मोदी पूर्णिमा के सुधाकर जैसे और तुम‘

दो महान भारतीय दाशर्निक स्वामी विवेकानंद और आचार्य  रजनीश की वो शिक्षा जो हमें सदा सत्य से अवगत कराती है उसकी बात करते है। स्वामी विवेकानंद जी ने कहा थ कि ‘‘पहले हर अच्छी बात का मजाक बनता है, फिर उसका विरोध होता है और फिर उसे स्वीकार कर लिया जाता है, जाने 2014 में जब मोदी जी की सरकार बनी तो उन्होंने स्वच्छता अभियान को जन जागरण अभियान बनाने का बीडा उठाया। लाल किले की प्राचीर से नरेन्द्र भाई ने कहा कि हर गरीब के घर में शौचालय बनाना उनकी प्राथमिकताओं  में से एक है। विपक्षी पार्टियों ने हो हल्ला मचाना शुरू कर दिया कहने लगे यह कैसा प्रधानमंत्री है जो लाल किले से 15 अगस्त को शौचालय बनवाने की बात करता है। मजाक बनाने लगे ये विपक्षी। उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव कहते रहे कि मोदी जी शौचालय बना दिये परन्तु पानी की व्यवस्था नहीे की है।

बार-बार यादव जी यही दोहराते रहे उनको लगा की मोदी जी की इस योजना में खोट ही खोट भरे  है। मोदी जी दूर दृष्टि रखकर ही कोई काम करते है। यह समझने में विपक्षी अभी भी बहुत पीछे है। अरे भाई जब कोई ग्रामीण या शहरी शौच के लिए बाहर जाता है तो पानी लेकर ही जाता है तब पानी का रोना क्या रोना। मोदी जी की यह योजना 100 प्रतिशत  सफल रही और 9-10 करोड़ घरों में बने इज्जत घरों का फायदा भाजपा व एनडीए को वोट के रूप में खूब मिला। अब विपक्षी का वही हाल है ‘‘खिसायानी बिल्ली खम्भा नौचे‘‘ हार के कारण ढूढने की बजाय बहाने तलाशने जा रहे है। क्या कहां जाये ईवीएम का राग तो अब जनता के गले नहीं उतर रहा है अब इस्तीफा देने का खेल खेला जा रहा है। दूसरी नरेन्द्र मोदी की योजना थी गरीबों के बैंक अकाउंट खोले जाये। प्रधानमंत्री जी ने 34 करोड़ के लगभग जनधन खाते खुलावा दिये। सभी केन्द्र सरकार के मंत्रियों नेताओं को इस काम में लगाया गया। जीरो प्रतिशत पर खाते खोले गए। विपक्षियों ने चिल्लाना शुरू किया कि खाते तो खुलवा रहे हो पैसा कहां से आयेगा। बैंको पर बोझ बढ जाऐगा। मोदी जी ने इस बार फिर ‘‘विरोधियों को चारों खाने चित कर दिया‘‘ केन्द्र सरकार की सब्सिडी जो 5 लाख करोड़ के आस-पास  है वह इन योजनाओं के माध्यम से गरीबों की दी जाने लगी।

पहले की सरकारों में अधिकतर पैसा बिचैलिए खा जाते थे उसकी बंदरबांट ऊपर से नीचे तक होती थी। इसी कारण एक बार पूर्व प्रधानमंत्री स्व. राजीव गांधी जी को यह स्वीकार करना पड़ा कि दिल्ली से भेजी गई साहयता का मात्र 15 प्रतिशत ही गांव तक  पहुॅच पाता है यानि 1 रूपये की साहयता से मात्र 10 से 15 पैसा ही गरीब मिल पाता है। मोदीजी को बखूबी मालूम था कि कैसे सीधा पैसा गरीब के पास पहुंचाया जा सकता है। मोदी जी ने खातो के माध्यम से यह कर दिखाया। करोड़ो की संख्या में फर्जी-चाहे वे राशन कार्ड हो या मनरेगा की योजना के लाभार्थी हो पहचाने गए। डूपलीकेट नाम से भी खुब चांदी काटी जा रही थी। अब जब गरीब को उसका पैसा सीधे मिलने लग गया है तो उसका लाभ यह हुआ कि 5 लाख की सब्सिडी में से 1 लाख 10 हजार करोड की बचत केन्द्र सरकार को हुई। इस पैसे से अन्य लाभ के कार्य गरीबों के लिए किये जाने लगे। तीसरी एक और सुपहिट योजना ‘‘ उज्जवला योजना‘‘ के नाम से शुरू की गई। लालबहादुर शास्त्री जी के बाद मोदी जी देश के दूसरे ऐसे प्रधानमंत्री  साबित हुए जिनके कहने पर करोड़ो लोगों ने अपनी गैस सब्सिडी छोड़ दी। बिना पैसा जुटाये उसी छोडी गई सब्सिडी से 7 करोड़ घरों को गैस सिलेण्डर उपलब्ध कराए गए। विरोधी फिर वही राग अलापने लगे की सिलेण्डर तो े दे रहे हो गैस भरवाने का पैसा कहां से आयेगा। मोदी जी की इन गरीबों के कल्याण की योजनाओं का विरोधियों ने खूब मजाक बनया अंत में उनका ही मजाक बन गया। अब विश्व की सबसे बडी येाजना ‘‘ आयुष्मान भारत की बात करते है अब तक 30 से 40 लाख लोग इस योजना के माध्यम से अपना इलाज करा चुके है। स्वस्थ है। गरीब के घर में कोई बीमार पड़ गया तो वह परिवार उसका इलाज नही करा सकता था। इलाज के लिए पैसे चाहिए होते है पैैसा ही उसके पास होता तो वह फिर गरीबी का अभिशाप लेकर क्यों जिते। मोदी जी एक बेहद गरीब परिवार में जन्में, गरीबी में जिये उनको पता था कि गरीब जैसे तैसे अपना पेट पाल रहा है। उसके यहां बीमारी किसी पहाड़ के टूटने जैसी ही होती है।

