आपसी एकता के बिना पिछड़ों को भागीदारी मिलना असंभव: राजीव रंजन

पटना, दिसंबर 27, 2018: पिछड़ा-अतिपिछड़ा समाज की समुचित भागीदारी के लिए आपसी एकता को जरूरी बताते हुए भाजपा प्रवक्ता सह पूर्व विधायक राजीव रंजन ने कहा “  देश में सबसे अधिक संख्या 52% की संख्या वाले पिछड़ा-अतिपिछड़ा समाज आज भी विकास के सारे पायदानों पर नीचे खड़ा है, जिसकी सबसे बड़ी वजह पिछड़े समाज में आने वाली जातियों के बीच आपसी एकता का अभाव है. इस समस्या के लिए सबसे बड़े दोषी हमारे ही समाज के कुछ ख़ास नेता हैं, जो खुद को इस समाज के वोटों का ठेकेदार समझ बैठे हैं. चुनावों के पहले इनके बयानों को देखें तो ऐसा लगता है कि अपनी जाति का विकास नही होने का सबसे ज्यादा दुःख इन्हें ही है और जब तक इनकी जाति का भला नही होगा तब तक न तो इन्हें नींद आने वाली है और न तो इनका खाना ही पचने वाला है. लेकिन हकीकत इसके साफ़ उलट होती है, चुनाव खत्म होने के बाद यह सारे वादे भूल जाते हैं. हर बार यह नेता अपनी बोली से पिछड़े-अतिपिछडे समाज के सीधेपन का फायदा उठा, पहले इन्हें आपस में ही जातियों के नाम पर लड़वाते हैं और फिर बाद में इनके वोटों को अपने राजनीतिक आकाओ को सौंप इस समाज के दुःख, तकलीफ से अपना पल्ला झाड़ लेते हैं. चुनाव दर चुनाव इनका यही रवैया रहता है. इनकी राजनीति पिछड़ों का भावनात्मक दोहन करने से शुरू होती है और चुनाव में इनके वोटों का आपस में बंटवारा कर समाप्त हो जाती है. दरअसल इनकी एक ही मंशा है कि इनका और इनके बाद इनके बाल-बच्चों का वर्चस्व इस समाज में बना रहे, जिससे इनकी आने वाली पीढियां सत्ता की मलाई खाते रहे. यह नही चाहते कि इनके परिवार के अलावा समाज के अन्य युवाओं को भी आगे बढ़ नेतृत्व करने का अवसर मिले, इसीलिए यह इन्हें आपस से ही उलझाए रहते हैं. अपने समाज को इन चुनावी नेताओं के चंगुल से बचाने तथा उनमे आपसी एकजुटता लाने के लिए हम जो राज्यव्यापी अभियान चला रहे हैं, उसमे भी लोगों का यही रुझान आ रहा है. आगामी 27 जनवरी को पटना में आयोजित होने वाले राज्यस्तरीय पिछड़ा-अतिपिछड़ा महासम्मेलन में हम इन नेताओं की पोल सारे पिछड़े समाज के सामने खोलने वाले हैं. पिछड़े समाज को समझना होगा कि पिछड़ा-अतिपिछड़ा समाज एक परिवार है और जब तक इनमे आपसी एकता नही आएगी इन्हें समुचित भागीदारी नही मिलने वाली.”

 

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