप्ता, सुशील पाल, पंडित संजय शर्मा, रवि राघव, शिवव्रत तिवारी,संजय पांडे, हरि जी, रमेश गुप्ता, आर के शर्मा, विष्णु शर्मा,संजय शुक्ला, संजय राउत सहित तमाम लोग मौजूद रहे।

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