आलू की फसल में पिछेता झुलसा रोग से बचाव हेतु उद्यान विभाग ने दी किसानों को सलाह

लखनऊ: उत्तर प्रदेश में आजकल आकाश में बादल छाए हुए हैं और मौसम मेें लगातार आद्रर्ता बनी हुई है। मौसम के पूर्वानुमान के अनुसार ऐसी स्थिति अगले 3-4 दिनों तक बने रहने की संभावना है। मौसम की यह स्थिति आलू की फसल के पिछेता रोग के लिए अनुकूल है। इस परिस्थिति से निपटने के लिए उद्यान विभाग ने किसान भाइयों को आवश्यक सलाह दी है।
उद्यान विभाग के अनुसार जिन किसान भाइयों के आलू की फसल में अभी पिछेता झुलसा रोग प्रकट नहीं हुआ है वे मैन्कोजेब या प्रापीनेब या क्लोरोथेलोनील युक्त फफूँदनाशक दवा का 2.0-2.5 किग्रा0 दवा 1000 ली0 पानी में घोलकर प्रति हे0 छिड़काव करें। जिन खेतों में यह रोग लग चुका है उनमें किसी भी सिस्टमिक फफूंदनाशक-साइमोक्सानिल के साथ मैन्कोजेब या फनोमिडोन सहित मेनकोजेब अथवा डाइमेथोमार्फ के साथ मैन्कोजेब का 0.3 प्रतिशत (3.0 किग्रा0 प्रति हे0 1000 ली0 पानी में) की दर से छिड़काव करें। यदि बारिस की संभावना हो और पत्ती गीली हों तो फफूँनाशक के साथ 0.1 प्रतिशत स्टीकर का प्रयोग करना चाहिए।

उद्यान विभाग ने यह भी सलाह दी है कि फफूँदनाशक को 10 दिन के अन्तराल पर पुनः छिड़काव किया जा सकता है। रोग तीव्रता को देखते हुए दवा के छिड़काव के अन्तर को घटाया या बढ़ाया जा सकता है। किसानों को चाहिए कि वे किसी भी परिस्थिति में खेत में बारिस का पानी जमा न होने दे, जिससे आलू की फसल पूरी तरह सुरक्षित रहे और किसान बेहतर उत्पाद प्राप्त कर सकें।

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