आदेश ने की नई शिक्षा नीति पर दिल्ली यूनिवर्सिटी के साथ वर्चुअल संवाद

नई दिल्ली:  नई शिक्षा नीति पर दिल्ली भाजपा अध्यक्ष आदेश गुप्ता ने आज वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से दिल्ली यूनिवर्सिटी के प्रोफेसरों के साथ वर्चुअल संवाद किया। वर्चुअल संवाद का आयोजन नेहा फाउंडेशन अध्यक्ष नेहा शालिनी दुआ ने किया था। इस वर्चुअल संवाद से हंसराज कॉलेज प्राचार्य रमा देवी, स्वदेशी जागरण मंच के राष्ट्रीय सह संयोजक एवं पीजीडीएवी कॉलेज प्रोफेसर डॉ. अश्विनी महाजन, प्रो. महेंद्र प्रजापति, प्रो. प्रभांशु ओझा सहित 320 प्रोफेसर और स्कॉलर जुड़े हुए थे।

आदेश गुप्ता ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी के प्रयासों से आजादी के 72 साल के बाद ऐसी शिक्षा नीति लाई गई है जो आज के परिपेक्ष में देश की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति के बारे में जागरूक करने के लिए हंसराज कॉलेज द्वारा की जा रही संगोष्ठी सराहनीय है। उन्होंने कहा कि अगर हम इतिहास को देखें तो अंग्रेजों ने प्रतिभाशाली बच्चों को आगे बढ़ने से रोकने और देश के प्रति उनके भाव को कम करने के लिए मैकाले की शिक्षा पद्धति को भारतीयों पर थोप दिया था। लेकिन महात्मा गांधी और सुभाष चंद्र बोस जैसे भी महापुरुष थे जिन्होंने उच्च शिक्षा हासिल की, लेकिन आजादी के आंदोलन के लिए उन्होंने उन डिग्रियों की तिलांजलि दे दी।
श्री गुप्ता ने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति 5़3़3़4 के तहत बच्चे शिक्षा तो प्राप्त करेंगे ही साथ ही वह देश के जिम्मेदार नागरिक भी बनेंगे। आजकल प्राइमरी स्कूल के बच्चों के बस्ते के बोझ में उनकी प्रतिभा दबकर रह जाती है लेकिन राष्ट्रीय शिक्षा नीति में समग्र रूप से बच्चों की प्रतिभा को पोषित किया जाएगा। कहा जाता है कि कोस-कोस पर पानी बदले, 3 कोस पर वाणी, नई शिक्षा नीति में भी क्षेत्रीय भाषाओं को भी स्थान दिया गया है जो भारत की विविधता को दर्शाता है। क्षेत्रीय भाषा में बच्चों की प्रतिभा ज्यादा उभर कर आती है, वह पूरे आत्मविश्वास के साथ संवाद कर पाते हैं। राष्ट्रीय शिक्षा नीति के तहत बच्चे निपुण होंगे और उनका प्रैक्टिकल नॉलेज भी बढ़ेगा। मोदी सरकार की कौशल विकास योजना को भी राष्ट्रीय शिक्षा नीति के माध्यम से गति मिलेगी।
श्री गुप्ता ने कहा कि भारत एक युवा देश है जहां कभी डॉक्टर-इंजीनियर-वकील बनाने की होड़ लगी हुई थी, शिक्षा नीति में हुए बदलाव से अब युवा क्रिएटिव विचारों को आगे बढ़ा सकेगा, अब शिक्षा के साथ-साथ वर्किंग कल्चर को भी जानेगा। जब नर्सरी का बच्चा भी नई तकनीक के बारे में पढ़ेगा, तो उसे भविष्य की तैयारी करने में आसानी होगी। बच्चों पर से रिजल्ट का दबाव कम होगा इसलिए हमें आगे आकर शिक्षण संस्था में नई शिक्षा नीति लागू करने की जरूरत है। स्कूलों में पढ़ाई को केवल बोर्ड परीक्षाओं तक ही सीमित न रखकर ऐसी व्यवस्था कायम होगी जहां बच्चों का चहुंमुखी विकास होगा। उन्होंने कहा कि कई वर्षों के रिसर्च, लोगों के सुझाव के आधार पर राष्ट्रीय शिक्षा नीति लाई गई है जो 21वीं सदी के नए भारत की नींव तैयार करने वाली है।

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