एमिटी स्कूल आफ फैशन टैक्नालाजी में सस्टेनेबल फैशन पर राष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन

लखनऊ 15 फरवरी, 2019ः आज से 100 साल पहले सन 1920 में महात्मा गांधी ने हाथ कते और बुने खादी की जोर-शोर से वकालत की थी और खादी को अपने जीवन में अपनाया था। आज जबकि पूरे विश्व में बायोडिग्रेडिबल और प्राकृतिक कपड़ों पर चर्चा हो रही है तो खादी स्वतः ही प्रासंगिक हो जाती है। भारतीय संस्कृति की देन खादी 100 प्रतिशत प्राकृतिक एवं बायोडिग्रेडिबल है। खादी पहनने वाला न केवल शारीरिक रूप से स्वस्थ रहता है बल्कि वह मानसिक रूप से प्रसन्न एवं स्वस्थ महसूस करता है।

उक्त उदगार गांधी आश्रम लखनऊ के सचिव श्री आर.एन. मिश्रा ने एमिटी स्कूल आॅफ फैशन टेक्नोलाॅजी, एमिटी विश्वविद्यालय लखनऊ परिसर द्वारा आयोजित सेस्टेनेबल फैशन ऐन इमर्जिंग चैप्टर टूवडर््स अ ग्रीनर वर्ड राष्ट्रीय सम्मेलन में व्यक्त किए। श्री मिश्रा सम्मेलन में बतौर मुख्य अतिथि बोल रहे थे।

सम्मेलन को सम्बोधित करते हुए उन्होंने कहा कि जैविक खाद से उगाये कपास द्वारा कते सूत से बने कपड़े जिनकी छपाई और रंगाई जैविक रंगों द्वारा की जाती है। 100 प्रतिशत रूप से प्राकृतिक शारीरिक स्वास्थ्य को बढ़ाने वाला और वातावरण के लिए सुरक्षित होता है। खादी भारतीय संस्कृति द्वारा विश्व को दी गई एक अनुपम भेंट है जिसका आज व्यापक प्रचार-प्रसार किए जाने की आवश्यकता है।

इसके पूर्व सम्मेलन का शुभारम्भ मुख्य अतिथि आर.एन. मिश्रा, विशेष वक्ता ए.एम.ए. हर्बल प्राइवेट लिमिटेड लखनऊ के सीईओ यावर अली शाह, कार्यवाह प्रतिकुलपति एमिटी वि.वि लखनऊ परिसर डाॅ. सुनील धनेश्वर और निदेशिक एमिटी स्कूल आफ फैशन टेक्नोलाॅजी प्रोफेसर पूजा वर्मा ने दीप प्रज्ज्वलित कर किया।

सम्मेलन को सम्बोधित करते हुए यावर अली शाह ने कहा कि टेक्सटाइल इंडस्ट्री आज विश्व में प्रदूषण पैदा करने वाली दूसरी सबसे बड़ी इंडस्ट्री बन चुकी है। उन्होंने कहा कि वस्त्र बनाने की प्रक्रिया के दौरान आठ सौ से ज्यादा रसायनांे का प्रयोग किया जाता है जोकि वातावरण के साथ-साथ जीव-जगत के लिए भी अत्यधिक खतरनाक है। उन्होंने कहा कि इन रसायनों से बने वस्त्र कैंसर जैसी गम्भीर बीमारियां दे रहे हैं। उन्होंने कहा कि अगर हम वस्त्र उद्योग से उत्पन्न इस प्रदूषण से मुक्त होना चाहते हैं तो हमें प्राकृतिक रंगों और रसायनों का उपयोग करना होगा। खतरनाक रसायनों का उपयोग न केवल वस्त्र उद्योग में अपितु जीवन के हर क्षेत्र में बंद करना होगा नही ंतो आने वाली नस्लों के लिए धरती पर जीवन बहुत ही कष्टाकारी साबित होगा।

सम्मेलन में इसके बाद विषय पर आधारित विभिन्न शोधकर्ताओं द्वारा शोध-पत्र प्रस्तुत किए गये। इस अवसर पर एमिटी स्कूल आॅफ फैशन टेक्नोलाॅजी के विद्यार्थियों द्वारा खादी आधारित वस्त्रों का एक फैशन शो भी आयोजित किए गया जिसमें खादी का प्रयोग कर बनाये गये आधुनिक फैशनेबल वस्त्र प्रस्तुत किए गये।

इस दौरान एमिटी विवि के सभी विभागों के विभागाध्यक्षों के साथ छात्र-छात्राए उपस्थित रहे।

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