संविधान से ऊपर जाकर काम करना ही क्यों चाहते है दिल्ली के मुख्यमंत्री केजरीवाल-मनोज तिवारी

नई दिल्ली, 14 फरवरी। दिल्ली सरकार और उपराज्यपाल के बीच कई अधिकारों पर चल रहे विवाद पर सुप्रीम कोर्ट ने आज अपना फैसला सुनाया। दिल्ली में पोस्ट हुए अधिकारियों के ट्रांसफर-पोस्टिंग से जुड़े मसले को छोड़कर सुप्रीम कोर्ट ने अन्य मुद्दों पर फैसला साफ कर दिया है। केजरीवाल ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले को संविधान और लोगों की अपेक्षाओं के खिलाफ बताया।
इस पर प्रतिक्रिया देते हुये दिल्ली भाजपा अध्यक्ष श्री मनोज तिवारी ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में 6 अधिकारों पर फैसला सुनाया है। ट्रांसफर-पोस्टिंग के मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली में एंटी करप्शन ब्रांच और कमीशन ऑफ इन्क्वायरी का अधिकार केंद्र सरकार को दिया है। अरविन्द केजरीवाल का बयान कि हम कोर्ट की इज्जत करते हैं, लेकिन ये फैसला दिल्ली वालों के साथ अन्याय है काफी दुर्भाग्यपूर्ण है। सवैंधानिक पद पर आसीन मुख्यमंत्री का सुप्रीम कोर्ट के लिए ऐसी भाषा का इस्तेमाल करना निंदनीय है। संविधान को दरकिनार कर नियमों से छेड़खानी करना केजरीवाल का तरीका है जिसे देश व दिल्ली की जनता देख रही है। केजरीवाल ने बार-बार संविधान की रचना पर सवाल उठाते हुये पहले सुप्रीम कोर्ट पर, चुनाव आयोग पर, फिर उनके खिलाफ भ्रष्टाचार की जांच कर रही ऐजन्सी पर हमला करके देश व दिल्ली की जनता के सामने यह स्पष्ट कर दिया है कि वह अर्बन नक्सली है।
श्री तिवारी ने कहा कि संवैधानिक संस्थाओं पर केजरीवाल का बयान कोई नया नहीं है। दिल्ली में वोट कटने के झूठ का दुष्प्रचार कर चुनाव आयोग के खिलाफ बयान दिया गया। संवैधानिक पद पर आसिन उप-राज्यपाल के आदेशों की अवेहलना की गई। केजरीवाल सरकार के मंत्रियों व नेताओं पर भ्रष्टाचार की जांच कर रही सीबीआई के खिलाफ बयान देकर सवैंधानिक संस्थाओं पर हमला किया गया। केजरीवाल पहले खुद केन्द्र सरकार के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट जाते है और जब फैसला उनके खिलाफ आता है तो उसे दिल्ली की जनता के साथ अन्याय बताते है। संविधान से ऊपर जाकर काम करना ही क्यों चाहते है। दिल्ली के मुख्यमंत्री केजरीवाल यह समझपाना मुश्किल नहीं है अपनी विफलताओं को छुपाने के लिए और देश व दिल्ली की जनता द्वारा हर चुनावों में नकारे जाने के कारण निराशा से घिर चुके केजरीवाल सवैंधानिक संस्थाओं पर प्रहार कर रहे है।
श्री तिवारी ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के आज के फैसले के बाद हम यह आशा करते है की दिल्ली के मुख्यमंत्री सविंधान और सवैंधानिक संस्थाओं में अपनी आस्था व्यक्त करते हुये उनका सम्मान करेगें।

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