वसीम रिजवी धर्मांतरण में महन्त यति नरसिंहानंद सरस्वती पर हो कारवाई: संजय गुर्जर

नोएडा: उत्तर प्रदेश शिया वक्‍फ बोर्ड के पूर्व चेयरमैन वसीम रिजवी ने  इस्लाम धर्म छोड़कर हिंदू धर्म अपना लिया है।जिसके बाद वसीम रिजवी का अब नया नाम जितेंद्र नारायण त्यागी हो गया है।वसीम रिजवी के इस कदम पर कई तरह के रिएक्शन आ रहे है।कुछ लोग उनके इस कदम को सही तो कुछ लोग गलत बता रहे है।इसी विषय को लेकर नोएडा में पीस पार्टी द्वारा एक वार्ता का आयोजन किया।

वार्ता के दौरान पीस पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष संजय गुर्जर ने पत्रकारों से चर्चा करते हुये कहा कि अभी हाल ही में वसीम रिजवी जिनका धर्मांतरण कराया गया है और अब वसीम रिजवी से उनका नाम अब जितेंद्र नारायण त्यागी हो गया है।इस पूरी प्रक्रिया में नाटककार डासना मन्दिर गाजियबाद का एक कथित महन्त यति नरसिंहानंद सरस्वती है जो पहले से विवादों में रहा है।देश और संविधान सभी के लिये बराबर है।एक ओर कुछ दिन पहले मौलाना कलीम सिद्दकी पर एक आरोप लगाया गया कि वो धर्मांतरण करा रहे थे और इसके कारण उन्हें विभिन धाराओं में जेल भेज दिया गया।जब मौलाना कलीम सिद्दीकी दोषी हो सकते हैं तो ये बाबा यति नरसिंहानंद सरस्वती दोषी क्यों नही हो सकते।इसलिये इनपर भी कार्यवाही की जाये और जेल भेजा जाये।वसीम रिजवी और यति नरसिंहानंद सरस्वती दोनों ही विवादित चेहरे हैं, दूसरा सवाल सब से बड़ा ये है कि धर्मांतरण का स्थान डासना ही क्यों चुना गया? इसके पीछे के क्या कारण रहे? कही ये लोग धार्मिकता के पाखण्ड की आड़ में हिन्दू मुस्लिम दंगा तो नही कराना चाहते थे , क्योंकि डासना मुस्लिम बाहुल्य क्षेत्र है और मसूरी के आस पास का इलाका मुस्लिम बाहुल्य है तो वही  स्थान क्यों चुना गया? यह बहुत ही गम्भीर और सोचनीय विषय है, तीसरा त्यागी समाज मे धर्मांतरण हो रहा था या हिन्दू समाज का। हमारा मानना है इस प्रकरण की तुरन्त जांच हो और दोषी लोगों के खिलाफ कार्यवाही हो और इस धर्मांतरण के कारणों की जांच हो। क्योंकि देश मे इस प्रकार की विचारधारा कुछ भी करा सकती है।

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