नरेन्द्र भाई ने 50 करोड़ लोंगो को 5 लाख तक इलाज मुफ्त कराने की व्यवस्था केन्द्र सरकार की और से की है। इसका भी विरोधियों ने वही पुराना राग अलापा कि गरीब के हित में मोदीजी कुछ नहीं कर रहे है वह केवल अमीरों के लिए ही काम कर रहे है। मोदी जी ठहरे मोदी जी उन्होंने सरकार बनते ही ब्लड प्रेशर, कैंसर तथा शूगर जो जानलेवा बीमारी है इनकी दवाओं का दाम 80 प्रतिशत तक कम कराया। प्रधानमंत्री जन औषधी केन्द्र देश भर में खोले गए। लोंगो का सस्ती दवायें मिल रही है। लाभ करोगें तो लाभ होगा ही। यह बात विरोधियों ने समझने में देर कर दी। अब मोदी जी ने एक और छक्का जड दिया। किसान सम्मान योजना किसानों को 6 हजार रूपये सालाना पेशन देने लगे। कांग्रेस अध्यक्ष असफल नेता राहुल गांधी जी रैलियों में कहते नही अघाते थे कि मात्र 6 हजार यानि कुछ रूपये महीने इससे क्या होगा। हम 72 हजार देंगे हमें वोट दो। मोदी जी ने दे दिया तुम सरकार बनेगी तब देने की बात कर रहे हो। पेट में दर्द अभी है दवा तब दोगे जब मरीज मर जाएगा। राहुल गांधी की बात जनता ने इस कान से सुनी उस कान से निकाल दी। राहुल गांधी आप कांग्रेस के लिए अमावस्या की रात जैसे हो और मोदी भाजपा के लिए पूर्णिमा के चांद जैसे है। भारत के दूसरे जाने माने दाशर्नीक आचार्य रजनीश की बात करते है आचार्य कहते है ‘‘ऐसी उलटवासी क्यों‘‘?  जीवन के हर आयाम में सत्य के सामने झुकना मुश्किल है और झूठ के सामने झुकना सरल ऐसी उलटबांसी क्यों है? उलटबांसी जरा भी नहीं है सिर्फ तुम्हारे विचार में जरा सी चूक हो गई है, इसलिए उलटबांसी दिखाई पड़ रही है। चूक बहुत छोटी है, शायद एकदम से दिखाई न पडें, थोडी खुर्दबीन लेकर देखोगे तो दिखाई पडेगी। सत्य के सामने झुकना पड़ता है, झूठ तुम्हारे सामने झुकता है और इसलिए झूठ से दोस्ती आसान है क्योंकि झूठ तुम्हारे सामने झूकता है और सत्य से दोस्ती कठिन है, क्योंकि सत्य के सामने तुम्हें झुकना पड़ता है। अंधा अधेंरे से दोस्ती कर सकता है क्योंकि अंधेरा आंखें चाहिए ऐसी मांग नहीं करता , लेकिन अंधा प्रकाश से दोस्ती नहीं कर सकता है, क्योंकि प्रकाश से दोस्ती के लिए पहले आंखें चाहिए अंधा अमावस की रात के साथ तो तल्लीन हो सकता है, मगर पूर्णिमा की रात के साथ बेचैन हो जाएगा। पूर्णिमा की रात उसे उसके अंधेपन की याद याद दिलाएगी, अमावस की रात अंधेपन को भुलाएगी, याद नही दिलाएगी।

परम पूज्य संतसिरोमणी पूज्य डोगरे जी महाराज कथाओं में कहते थे कि अर्जन दुखदायी होता है और विसर्जन सुखदायी। बटोरना विषाद का कारण बनता है और बांटना प्रसाद का। मोदी जी 13 वर्ष गुजरात प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे 5 वर्ष भारत के प्रधानमंत्री रहे कुल 18 वर्ष में उन्होंने जनता की सेवा करते हुए उनके कल्याण में अपने का खपा दिया। भारत की मनीषा की बात पर चलते हुए मोदी जी उगते हुए सूरज से तरूण अरूण बन चुके है और उनके सामने विरोधी मात्र एक दीया बन कर रह गए है। मोदी जी के राजनीतिक गुरू स्व. अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार को विरोधियों ने मात्र ‘‘वोट से गिरा दिया था उनके शिष्य ने 303 भाजपा  सांसदों के साथ अटल जी की समाधि पर नमन किया उनको याद किया। 2024 में 333 सांसद जीते इसकी रूपरेखा मोदी जी व अमित भाई ने बना डाली है। कहावत भी है सूर्य को दीपक नहीं दिखाया जाता।

 

नरेन्द्र सिंह राणा
प्रदेश प्रवक्ता भाजपा 

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