चुनाव आयोग की आपत्ति पर मनीष सिसौदिया का बयान संविधान के संघीय ढ़ाचे पर हमले के समान है-मनोज तिवारी

नई दिल्ली, 1 दिसम्बर।  दिल्ली सरकार ने डायरेक्टरेट ऑफ एजुकेशन (डी.ओ.ई.) को निर्देश देकर स्कूल के छात्रों व उनके परिवारों का डाटा कलेक्ट करने को कहा है। इसकी शिकायत चुनाव आयोग को मिली तो चुनाव आयोग ने इसे गैर कानूनी बताते हुये इस प्रक्रिया को बन्द करने को कहा। लेकिन दिल्ली के उप मुख्यमंत्री मनीष सिसौदिया ने इससे इंकार कर दिया है और चुनाव आयोग को लिखे एक पत्र में कहा है कि यह उसके अधिकार क्षेत्र का मामला नहीं है इस पर प्रतिक्रिया देते हुये दिल्ली भाजपा अध्यक्ष श्री मनोज तिवारी ने कहा कि स्कूल के बच्चों के परिवारों के सदस्य मतदाताओं की जानकारी जुटा रही दिल्ली सरकार की राजनीतिक मंशा पर चुनाव आयोग का संदेह कर हस्तक्षेप करना एकदम उचित है क्योंकि दिल्ली में शिक्षा पर राजनीति कर आम आदमी पार्टी अपने राजनैतिक हितों के लिए मासूम विद्यार्थियों का सहारा लेने से बाज नहीं आ रही है जिसका विरोध हम बीते सितम्बर से लगातार करते आ रहे है। जब डायरेक्टरेट ऑफ एजुकेशन ने नोटिफिकेशन जारी किया था तब सर्वप्रथम आपत्ति दिल्ली भाजपा द्वारा दर्ज कर जाँच की मांग की गई थी। आम आदमी पार्टी अपनी राजनीतिक उद्देश्यों की पूर्ति के लिए दिल्ली के स्कूली छात्रों से उनके परिजनों का डाटा एकत्र कर रही है।

श्री तिवारी ने कहा कि सितम्बर माह में दिल्ली सरकार ने एक सर्कुलर जारी कर दिल्ली के सभी स्कूलों को, जिनमें पब्लिक और प्राइवेट शामिल हैं, सभी छात्रों, उनके परिजनों और रिश्तेदारों का डाटा एकत्र करने का निर्देश दिया था। इस डाटा के तहत मोबाईल नम्बर, वोटर आईडी और शैक्षिक योग्यता के कागजात की जानकारी ली जा रही थी जो कि एक नजर में ही दिल्ली के नागरिक की निजता के अधिकार का उल्लघंन मात्र नजर आ रहा था। दिल्ली न्यायलय ने भी संज्ञान लेते हुये आपत्ति जताई थी। अब चुनाव आयोग ने इस मामले पर कड़ी आपत्ति दर्ज करते हुये कहा है कि मतदाताओं से संबंधित जानकारी इकट्ठा करने का अधिकार सिर्फ चुनाव आयोग का है, कोई तीसरा पक्ष ऐसा नहीं कर सकता है। चुनाव आयोग की आपत्ति पर मनीष सिसौदिया का बयान संविधान के संघीय ढ़ाचे पर हमले के समान है। केजरीवाल सरकार यह बताए कि इस प्रक्रिया से बच्चों या उनके परिवार को क्या लाभ मिलेगा? बच्चों के एडमिशन के समय जुटाई गई पर्याप्त जानकारी के बावजूद इतनी निजी जानकारी किस उद्देश्य से जुटाई जा रही है और वेरिफिकेशन का जिम्मा किस मकसद से प्राइवेट एजेंसी को सौंपा गया है ?

दिल्ली भाजपा अध्यक्ष ने कहा कि दिल्ली सरकार को दिल्ली की जनता के हितों के लिए शिक्षा व्यवस्था पर ध्यान देकर सभी दिल्ली के बच्चों को शिक्षा का अधिकार मिले ये सुनिश्चित करना चाहिए बजाय इसके, वो झूठ की राजनीति करने व मिडिया में सस्ती लोकप्रियता हासिल करने के लिए सवैंधानिक संस्थाओं पर अभद्र टिप्पणीयां करना बन्द करें। दिल्ली सरकार के तीन साल के शासन में शिक्षा के नाम पर प्रचार हुआ काम नहीं हुआ। शिक्षा के दो साल के बजट में से 1982 करोड़ बिना खर्च किए चला गया, दिल्ली के इतिहास में शिक्षा के क्षेत्र में बिना खर्च की गई सबसे ज्यादा राशि रही है। वर्ष 2013-14 में दिल्ली के सरकारी स्कूलों में 17.75 लाख विद्यार्थी थे वे केजरीवाल की सरकार के समय 2015-16 में कम होकर 16.77 लाख रह गए जबकि प्राइवेट स्कूलों में विद्यार्थियों की संख्या पिछले दो वर्षों में 1.42 लाख बढ़ी है। आम आदमी पार्टी ने यह वायदा किया था कि सत्ता में आने के बाद 500 नए स्कूल बनाएगी लेकिन दूसरी तरफ दिल्ली के कई सरकारी स्कूलों के क्लासरूम में दो सेक्शन के विद्यार्थियों एक साथ बैठने को मजबूर है।

Facebook Comments