समुचित राजनीतिक भागीदारी से ही आगे बढेगा पिछड़ा-अतिपिछड़ा समाज: राजीव रंजन

पटना, दिसंबर 21, 2018: पिछड़ा-अतिपिछड़ा महासम्मेलन के अध्यक्ष सह पूर्व विधायक श्री राजीव रंजन ने पिछड़ा-अतिपिछड़ा समाज के विकास के लिए संख्या के हिसाब से समुचित राजनीतिक भागीदारी को अतिमहत्वपूर्ण बताते हुए आगामी 27 जनवरी को पटना में आयोजित होने वाले महासम्मेलन के प्रमुख एजेंडों में शामिल बताया. उन्होंने कहा “ आजादी के बाद पहली बार केंद्र में कोई सरकार आयी है जो दशकों से विकास के आखरी पायदान पर खड़े पिछड़े-अतिपिछडे को आगे बढ़ाने की दिशा में कारगर प्रयत्न कर रही है. लेकिन अभी भी कई ऐसे मुद्दे हैं जो इस समाज के आगे बढ़ने में अवरोधक बन कर खड़े हैं. इनमे सबसे प्रमुख मसला इस समाज की संख्या के हिसाब से समुचित भागीदारी देने का है. याद करें तो बीपी मंडल की रिपोर्ट के अनुसार इस समाज की संख्या कुल जनसंख्या का 52% है, यानी बिहार की 11 करोड़ जनसंख्या में लगभग पौने 6 करोड़, लेकिन संख्या के हिसाब से इनकी राजनीतिक भागीदारी देखें तो वह ऊंट के मुह में जीरे के समान दिखाई देती है. याद करें तो आजादी के बाद से अगले 50 सालों तक कांग्रेसी सरकारों ने इस समाज को महज 4-5% के कोटे में बांधे रखा. उन्हें लगता था कि यह समाज अशिक्षित है, इसलिए इन्हें ज्यादा कोटा नही देना चाहिए. बाद में शिक्षा का स्तर बढ़ने पर भी इस समाज को मिलने वाले कोटे में कोई ख़ास बढ़ोतरी नही की गयी और मामूली बढ़ोतरी कर के इसे 8-9% तक कर दिया गया, जो इस समाज के साथ सरा-सर नाइंसाफी है. हकीकत मे यह राजनीतिक दल चाहते ही नही थे यह समाज कभी आगे बढे, उन्हें लगता था कि अगर यह समाज आगे बढ़ गया तो उनके नेताओं के परिवारों की आगे की पीढियां सत्ता की मलाई नही चाट सकेंगी और उनके युवराजों की जगह कोई गरीब-गुरबे का बेटा ले लेगा. इसीलिए इन दलों ने इस समाज को पीछे रखने के लिए भागीदारी की जगह कोटे का षड्यंत्र रचा. इस महासम्मेलन के माध्यम से सारे राजनीतिक दलों से हमारी यह मांग रहेगी कि कुल जनसंख्या के 52% वाले इस समाज को कम से कम 40% की राजनीतिक हिस्सेदारी मिलनी चाहिए, जिससे यह समाज भी विकास की मुख्यधारा में आ सके. अगर वह सच में इस समाज के हितैषी हैं, तो हमारे समाज को कोटे की जगह भागीदारी दिलाने की इस मुहीम में हमारा साथ दें और अपने-अपने दलों से इसकी शुरुआत करें.”

 

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