आपसी एकजुटता से ही पिछड़े-अतिपिछड़े समाज को मिलेगी भागीदारी: राजीव रंजन

पटना, 4 नवंबर: राज्य के पिछड़े-अतिपिछडे समाज के समुचित विकास के लिए आपसी एकजुटता को आवश्यक बताते हुए पिछड़े समाज के नेता व पटना में आयोजित होने वाले आगामी पिछड़ा-अतिपिछड़ा महासम्मेलन के अध्यक्ष श्री राजीव रंजन ने कहा “ पिछड़ा-अतिपिछड़ा समाज के समस्याओं को जानने तथा उनके समाधान के लिए विगत 5 अगस्त को हमने राजगीर में एक सम्मेलन का आयोजन किया था, जिसमे भारी बारिश के बावजूद हमारे समाज के हजारों लोग शामिल हुए थे. इस सम्मेलन में आपसी चर्चा के बाद 5 मुद्दे बतौर  मांग के उभर कर सामने आए हैं, जिन्हें लेकर हमारे वोलंटियर आज राज्य के कोने-कोने में जा रहे हैं. इन मुद्दों में सबसे प्रमुख मसला समाज की एकजुटता और राजनीतिक तथा समाजिक क्षेत्रों में हमारे समाज की संख्या के हिसाब से समुचित भागीदारी है. ज्ञातव्य हो कि मंडल कमिशन के मुताबिक हमारे समाज की संख्या कुल जनसंख्या का 52% है जिसे आजादी के बाद से तकरीबन 40 वर्षों तक 4-5% के कोटे से बाँध कर रखा गया, बाद में समाजिक दबाव बढ़ने पर इस कोटे को थोड़ा सा बढ़ाकर 8-9% कर दिया गया, जो इस समाज के साथ सरासर अन्याय है. कोई भी जनसंख्या और कोटे के अनुपात को देखकर यह जान सकता है कि हमारा समाज आज भी पिछड़ा क्यों कहलाता है. दरअसल इसके सबसे बड़े जिम्मेदार हमारे समाज के ही कुछ लोग हैं, जो खुद को पिछड़े-अतिपिछडे समाज के वोटों का ठेकेदार समझते हैं. विभिन्न राजनीतिक दलों के शह पर उन्होंने हमारे समाज को आपस में बांटे रखा है. वह नही चाहते हैं कि हमारे समाज को समुचित भागीदारी मिले और इस समाज के लोग आगे बढे. इन्हें डर है कि अगर यह समाज आगे बढ़ गया तो इनका वर्चस्व खतरे में पड़ जाएगा. राजगीर में हुए सम्मेलन में सबने एक स्वर में इस बात को स्वीकार किया और यह तय हुआ कि आगामी चुनावों में हमे एकजुट रहना है, जिससे सभी राजनीतिक दल हमारे समाज के पीछे दौड़े. अपनी संख्या को देखते हुए हम समझ चुके हैं कि हमे किसी के पीछे जाने की जरूरत नही हैं. सम्मेलन में यह तय हुआ है कि अगर राजनीतिक दलों को हमारे समाज का वोट चाहिए तो उन्हें हमारे समाज को कोटा नही बल्कि कम से कम 40% की भागीदारी देनी ही होगी. अगले दो महीनों में हम इस बात को लेकर राज्य के हर हिस्से में अपने समाज के पास लेकर जायेंगे और उनसे भी सुझाव मांगेंगे. हम उन्हें मोदी जी के सबका साथ-सबका विकास के बारे में भी बताएँगे कि कैसे आपसी एकजुटता से हम इसका अधिक से अधिक लाभ अपने समाज को दे सकेंगे.” 

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