पशु शव निस्तारण सहकारी समितियों के पदाधिकारियों के साथ पहली बार बैठक का आयोजन

लखनऊ: 19 नवम्बर, प्रदेश के खादी एवं ग्रामोद्योग मंत्री श्री सत्यदेव पचैरी ने पशु शव निस्तारण व्यवसाय से जुड़े लोगों के उत्थान हेतु कई लाभकारी घोषणायें की हैं। उन्होंने कहा कि पशु शव निस्तारण सहकारी समितियों को उनके कार्य हेतु उचित जगह उपलब्ध कराई जायेगी। साथ ही उनके उत्पादों के रख-रखाव हेतु स्टोरेज भी बना कर दिये जायेंगे। उन्होंने कहा कि समितियों के लाइसेंस तीन वर्ष करने पर विचार किया जायेगा तथा मृत जानवरों की ढुलाई के लिए अनुदान की भी व्यवस्था कराई जायेगी। इसके अलावा समितियों को टूल-किट्स एवं आवश्यक उपकरण भी फ्री दिये जायेंगे।
श्री पचैरी आज यहां उद्यान भवन के सभागार में मृत पशु शव निस्तारण सहकारी समितियों के पदाधिकारियों के साथ बैठक कर रहे थे। उन्होंने कहा कि पशु शव निस्तारण सहकारी समितियों के साथ इस प्रकार की बैठक पहली बार आयोजित की गई है। विगत कई वर्षों से इनकी उपेक्षा हुई और पूर्ववर्ती सरकारों ने इनके विकास पर कोई ध्यान नहीं दिया। इसी वहज से इस व्यवसाय से जुड़े लोगों का जीवन-यापन दूभर हो गया और बड़ी संख्या में लोग बेरोजगार होते गये। लेकिन वर्तमान सरकार सबका साथ सबका विकास संकल्प के साथ आगे बढ़ रही है। इसी दिशा में आज इस बैठक का आयोजन किया गया है। समाज के निम्नत्म व्यक्ति का विकास करना राज्य सरकार की प्राथमिकताओं में शामिल है। उन्होंने समितियों की समस्याओं को सुना और प्राथमिकता पर इनके निस्तारण हेतु उचित निर्देश भी दिये।
खादी मंत्री ने कहा कि पशु शव  निस्तारण सहकारी समितियों के पुनरूद्वार से प्रदेश के लेदर व्यवसाय को नई गति मिलेगी तथा इससे निर्यात भी बढ़ेगा। जिससे विदेशी मुद्रा का भी अर्जन होगा और इन्हें इनके उत्पाद का उचित मूल्य भी मिलेगा। उन्होंने समितियों के उत्पादों की मार्केटिंग हेतु आवश्यक निर्देश भी दिए। उन्होंने कहा कि एक जनपद-एक उत्पाद (ओ0डी0ओ0पी0) योजना के माध्यम से इन समितियों को पुनर्जीवित किया जायेगा। साथ ही ऐसी व्यवस्था बनाई जायेगी कि जो पशु मृत होते हैं, उनकी सूचना तत्काल सहकारी समितियों को दी जाय। इसके लिए ग्राम प्रधान को जल्द दिशा-निर्देश जारी किये जायेंगे।
बैठक में प्रमुख सचिव खादी एवं ग्रामोद्योग श्री नवनीत सहगल ने अवगत कराया कि प्रदेश में 1768 पशु शव  निस्तारण सहकारी समितियां पंजीकृत है। वर्तमान में केवल 694 समितियां ही कार्यरत है। उचित बाजार आदि न मिलने के कारण लगभग 1074 समितियां बंद हो चुकी हैं। उन्होंने बताया कि यह व्यवसाय बहुत पुराना है। प्राकृतिक रूप से मृत होने वाले पशुओं के लिए यह समितियां बनी थी। लगभग 02 लाख परिवार इस व्यवसाय से जुड़े थे।
श्री सहगल ने मंत्री जी को आश्वस्त किया कि उनके द्वारा दिये गये निर्देशों का अक्षरशः पालन सुनिश्चित कराया जायेगा। उन्होंने कहा कि समितियों की समस्याओं का अधिक से अधिक निराकरण कराया जायेगा, ताकि मृत हो चुकी समितियां फिर से पुनर्जीवित हो सकें। उन्होंने बैठक के दौरान समिति के पदाधिकारियों को राज्य सरकार द्वारा संचालित विभिन्न योजनाओं की जानकारी दी और कहा कि अधिक से अधिक लोग इन योजनाओं का लाभ उठाएं।
बैठक में विभागीय वरिष्ठ अधिकारियों के अलावा बड़ी संख्या में प्रदेश के पशु शव  निस्तारण सहकारी समितियों के पदाधिकारियों ने हिस्सा लिया।

Facebook Comments