दिलशाद गार्डन के सेंट्रल पार्क का नाम अब महाराज सूरजमल पार्क होगा

नई दिल्ली, 19 जनवरी। दिलशाद गार्डन के सी ब्लाक स्थित सेंट्रल पार्क का नाम बदलकर महाराजा सूरजमल पार्क रख दिया गया है। पार्क में महाराजा सूरजमल की एक प्रतिमा भी लगायी गई। जिसका अनावरण, नामकरण एवं लोकार्पण दिल्ली भाजपा अध्यक्ष श्री मनोज तिवारी एवं सांसद श्री प्रवेश वर्मा ने किया। इस बाबत पार्क के अंदर एक कार्यक्रम का आयोजन किया गया।
कार्यक्रम की अध्यक्षता स्थानीय निगम पार्षद श्री वीर सिंह पंवार ने की। इस अवसर पर जिला अध्यक्ष श्री कैलाश जैन, महामंत्री श्री कर्मवीर चंदेल, पूर्वी दिल्ली नगर निगम स्थायी समिति के पूर्व अध्यक्ष श्री प्रवेश शर्मा, शिक्षा समिति के सदस्य श्री उदय कौशिक, श्रीमती स्वाति गुप्ता, मीडिया विभाग के प्रदेश सह-प्रमुख श्री आनंद त्रिवेदी, मंडल अध्यक्ष श्री रामपाल सिंह सहित कई गणमान्य लोग उपस्थित रहे।
श्री मनोज तिवारी ने कहा कि राजस्थान की रेतीली जमीन में चाहे अनाज की पैदावार भले ही कम होती रही हो, पर इस भूमि पर वीरों की पैदावार में सदा ही बढ़ोतरी हुई है। अपने पराक्रम और शौर्य के बल पर इन वीर योद्धाओं ने राजस्थान के साथ-साथ पूरे भारत वर्ष का नाम समय-समय पर रौशन किया है। कर्नल जेम्स टॉड ने राजस्थान नाम पड़ने से पहले इस मरू भूमि को राजपुताना कहकर पुकारा था। निसंदेह उनके नाम पर पार्क का नामकरण एक आदर्श प्रस्तुत करेगा।
श्री मनोज तिवारी ने कहा कि राजपूताने में अनेक राजपूत राजा-महाराजा पैदा हुए। पर आज की कहानी है, इन राजपूत राजाओं के बीच पैदा हुए इतिहास के एकमात्र जाट महाराजा सूरजमल की। जिस दौर में राजपूत राजा मुगलों की दासता स्वीकार करके जागीर बचा रहे थे। उस दौर में यह बाहुबली अकेला मुगलों से लोहा ले रहा था। सूरजमल को स्वतंत्र हिन्दू राज्य बनाने के लिए भी जाना जाता है या यूं कहा जाए कि महाराजा सूरजमल ने स्वाभिमान सम्मान और संस्कृति की रक्षा के साथ कभी समझौता नहीं किया और एक आदर्श प्रस्तुत किया। आज हम सबको उनके आदर्श पर चलकर देश, धर्म और समाज की रक्षा के लिए संकल्प लेना चाहिए।
इस अवसर पर सांसद श्री प्रवेश वर्मा ने कहा कि महाराजा सूरजमल ने समूचे समाज के सामने एक आदर्श प्रस्तुत किया है। समाज के लोगों को परंपरा जिंदा रखने के लिए ऐसे महापुरुषों के आदर्श पर चलना चाहिए। श्री मनोज तिवारी ने पार्क का नामकरण और उनकी प्रतिमा का अनावरण करके न सिर्फ महाराजा सूरजमल के सिद्धान्तों को समाज के बीच प्रतिबिंबित किया है वल्कि समाज को एक दिशा देने का काम किया है, इसके लिए वह बधाई के पात्र हैं।

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