अर्नब गोस्वामी की गिरफ्तारी प्रेस की आजादी पर कुठाराघात: जायसवाल

पटना: पत्रकार अर्नब गोस्वामी की गिरफ्तारी को भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष डॉ संजय जायसवाल ने प्रेस की आजादी पर कुठाराघात बताया है। प्रसिद्द पत्रकार अर्नब गोस्वामी की गिरफ्तारी ने आपातकाल की यादें ताजा कर दी हैं. यह दिखाता है कि कांग्रेस-शिवसेना दोनों का लोकतंत्र में रत्ती भर भी विश्वास नहीं है और अपनी खुन्नस निकालने के लिए यह दोनों किसी भी हद को पार कर सकते हैं
मीडिया लोकतंत्र का चौथा खंभा होता है, अर्नब की गिरफ्तारी और उनके साथ की गयी मारपीट सीधे-सीधे लोकतांत्रिक मूल्यों पर कुठाराघात है. कहां है अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के नाम पर छाती पीटने वाले गिरोह!!

कांग्रेस की निगाह में भारत के टुकड़े-टुकड़े करने वाले नारे ‘अभिव्यक्ति की स्वतन्त्रता’ है. खुद राहुल गाँधी उनके समर्थन में नारे लगा चुके हैं. क्या राहुल आज अर्नब के समर्थन में मोमबत्ती जलाने की हिम्मत दिखाएंगे?

यह दिखाता है कि वंशवाद से सनी राजनीतिक पार्टियों पर सत्ता का घमंड किस कदर हावी होता है. सिर्फ एक ख़ास परिवार में पैदा होने की योग्यता के दम पर पार्टी की कमान हाथों में आ जाने और चाटुकारों की संगत में इन्हें यह एहसास ही नहीं होता कि इस देश में लोकतंत्र है, संविधान है, जिसने हर नागरिक को समान दर्जा और अधिकार प्राप्त है. यह भूल जाते हैं कि इस देश पर आम जनता का उतना ही हक है, जितना उनका सत्ता मिलने पर यह उसे अपना अधिकार समझने लगते हैं. यह देश इन्हें अपनी जागीर लगने लगती है. यही वजह है कि इन्हें अपनी आलोचना बिलकुल भी बर्दाश्त नहीं होती.

इस घटना ने राजद के कार्यकाल की यादें ताज़ा कर दी हैं. हालांकि शिवसेना-कांग्रेस-एनसीपी सरकार की तुलना में राजद-कांग्रेस का राज कई गुणा भयावह था. हत्या, नरसंहार की खबरों से अख़बारों के पन्ने रोजाना रंगे रहते थें. अपहरण तो एक उद्योग ही बन गया था. आम तो आम ख़ास भी सुरक्षित नहीं रहते थे. शो रूम से गाड़ियां उठा ली जाती थी, रंगदारी टैक्स लिए जाते थे. क्या महाराष्ट्र उसी राह पर तेजी से नहीं चल रहा है…

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