हाथियों को बचाने आगे आया पर्यावरण मंत्रालय , उठाये प्रभावी कदम

नॉएडा – यहाँ के युवा समाजसेवी श्री रंजन तोमर द्वारा हाल ही में लगाई गई शिकार किये गए जानवरों जैसे शेर , हाथी , हिम तेंदुए , गैंडे आदि का की खबरें देश विदेश में चर्चा का विषय बनी हुई हैं जिनसे पर्यावरण के प्रति जागरूकता बढ़ी है और लोग मंडराते खतरे को समझ रहे हैं।

हाल ही में श्री तोमर की आर टी आई से  यह खबर आई थी के पिछले दस वर्षों में  429 हाथियों को शिकरियों द्वारा मार दिया गया है , इस  समाचार के  प्रकाशित होने के बाद श्री तोमर ने पर्यावरण मंत्रालय ,भारत सरकार को लिख कर इस विषय में चिंता जताई थी , जिसके जवाब में अब मंत्रालय की तरफ से उनके वैज्ञानिक डॉक्टर के.मुतमिज ने जानकारी दी है के हाथी सम्बन्धी विभाग द्वारा  ‘प्रोजेक्ट जंबो’ के अंतर्गत कई प्रभावी कदम इस बाबत उठाये गए हैं जिनमें  हाथी के संरक्षण के लिए हाथी रेंज बनाना ,इस बाबत राज्यों के लिए वित्तीय सहायता ताकि उनके गलियारे और निवास स्थान को सुरक्षित किआ जा सके , वन्यजीव संरक्षण अधिनियम, 1972 का कड़ाई से पालन करना , मानव-हाथी संघर्ष दिशानिर्देश , राज्य वन विभाग द्वारा वन क्षेत्र की पेट्रोलिंग के लिए कई कदम उठाए हैं।

शायद यही कड़े कदम हैं के पिछले पांच वर्षों में हाथियों के शिकार किये जाने में कमी आई है। क्यूंकि सरकार की नीतियों के कारण भी हत्या दर बढ़ती  और घटती रहती है तो इन आंकड़ों से स्पष्ट है के 2014 के बाद हाथियों की हत्या में कमी आई है , जिससे कुछ राहत ज़रूर मिलती है , अर्थात 2008 से 2014 तक 353 हाथी मारे गए जबकि 2014 के बाद 71.

पर्यावरण को बचाने के लिए जानवरों को बचाना अतिआवश्यक है , जितने हाथी या शेर मारे जा रहे हैं यह पर्यावरण के लिए घातक है क्यूंकि यह दोनों अपनी खाद्य श्रंखला के  प्रधान प्राणी हैं और इसके टूटने से इंसान को  भी खतरा है , क्यूंकि खाद्य श्रंखला की एक कड़ी टूटने से पूरी श्रंखला टूटने का खतरा पैदा हो जाता है जिससे खाद्य पदार्थों की कमी होनी लाज़मी है एवं पर्यावरण को भारी नुक्सान होना तय है।

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