एमिटी विश्वविद्यालय ने गाँधी जयंती पर आयोजित किया वेबिनार

नोएडा: एमिटी विश्वविद्यालय द्वारा आज गाँधी जयंती के उपलक्ष्य में वेबिनार आयोजित किआ गया जिसका शीर्षक था ‘गांवों के सशक्तिकरण के माध्यम से गांधीवादी परिप्रेक्ष्य को साकार करना . नोवरा अध्यक्ष एवं समाजसेवी रंजन तोमर को उनके द्वारा किये गए कार्यों एवं गांधीजी के विचारों का अनुसरण करने के कारण मुख्य वक्ता के रूप में आमंत्रित किया गया.

तोमर ने नॉएडा के गाँवों को एक केस स्टडी के रूप में छात्रों और मेहमानों के सामने रखा , उन्होंने गांधीजी के ग्रामीण क्षेत्रों पर विचारों को साझा किया , जहाँ गाँधी जी का मानना था के भारत गाँवों में बसता है और वहीँ उसे जीवन बेहतर करने के मौके दिए जाने चाहिए , शहर में अनावश्यक रूप से पलायन होने से वहां जनसँख्या विस्फोट होगा जिससे ग्रामीणांचल के लोगों को स्वाभिमान से रहने लायक स्तिथियाँ नहीं मिल सकती। ग्रामीण क्षेत्रों में स्वच्छता पर गांधीजी का पूरा ज़ोर रहा , स्वच्छता गांधीजी के लिए सिर्फ तन की ही नहीं मन की भी थी , ग्रामीण क्षेत्रों में सफाई हो , नालियां ,सीवर प्रणाली हो , स्वराज हो और ग्रामीण लोकतंत्र हो , और यदि कोई समस्या हो तो उसके खिलाफ सत्याग्रह करने की ,लोकतान्त्रिक विरोध करने की आज़ादी भी हो। इन्ही सब बिंदुओं पर नोवरा भी लगातार कार्यरत है।
छात्रों से आगे बात करते हुए श्री तोमर ने कहा के नोवरा गांधीजी के इन विचारों का अनुसरण कर हर प्रकार की स्वच्छता , भ्रस्टाचार के खिलाफ लड़ाई , गाँवों में शौचालय की लड़ाई , नाली सीवर के लिए आवाज़ उठाना , लोकतान्त्रिक विरोध जैसे डिजिटल धरना देना और लोकतान्त्रिक ग्रामीण स्वराज की लड़ाई लड़ रही है , नोवरा द्वारा सरकारी विद्यालयों के छात्रों के लिए खेलकूद के कमरे बनवाने की बात हो , या उन्हें जल संचयन का पाठ पढ़ाना , या ग्रामीण युवाओं को नौकरी के अधिकार की लड़ाई करना। नोवरा द्वारा विरोध प्रदर्शन कर जहाँ भंगेल रोड के निर्माण की मांग उठाना हो या बार बार ज्ञापन देकर सरकारों पर दबाव डाल ग्रामीण क्षेत्रो की दशा एवं दिशा बदलने की मुहीम हो ,सब शांतिपूर्ण गाँधीवादी तरीकों से किये और काफी हद तक सफलता पाई। यहाँ तक की अफ्रीकी मूल के छात्रों के साथ संधि कर ,उन्हें सम्मान दिला नोवरा ने एक नई राह देश के युवाओं को दिखाई। श्री तोमर ने अंत में कहा के गांधीजी के विचार कल भी ज़िंदा थे ,आज भी हैं और हमेशा हमें राह दिखाते रहेंगे , उनके विचार ग्रामीणांचल को ही शक्ति नहीं देते अपितु राष्ट्रिय और वैश्विक स्तर पर भी दुनिया के अनुसरण सबसे उपयुक्त हैं।
इस दौरान एमिटी विश्वविद्यालय के प्रोफेसर अरुण उपाध्याय , प्रोफेसर सचिन रस्तोगी , प्रोफेसर आशा वर्मा , प्रोफेसर अंकित शुक्ला समेत बड़ी संख्या में छात्र मौजूद रहे।

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