मेरठ क्रांति से मंगल पांडे का नाम जोड़कर लोगों को किया गुमराह: संजय गुर्जर

नोएडा: भारत से अंग्रेजों को भगाने के लिए मेरठ में 10 मई 1857 को एक क्रांति की शुरुवात हुयी थी।इस क्रांति के असली नायक कोतवाल धनसिंह गुर्जर थे।लेकिन फिर भी इतिहास के पन्नों में इनकी बजाय मंगल पांडे को इस क्रांति का हीरो बताकर लोगों को गुमराह किया गया है।इसी विषय पर बात करते हुये |

 भारत बचाओ संविधान बचाओ आंदोलन के राष्ट्रीय अध्यक्ष संजय गुर्जर ने बताया कि मेरठ से शुरु हुये प्रथम स्वतंत्रता संग्राम के असली नायक कोतवाल धनसिंह गुर्जर थे ना कि मंगल पांडे।बात करे मंगल पांडे की तो वो कोलकाता के बैरकपुर छावनी में सिपाही थे और 29 मार्च को गोली ना चलाने का विरोध करने पर 8 अप्रैल को फांसी की सजा दे दी गयी थी।29 दिन बाद क्रांति की शुरुवात मेरठ में 10 मई 1957 को हुयी थी।अब सवाल ये है कि क्रांति की शुरुवात होने से 29 दिन बाद पहले ही जब मंगल पांडे को फांसी दे दी थी तो वो इस क्रांति के हीरो कैसे बने।अब बात करे कोतवाल धन सिंह गुर्जर की तो वो उस वक्त मेरठ छावनी में तैनात थे।
10 मई 1957 को रात में करीब दो बजे कोतवाल धन सिंह गुर्जर ने आसपास के क्षेत्रों के लोगों जाट समुदाय से बाबा शाहमल जाट, मुस्लिम समुदाय से नबाब गजाउदीन, बाबा पीर बक्स ,नबाब वलीअहद खान, दादरी से राव उमराव सिंह व राव बिशन सिंह को पूरी प्लानिंग के तहत इकट्ठा किया और पूरे मेरठ कैंट और मैरठ छावनी क्षेत्र में अग्रेंजों के ठिकानों को तहत-नहस कर दिया था।836 कैदी जो उस समय जेल में थे और स्वतंत्रता आंदोलन का हिस्सा थे उनको रिहा कर दिया गया।इसके बाद यह आंदोलन मेरठ से लेकर दिल्ली तक फैल गया था।जिसकी वजह से आसपास के गांव और शहर  इस आंदोलन से पूरी तरह जुड़ चुके थे।इस आंदोलन से अग्रेंजी हुकूमत की नींव हिल गयी थी।
जिसके बाद कोतवाल धन सिंह गुर्जर व उसके 84 साथियों को फांसी दे दी गयी थी।इस आंदोलन से सीख लेते हुये अग्रेंजों ने लोगों का दमन करने के लिए 34,000 के आसपास ऐसे कानून बनाये जिससे कोई भी व्यक्ति उनके खिलाफ आवाज ना उठा सके।उन कानूनों में से कुछ आज भी लागू है।

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