टोल टैक्स माफ करने की अपील करने वाले केजरीवाल एक महिला पत्रकार को इन्साफ दिलाने में ही बाधक बने रहे श्री मनोज तिवारी

नई दिल्ली, 7 फरवरी।  दिल्ली की एक महिला पत्रकार सौम्या विश्वनाथन का परिवार अपनी बेटी की मृत्यु का 11 साल से इन्साफ मांग रहा है लेकिन अब दिल्ली सरकार के अधिकारियों के खोखले आश्वासन से थक चुका है। दिल्ली सरकार द्वारा नियुक्त पहले के सरकारी वकील पिछली कई सुनवाई में अनुपस्थित रहे। हाल ही में 2 फरवरी को भी अदालत में हुई सुनवाई में दिल्ली सरकार के सरकारी वकील अनुपस्थित रहे, जिस कारण टीवी पत्रकार के शोक संतप्त परिवार का अब न्याय में विशास डगमगाने लगा है। पीड़ित के पिता ने मुख्यमंत्री केजरीवाल को लिखे पत्र में दिल्ली सरकार की ही पोल खोलते हुए बताया कि मामले में पहले अभियोजक के विपरीत, मौजूदा और पिछले सरकारी वकील केस की प्रगति के बारे में उनके परिवार को कोई भी जानकारी देने में विफल रहे। उन्होंने पत्र में कहा कि 10 साल पहले 30 सितंबर 2008 को उनकी बेटी की 25 साल की उम्र में गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। पुलिस और अधिकारियों ने गिरफ्तारी करने और आरोपियों के खिलाफ एक मजबूत मामला दर्ज करने के लिए जबरदस्त प्रयास किये। उन्होंने कहा लेकिन समय के साथ जैसे-जैसे मीडिया में मामले का दिखना कम होता गया, वैसे-वैसे हमें न्याय दिलाने में राज्य की दिलचस्पी भी कम होती गयी।

इस मुद्दे पर प्रतिक्रिया देते हुए दिल्ली भाजपा अध्यक्ष श्री मनोज तिवारी ने कहा कि न्याय में देरी अन्याय के सामान है और महिला पत्रकार के साथ हुए इस अन्याय की जिम्मेदार दिल्ली की नाकाम केजरीवाल सरकार है। पीड़ित परिवार द्वारा लिखे इस पत्र से दिल्ली सरकार की लापरवाही स्पष्ट सिद्ध होती है। इसके साथ ही यह भी स्पष्ट हो गया है कि दिल्ली सरकार द्वारा पूर्व में नियुक्त सरकारी वकीलों ने किस प्रकार मामले को लटकाने का प्रयास किया। यह कार्य दिल्ली सरकार की मिलीभगत से किया हुआ प्रतीत होता है।

श्री तिवारी ने केजरीवाल सरकार पर मामले को लटकाने और उसमे राजनीतिक फायदा तलाशने के आरोप लगाते हुए कहा कि दिल्ली सरकार के अधिकारी पीड़ित परिवार को सालों से खोखले आश्वासन देते रहे ताकि इसमें केजरीवाल अपना राजनीतिक फायदा खोज सकें। श्री तिवारी ने जानकारी देते हुए बताया कि एक ओर जब स्वयं मुख्यमंत्री का केस होता है या उनकी पार्टी के किसी नेता का केस होता है तो देश के राम जेठमलानी, चिदंबरम जैसे बड़े-बड़े वकील नियुक्त कर दिए जाते हैं लेकिन दूसरी ओर एक महिला पत्रकार या आम जनता का केस हो तो उसे प्रशासनिक देरी का हिस्सा बना दिया जाता है और उसमें राजनीतिक फायदा तलाशने की कोशिश की जाती है। यह सरासर न्यायिक प्रक्रिया में रोड़े अटकाने का मामला है जो एक अपराध है।

श्री तिवारी ने कहा कि बड़े दुर्भाग्य की बात है कि पत्रकारों को लुभाने के लिए केंद्र से उनका टोल टैक्स माफ करने की अपील करने वाले केजरीवाल एक महिला पत्रकार को इन्साफ दिलाने में ही बाधक बने रहे, यह केजरीवाल जी की असंवेदनशीलता का एक और उदाहरण प्रस्तुत करता है। उन्होंने कहा कि भाजपा सदा से ही पीड़ित परिवारों की आवाज उठाती आई है और हम इस मामले में न्यायालय से भी जल्द कार्यवाही कर सौम्या को इन्साफ देने की मांग करते हैं द्य साथ ही पीड़ित परिवार को आश्वस्त करते हैं कि हम उनके साथ हैं, यदि दिल्ली सरकार द्वारा उनकी बेटी को इन्साफ मिलने में अब अगर कोई रोड़ा अटकाया गया तो हम चुप नहीं बैठेंगे सौम्या को इन्साफ दिलाने के लिए सर्वोच्च न्यायलय तक भी जाना पड़े तो हम जायेंगे और पीड़ित परिवार को इन्साफ दिलाकर रहेंगे।

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