चित्रकार की भाषा रेखा और रंगों की भाषा होती है -जे.के. अग्रवाल

लखनऊ: 29 नवम्बर, अलीगंज स्थित ललितकला अकादमी में आयोजित तीन दिवसीय प्रदर्शनी के तीसरे दिन आज सुप्रसिद्ध चित्रकारों द्वारा अपनी कला का जीवंत प्रदर्शन किया गया, जिसमें सुप्रसिद्ध चित्रकार श्री उमेश सक्सेना, श्री हंसराज तथा श्री माधव जी ने हिस्सा लिया। 
चित्रकारों की चित्रकला का जीवंत प्रदर्शन जाने माने कलाविद श्री सूर्यमोहन कुलश्रेष्ठ जी की अध्यक्षता में प्रारम्भ हुआ। इन सभी चित्रकारों के रेखांकित चित्रकला का जीवंत प्रदर्शन देखने लायक था। ‘आयल’ तथा ‘एक्रेलिक’ रंगों द्वारा बनाये गये चित्र प्रकृति तथा मानव-जीवन के विविध पक्षों को कलात्मक अभिव्यक्ति प्रदान कर रहे थे।
चित्रों की प्रसंशा करते हुए प्रतिष्ठित चित्रकार श्री जे0के0 अग्रवाल ने कहा कि चित्रकार की भाषा रेखा और रंगों की भाषा होती है। प्रदर्शनी में चित्रकारों की चित्रकला के जीवंत प्रदर्शन पर प्रकाश डालते हुए उन्होंने कहा कि प्रदर्शन में दर्शकों के निमित यह एक सार्थक एवं जीवंत प्रयास है। 
कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे श्री सूर्य मोहन कुलश्रेष्ठ जी ने कहा कि कविता को प्रायः अपनी बात को प्रखरता और मुखरता से व्यक्त करने के लिए विविध चित्रों की आवश्यकता होती है। ये चित्र ही कविता में बिम्ब, उपमा, उत्प्रेक्षा आदि अलंकारों के माध्यम से व्यक्त होते हैं तथा दोनों विधाओं काव्यकला और चित्रकला के अन्तर्सम्बन्ध को उजागर करते हैं। 
कार्यक्रम के समापन से पूर्व श्री शम्भु नाथ जी ने उपस्थित सभी चित्रकारों, वक्ताओं तथा कार्यक्रम से जुड़े सभी लोगों के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करते हुए धन्यवाद ज्ञापित किया।

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