वामपंथी-नक्सली विचारधारा से प्रभावित अरविन्द केजरीवाल सरकार -ओम प्रकाश शर्मा

नई दिल्ली, 9 नवम्बर।  विधायक श्री ओम प्रकाश शर्मा एवं भाजपा प्रदेश प्रवक्ता श्री प्रवीण शंकर कपूर ने आज एक पत्रकारवार्ता में आम आदमी पार्टी द्वारा दिवाली के पटाखों को लेकर की जा रही ओछी राजनीति के लिए उनकी निंदा की है। पत्रकारवार्ता में दिल्ली भाजपा के प्रवक्ता श्री हरीश खुराना और मीडिया प्रमुख श्री अशोक गोयल उपस्थिति थे।
श्री ओम प्रकाश शर्मा, श्री प्रवीण शंकर कपूर एवं पत्रकारवार्ता में उपस्थित सभी भाजपा नेताओं ने आम आदमी पार्टी से दो प्रश्न किये कि (1) 23 अक्टूबर से 7 नवम्बर के बीच अरविन्द केजरीवाल सरकार ने दिल्ली की जनता को ग्रीन पटाखे उपलब्ध कराने के लिए क्या प्रयास किये (2) अरविन्द केजरीवाल सरकार प्रदूषण पर हमेशा ओछी राजनीति करती रही है, कभी कोई न्यायोचित निर्णय नहीं किया। अगर अरविन्द केजरीवाल सरकार दिवाली के पटाखों को प्रदूषण का एक बड़ा कारण मानती है तो क्या वह आज से ही यह घोषणा करने को तैयार हैं कि 2019 में दिल्ली में दीपावली पर्व पर किसी को भी पटाखे नहीं जलाने दिये जायेंगे ?
भाजपा नेताओं ने मांग की है कि दिवाली से पूर्व पराली एवं पटाखों और मार्च-अप्रैल में वाहन प्रदूषण को दिल्ली की आवो हवा में घुटन के लिए जिम्मेदार बताकर बचने वाली अरविन्द केजरीवाल सरकार दिल्ली की जनता को बताये कि उन्होंने दिल्ली के प्रदूषण के कारणों के विश्लेषण और उसकी रोकथाम के लिए क्या सार्थक कदम उठाये ? केजरीवाल सरकार बताये कि उसने प्रदूषण के विरूद्ध लड़ाई के लिए आवश्यक मेट्रो के तीसरे और चैथे चरण को क्यों बाधित किया और इलेक्ट्रिक बसें क्यों नहीं ला रही है। सरकार यह भी बताये कि उसके पास जो लगभग 2000 करोड़ रूपये ग्रीन सेस का पैसा एकत्र हुआ है उसका उपयोग करके प्रदूषण नियंत्रण के लिए क्या कदम उठाये हैं ?
श्री ओम प्रकाश शर्मा ने कहा कि आम आदमी पार्टी के अधिकतर नेता वामपंथी एवं नक्सल विचारधारा से प्रभावित हैं और उनके लिए न्यायालय के निर्णयों का सम्मान करना या न करना एक राजनीतिक विषय-वस्तु है, जब उनको राजनीतिक रूप से जैसा उचित लगता है वे वैसे बयान देते हैं। इसी क्रम में उन्होंने पटाखों के विषय को भी लिया है और इस पर मेरे द्वारा दिये बयान को न्यायालय की अवमानना के रूप में प्रस्तुत करने की कोशिश की है।
श्री ओम प्रकाश शर्मा ने कहा कि न्यायालय ने जो ग्रीन पटाखे जलाने का निर्देश दिया वह स्वागत योग्य था पर साथ ही तर्क विहीन भी क्योंकि जिन ग्रीन पाटाखों का जिक्र न्यायलय ने किया था वह भारत ही नहीं विश्व के किसी देश में उपलब्ध नहीं हैं। जो भी जानकारी है उसके अनुसार ग्रीन पटाखों के निर्माण पर अभी रिसर्च चल रहा है और यह 2020 में ही बाजारों में उपलब्ध हो पायेंगे।

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