कौशल विकास योजना में अडंगा डालकर गरीब दिल्लीवासियों से किस बात की दुश्मनी निभा रहे हैं केजरीवाल?

नई दिल्ली, 7 फरवरी।  अपनी विफलताओं के लिए मोदी सरकार पर काम न करने देने के आरोप लगाने वाले दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल एक बार फिर सवालों के घेरे में आ गये हैं। आयुष्मान योजना और सवर्णों को 10 प्रतिशत आरक्षण को दिल्ली में लागू न करने के बाद केजरीवाल युवाओं को रोजगार दिलाने में सहायक प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की सरकार की कौशल योजना में भी अड़ंगा लगाया है और ये अड़ंगा ऐसा है जिसने दिल्ली में हजारों युवाओं को बेरोजगार कर दिया है। दरअसल, प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना जुलाई 2015 में शुरू हुई थी। इस योजना का मकसद देश के युवाओं को उद्योगों से जुड़ी ट्रेनिंग देना है, जिससे उन्हें रोजगार पाने में मदद मिल सके लेकिन केजरीवाल सरकार के अड़ंगे के बाद कई ट्रेनिंग सेंटर बंद हो गये हैं।

मोदी सरकार की युवाओं को रोजगार देने में सबसे बड़ी सहायक योजना प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना के अंतर्गत  युवाओं को उद्योगों से जुड़ी ट्रेनिंग दी जाती है जिससे उन्हें रोजगार पाने में सहायता मिलती है।  ट्रेनिंग की फीस सरकार खुद भुगतान करती है।  इसमें 3 महीने, 6 महीने और 1 साल के लिए युवाओं का रजिस्ट्रेशन होता है। कोर्स पूरा करने के बाद सर्टिफिकेट दिया जाता है जो पूरे देश में मान्य होता है।  इस सर्टिफिकेट को दिखाकर युवाओं को नौकरी आसानी से मिल जाती है लेकिन इस योजना में सेंटरों को आर्थिक मदद राज्य सरकार को देनी होती है, जिसमें दिल्ली की केजरीवाल सरकार पूरी तरह से विफल नजर आ रही है। जिस कारण अधिकतर सेंटर बंद हो रहे हैं।

एक रिपोर्ट के मुताबिक केंद्र सरकार कौशल विकास योजना के लिए दिल्ली सरकार को 15 करोड़ रुपये दे चुकी है और अब 54 करोड़ की दो किश्तें भी दिल्ली सरकार को और देने वाली है लेकिन इसके बावजूद युवाओं को रोजगार देने वाली इस योजना को केजरीवाल सफल नहीं होने दे रहे जिस कारण 298 सेंटरों में से अब केवल 15 ही सेंटर चल रहे हैं।  सेंटर मालिकों का कहना है कि केंद्र द्वारा पूरा पैसा मिलने पर भी दिल्ली सरकार आर्थिक मदद नहीं दे रही है जिस कारण वे सेंटर चलाने में असमर्थ हैं।

इस पर कड़ी प्रतिक्रिया देते हुए दिल्ली बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष श्री मनोज तिवारी ने कहा कि दिल्ली सरकार नहीं चाहती कि दिल्ली के अंदर सही तरीके से मोदी सरकार की योजनाएं काम करें और गरीबों, युवाओं को इन योजनाओं का लाभ मिले। उन्होंने बताया कि यदि आयुष्मान भारत और 10 प्रतिशत आरक्षण दिल्ली में लागू हो जाता तो गरीबों को 5 लाख तक का इलाज और सवर्णों को उनका हक में मिल पाता यदि केंद्र से पैसा मिलने के बावजूद दिल्ली सरकार युवाओं को रोजगार देने वाली कौशल विकास योजना में अडंगा नहीं डालती तो आज दिल्ली के हजारों युवाओं को रोजगार मिल चुका होता लेकिन दिल्ली के मालिक केजरीवाल जी ऐसा नहीं चाहते।

श्री मनोज तिवारी ने कहा कि वो जल्द इस मामले को लेकर के केन्द्रीय कौशल विकास मंत्री से मुलाकात करेंगे और केजरीवाल सरकार के रवैये पर उचित कार्यवाही की मांग करेंगे।  श्री तिवारी ने यह भी कहा कि केजरीवाल केंद्र पर उन्हें काम न करने देने का आरोप लगाते हैं जबकि वास्तविकता ये है कि केंद्र सरकार जो भी दिल्ली के जन कल्याण के लिए योजना लेकर आती है उसे केजरीवाल राजनीतिक स्वार्थ की पूर्ति के लिए लागु नहीं करते और दिल्लीवासियों से उनका हक छीन लेते हैं।  उन्होंने कहा कि केजरीवाल एक ऐसे मुख्यमंत्री हैं जिन्हें दिल्ली के विकास और दिल्लीवासियों की समस्याओं से कोई मतलब नहीं है वे केवल दुसरे राज्यों में अपनी राजनीतिक रोटियां सेकना चाहते हैं।  वे उन्ही भ्रष्ट नेताओं से जाकर हाथ मिलाते हैं जिन्हे वो खुद भ्रष्टाचारी बताते थे। लेकिन वे ये नहीं जानते कि जनता सब देख रही है कि किस प्रकार उन्हें केंद्र सरकार की जन-कल्याणकारी योजनाओं से वंचित रखा जा रहा है। मैं समझता हूँ इस ओछी और विरोधाभासी राजनीति के लिए आगामी चुनाव में जनता केजरीवाल को राजनीतिक दिवालिया घोषित कर देगी और उनकी इस नकारात्मकता को उखाड़ फेकेगी।

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