सपा-बसपा गठबंधन की न कोई दृष्टि थी न कोई सोच और न कोई जनहित से लेना-देना था: पाण्डेय
Date posted: 4 June 2019

लखनऊ : भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष व केन्द्रीय मंत्री डा. महेन्द्र नाथ पाण्डेय ने बसपा प्रमुख सुश्री मायावती द्वारा सपा-बसपा गठबंधन से अलग होने के ऐलान पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि यह एक अवसरवादी ठगबंधन था जो अपने परिवार को बचाने और भ्रष्टाचार को छुपाने के लिए किया गया था। इस गठबंधन की न कोई दृष्टि थी न कोई सोच और न कोई जनहित से लेनादेना था। डा. पाण्डेय ने बसपा प्रमुख द्वारा एक जाति विशेष पर वोट न देने के आरोप की निंदा करते हुए कहा कि जनता द्वारा सपा-बसपा की जातीय राजनीति को नकारने के बावजूद बसपा प्रमुख अपनी आदतों से बाज नहीं आ रही है।
उन्होंने कहा कि मतदाता चाहे किसी भी जाति-धर्म या वर्ग हो वो किसी राजनीतिक दल का बधुंआ मजदूर नहीं होता है। उन्होंने कहा हर मतदाता को यह अधिकार होता है कि वह राजनीतिक दलों द्वारा जनता के किये गये वादों और जनता के लिए किये गये कार्यो को आधार बनाकर अपनी पंसद या न पंसद के अनुसार अपने मत का प्रयोग करे। लेकिन बसपा प्रमुख की यह पुरानी आदत रही है कि वे जब भी चुनाव हारती है तो अपनी गलतियों से सबक लेने के बजाय किसी न किसी जाति-धर्म या वर्ग पर हार का ठिकरा फोड़ती है।
डा. पाण्डेय ने कहा कि अपने पिता की राजनीतिक और परिवारिक विरासत को संभाल पाने अखिलेश नाकाम साबित हुए है। उन्होंने कहा मायावती जी ने तो गठबंधन के पहले दिन से ही अखिलेश को अपरिपक्व और अनुभवहीन साबित करने में कोई कसर नहीं छोड़ी। उन्होंने गठबंधन से अलग होकर शायद इस बात के संकेत दिये कि जो अपने पिता-चाचा और परिवार का नहीं हुआ वो हमारा क्या होगा।
डा. पाण्डेन कहा कि जनता इन जातिवाद और धर्म की राजनीति करने वाले लोगों दलों को अब बर्दाश्त नहीं करेंगी। चाहे वो अकेले चुनाव लड़े या साथ मिलकर। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व मंे केन्द्र सरकार सबका साथ-सबका विकास के संकल्प के साथ जन-जन की सेवा और देश को प्रगति के पथ पर तेजी से आगे बढ़ाने के साथ ही विश्व में भारत को एक सशक्त और मजबूत राष्ट्र के रूप में स्थापित करने के लिए पूरी दृढ़ता और नये जोश के साथ काम करना शुरू कर दिया है।
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