पिछड़े अतिपिछड़ों के विकास के लिए केंद्र ने उठाए हैं ऐतिहासिक कदम: राजीव रंजन

पटना, नवंबर 21, 2018: देश के बहुसंख्यक पिछड़ा-अतिपिछड़ा समाज के विकास के लिए केंद्र को पूरी तरह कृतसंकल्पित बताते हुए भाजपा प्रवक्ता सह पूर्व विधायक श्री राजीव रंजन ने कहा “ आजादी के बाद से ही देश की आबादी में सबसे ज्यादा संख्या रखने वाला पिछड़ा-अतिपिछड़ा समाज राजनीतिक दलों के निशाने पर रहा है. विभिन्न तौर तरीकों से उन दलों ने इस समाज का भरपूर शोषण किया लेकिन इसे विकास की मुख्यधारा में लाने के लिए कोई ठोस कदम नही उठाया गया. यहाँ तक कि पिछड़ा आयोग को संवैधानिक दर्जा दिलाने के नाम पर भी यह कान में तेल डाल कर सोये रहें. लेकिन वर्तमान सरकार में परिस्थितियां बदली हैं जिसका सबसे बड़ा सबूत 1955 से लंबित पिछड़ा आयोग को SC/ST की तर्ज पर संवैधानिक दर्जा दिलाने की मांग को पूरा करना है. ज्ञातव्य हो कि अगर कांग्रेस और उसके सहयोगियों ने राज्यसभा में अपने बहुमत का बेजा प्रयोग करते हुए अडंगा नही लगाया होता तो यह काम वर्तमान सरकार के शुरूआती वर्षों में ही हो जाता. इस आयोग को संवैधानिक दर्जा मिलने के बाद अब इस समाज के लिए प्रगति के नए द्वार खुलेंगे. ध्यान रहे कि प्रधानमन्त्री जी खुद पिछड़े समाज से आते हैं इसलिए वह खुद इस समाज के दुःख-तकलीफ को समझते हैं, यही वजह है कि आज केंद्र की अधिकांश योजनाओं में इस समाज का हित साफ़ पता चलता है.”
श्री रंजन ने आगे कहा “ दशकों से शोषित इस समाज को विकास की मुख्यधारा में लाने के लिए सरकार ने अनेकों कदम उठाए हैं. पिछड़े अतिपिछडे वर्ग के लोगों को आरक्षण का समुचित लाभ दिलाने के लिए एक आयोग का गठन किया गया है तथा साथ ही क्रीमी लेयर को 6 लाख से बढ़ा कर 8 लाख कर दिया गया है. इसके अलावा अब पीएसयु में काम करने वाले कर्मचारियों के बच्चों को भी आरक्षण का लाभ दिया जा रहा है, जो पहले नही मिलता था. सरकारी नौकरियों में इस समाज की भागीदारी बढ़ाने के लिए जो ओबीसी उम्मीदवार बिना रियायत के सामान्य वर्ग का कट-ऑफ़ पार कर जाते हैं, उन्हें सामान्य वर्ग में चयनित किए जाने का प्रावधान भी इस सरकार ने किया है. पहले इन्हें ओबीसी में ही गिना जाता था जिससे हर वर्ष हजारों उम्मीदवार चयनित होने से वंचित हो जाते थे. सरकार के इन क़दमों से पिछड़ा समाज भविष्य में प्रगति के नए कीर्तिमान अवश्य ही स्थापित करेगा.”

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