पूरी भर्ती प्रक्रिया संदेह के घेरे में आती है और इसकी न्यायिक जांच होनी चाहिये -मनोज तिवारी

नई दिल्ली, 2 दिसम्बर।  दिल्ली सरकार के शिक्षा निदेशालय द्वारा जारी आदेशानुसार दिल्ली के 3 शिक्षकों को 30 नवंबर को अपनी सेवाएं देने के लिए नियुक्ति पत्र जारी किया गया लेकिन उन्हें दिल्ली के विभिन्न विद्यालयों में शिक्षक के तौर पर भर्ती होने का आदेश देते हुए 1 सितंबर और 19 अक्टूबर को अपने अपने विद्यालयों में उपस्थित रहने का अजीब सा आदेश पारित किया गया जिस पर प्रतिक्रिया देते हुए दिल्ली भाजपा अध्यक्ष श्री मनोज तिवारी ने कहा कि दिल्ली सरकार के शिक्षा निदेशालय द्वारा पारित यह आदेश एक बड़े घोटाले की ओर इशारा करता है यह पूरी भर्ती प्रक्रिया संदेह के घेरे में आती है और इसकी न्यायिक जांच होनी चाहिए।

श्री तिवारी ने कहा कि शिक्षा निदेशालय ने अपने आदेश में अध्यापकों को 1 सितम्बर और 19 अक्टूबर को ज्वाइन करने का फरमान सुनाया है नहीं तो कहा गया है कि आपकी दावेदारी अपने आप निष्क्रिय मानी जाएगी। दिल्ली सरकार के शिक्षा निदेशक का यह कहना  कि यह सिर्फ एक टाइपिंग की गलती है अपने आप में गैर जिम्मेदाराना है जिसकी जितनी भी निंदा की जाए वह कम है। यह भर्ती प्रक्रिया दिल्ली सरकार के दिल्ली सबोर्डिनेट सिलेक्शन बोर्ड द्वारा की गई है जिसमें गलती का कोई स्थान नहीं है  एक नजर में यह पूरी भर्ती प्रक्रिया संदेह के घेरे में आती है जो कि किसी बड़े भ्रष्टाचार की ओर इशारा करती है।

दिल्ली भाजपा अध्यापकों की भर्ती प्रक्रिया के न्यायिक जांच की मांग करती है और दिल्ली सरकार द्वारा भविष्य में ऐसी गलतियां दुबारा न हो यह सुनिश्चित करने की आशा रखती है।

श्री तिवारी ने कहा कि जिन शिक्षकों का चयन किया गया है उनके नाम विकास कुमार, मिनाक्षी सिंह और राकेश मोहन कोठारी है। केजरीवाल सरकार शिक्षा व्यवस्था के नाम पर दिल्ली में सिर्फ झूठ का प्रचार प्रसार कर रही है। दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया आॅस्ट्रिया जाने के लिये शिक्षा व्यवस्था की बड़ी-बड़ी बातों का दावा कर रहे थे, उनकी भी पोल खुल गई है। दिल्ली के सरकारी स्कूलों की व्यवस्था अत्यन्त खराब स्थिति में है विद्यालय के एक कमरे में एक ही क्लास के दो सेक्शन को बिठाकर शिक्षा दी जा रही है क्योंकि शिक्षकों की कमी व दिल्ली सरकार का नए शिक्षकों को भर्ती न करने का असर दिल्ली के बच्चों की शिक्षा पर पढ़ता साफ नजर आ रहा है।

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