वन एवं पर्यावरण मंत्री दारा सिंह चौहान ने भारतीय प्राणि उद्यानों के वार्षिक सम्मेलन-2018 का किया शुभारम्भ

लखनऊ: 12 नवम्बर, उत्तर प्रदेश के वन, पर्यावरण, जन्तु उद्यान एवं उद्यान मंत्री, श्री दारा सिंह चैहान ने कहा कि प्रदेश के प्राणि उद्यानों को नवीनतम तकनीक उपलब्ध कराकर देश में अग्रणी बनाने हेतु प्रदेश सरकार निरन्तर प्रयासरत है। उन्होंने कहा कि यह सम्मेलन नये विचारों के आदान-प्रदान, सीखने व सिखाने, मानव-वन्यजीव-संघर्ष के समय प्रदर्शित की जाने वाली सावधानियों व किये जाने वाले कार्य, नये विचारों को शामिल करने एवं एक-दूसरे के अनुभव से लाभ उठाने का अवसर प्रदान करता है।
श्री चैहान आज बनी, कानपुर रोड स्थित जी-रेस्ट होटल एवं रिसार्ट में आयोजित भारतीय प्राणि उद्यानों के चार दिवसीय वार्षिक सम्मेलन-2018 में अपने विचार व्यक्त कर रहे थे। उन्होंने गुजरात में शेरों के कैनाइन डिस्टेम्पर रोग से पीडित होने पर प्रदेश के प्राणि उद्यानों के चिकित्सकों द्वारा उपलब्ध करायी गयी चिकित्सा की सराहना करते हुए कहा कि आकस्मिक परिस्थितियों में वन्य प्राणियों को तत्काल चिकित्सा सुविधा उपलब्ध करवाने हेतु प्राणि उद्यानों को अधिक से अधिक चिकित्सक उपलब्ध करवाने की दिशा में प्रदेश सरकार द्वारा प्रयास किये जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि विभिन्न प्राणि उद्यानों के मध्य समन्वय स्थापित कर हम वन्य प्राणियों के आदान-प्रदान में आने वाली समस्या का निराकरण करने में सफलता प्राप्त कर सकते हैं।
वन मंत्री ने नवाब वाजिद अली शाह प्राणि उद्यान में तितली पार्क की स्थापना, वन्य प्राणियों के अंगीकरण की योजना व मोबाइल एैप, एक दिन में 9 करोड़ से अधिक पौधे रोपित कर ऐतिहासिक उपलब्धि प्राप्त करने एवं अगले वर्ष जन सहयोग से 22 करोड़ पौधे रोपित करने का उल्लेख करते हुए कहा कि वन्य प्राणियों के प्रति प्यार का भाव बनाए रखने की भावना, मनुष्य व वन्य प्राणियों के मध्य प्रगाढ़ता व मैत्रीपूर्ण सम्बन्ध स्थापित कर, विशिष्ट अवसरों पर जागरूकता कार्यक्रम आयोजित कर एवं वंचित वर्गो व दूरस्थ क्षेत्रों में रहने वाले बच्चों को प्राणि उद्यान का भ्रमण करवाने जैसे प्रयासों से मानव वन्य जीव संघर्ष न्यून करने के साथ ही वन्य प्राणियों के संरक्षण व संवर्धन की दिशा में सार्थक प्रयास कर सकते है।
प्रधान मुख्य वन संरक्षक और विभागध्यक्ष, श्री एस0के0 उपाध्याय ने कहा कि यह सम्मेलन प्रदेश के विभिन्न भागों से आए प्राणि उद्यान व्यवस्थापकों को एक स्थान पर एकत्र होकर अनुभव साझा करने का अवसर उपलब्ध करवा रहा है। श्री उपाध्याय ने कहा कि वन्य प्राणियों के व्यवहार का प्रबन्धन अत्यन्त रूचिकर कार्य है। उन्होने कहा कि पालतू पशुओं को दी जाने वाली दवाॅए वन्य प्राणियों के लिए उपयोगी नही है, अतः वन्य प्राणियों की चिकित्सा हेतु इस क्षेत्र में अत्याधिक अनुसंधान किए जाने की आवश्यकता है।
प्रधान मुख्य वन संरक्षक, वन्यजीव, श्री पवन कुमार ने कहा कि प्राणि उद्यान वन व वन्य प्राणियों से सीधे जुड़े हैं, अतः इनके बारे में समुचित ज्ञान प्राप्त करने हेतु अनुसंधान व नई तकनीक का ज्ञान प्राप्त व साझा करने एवं प्रयोग करने की आवश्यकता है। हिप्पोपोटेमस, शेर, बाघ एवं तेंदुए की चिकित्सा की आवश्यकता एवं पर्याप्त ज्ञान के अभाव में डोमेसाइल क्रेन की मृत्यु का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि कार्य पद्धति व सोच बदल कर समस्याओं का निदान ढूंढना आवश्यक है। थ्नजनतम ैीवबा ज्मबी ॅपसकसपमि प्रस्तुतिकरण में श्री पवन कुमार ने वन्य प्राणि प्रबन्धन में नई तकनीकों का प्रयोग एवं आधुनिक प्राणि उद्यानों पर सारगर्भित व महत्वपूर्ण जानकारी दी।
डा0 डी0एन0 सिंह, सदस्य सचिव, केन्द्रीय चिड़ियाघर प्राधिकरण, नई दिल्ली ने कहा कि इस सम्मेलन का उद्देष्य प्राणि उद्यानों का भ्रमण एवं परस्पर विचार-विमर्श कर प्राणि उद्यान के प्रबन्धन की आवश्यकता के अनुरूप प्राणि उद्यान निदेशकों में योग्यता, दक्षता व प्रवृत्ति में परिवर्तन करना है। डा0 सिंह ने कहा कि प्राणि उद्यान प्रबन्धन तकनीकी कार्य होने के साथ ही टीम वर्क भी है।
डा0 एस0पी0 यादव, सदस्य सचिव, राज्य चिड़ियाघर प्राधिकरण, उत्तर प्रदेश ने अभ्यागतों का स्वागत करते हुए सम्मेलन के उद्देश्यों पर विस्तार से प्रकाश डाला। डा0 यादव ने कहा कि मनुष्यों व वन्य प्राणियों को जोड़ने हेतु प्राणि उद्यान एक सशक्त माध्यम हैं।
इस अवसर पर निदेशक, नवाब वाजिद अली शाह प्राणि उद्यान, लखनऊ श्री आर0के0 सिंह एवं देश के 17 बड़े प्राणि उद्यानों के निदेशक सहित अन्य अधिकारीगण उपस्थित थे।

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