बिहार सरकार टी.पी.एस. काॅलेज द्वारा रखी गयी सभी मांगो को पूरा करेंगी: संजय

पटना: बिहार के उच्च शिक्षा की स्थिति अच्छी भी है और चिंताजनक भी है। इस क्षेत्र में बहुत कुछ करने की जरूरत है। बिहार में उच्च शिक्षा में सकल नामांकन अनुपात 13.6 प्रतिशत है जो देश में सबसे कम है। केवल राष्ट्रीय अनुपात स्तर तक पहुँचने के लिए प्रति वर्ष 18 लाख विघार्थियों का नामांकन काॅलेज में किये जाने की आवश्यकता है हमें उदारता से यह स्वीकार करना होगा कि हमारी शिक्षा की क्वालीटी अच्छी नहीं हैं। जिसके कारण राज्य के छात्रों को अन्य राज्यों का रूख करना पड़ता है और इससे राज्य का पैसा दूसरे राज्यों को चला जाता है।

हमें गंभीरता से सोचना होगा कि हमारी सामुहिक इच्छा शिक्षा में विकास के प्रति है कि नहीं। यह बातें अपर मुख्य सचिव, शिक्षा विभाग, बिहार सरकार संजय कुमार ने आज टी.पी.एस. काॅलेज में दार्शन शास्त्र द्वारा आयोजित त्रि-दिवसीय राष्ट्रीय सेमिनार ‘‘पर्यारवणीय समस्या: पारम्परिक एवं आधुनिक परिप्रेक्ष्य’’ के समापन समारोह में कही। मुख्य अतिथि के रूप में बोलते हुए उन्होंने कहा कि उच्च शिक्षा में मौलिक सोच को बढ़ावा देना जरूरी है। बच्चों को विकल्प की आजादी देनी होगी तभी उच्च शिक्षा का अच्छा नतीजा सामने आ सकेगा।

संजय ने भरोसा दिलाया कि राज्य सरकार टी.पी.एस. काॅलेज द्वारा रखी गयी सभी मांगो को पूरा करेंगी। उन्होंने छात्रों के मूल्यांकन के लिए नयी पद्धति विकसित करने की आवश्यकता पर बल देते हुए शिक्षाविदों का आहवान किया कि वह उच्च शिक्षा को नई दिशा देने में अपना सुक्षाव हमें दें।

समापन समारोह की अध्यक्षता करते हुए प्रधानाचार्य प्रो. उपेन्द्र प्रसाद सिंह ने कहा कि  टी.पी.एस. काॅलेज, उच्च शिक्षा के क्षेत्र में आधुनिक एवं स्तरीय शिक्षा के प्रति कटिबद्ध है। भरतीय दार्शनिक अनुसंधान परिषद, नई दिल्ली द्वारा सम्पोषित इस सेमिनार की सफलता इस बात का सबूत है कि हम हर क्षेत्र में ज्ञान वर्द्धन की कोशिश कर रहे है। विशिष्ट अतिथि पाटलिपुत्र विश्वविद्यालय के कुलसचिव प्रो. जितेन्द्र कुमार ने कहा कि पर्यावरण की समस्या असल में मानव मन की समस्या है। अतः हमें अपने मन को वश में रखकर इस समस्या का समाधान ढुंढ़ना होगा।

आयोजक सचिव प्रो. श्यामल किशोर ने अपनी रिपोर्ट पेश करते हुए बताया कि कुल 80 पत्र तीन दिनों में प्रस्तुत किये गये जबकि आज हुए आॅनलाईन सत्र में भरतीय दर्शन परिषद के अध्यक्ष प्रो. जटाशंकर (इलाहाबाद विश्वविद्यालय), प्रो. ए.एन.मीणा (जय नारायण व्यास विश्वविद्यालय जोधपुर), डाॅ. आलोक टण्डन (हरदोइ), डाॅ. संजय शुक्ला (इलाहाबाद) और सुश्री पुजा (दिल्ली विश्वविद्यालय) का विशेष व्याख्यान हुआ। आज हुए तकनिकी सत्र की अध्यक्षता प्रो. नरेश कुमार अम्बष्ट ने की। उन्होंने घोषणा की कि सेमिनार में प्रस्तुत किये गये पत्रों को संकलित कर पुस्तक प्रकाशित की जाएगी। प्रो. किशोर ने अपने संबोधन में पाटलिपुत्र विश्वविद्यालय द्वारा अतिथि शिक्षक द्वारा प्रकाशित विज्ञापन में दर्शन शास्त्र और उर्दू के पदों को शामिल नही किये जाने पर आश्चर्य व्यक्त करते हुए इसे अविलंब विज्ञापित करने की माॅग की।

समारोह का संचालन उर्दू के जाने माने लेखक प्रो. अबू बकर रिजवी ने किया। धन्यवाद ज्ञापन डाॅ. नागेन्द्र मिश्र ने किया। इस अवसर पर पटना विश्वविद्यालय की पूर्व दर्शन शास्त्र अध्यक्ष प्रो. पूनम सिंह एवं डाॅ. महेश्वर मिश्र ने सेमिनार के प्रति अपने अनुभव साझा किये। समारोह में प्रो. जावेद अख्तर खाॅ, प्रो. अंजलि प्रसाद, प्रो. शशि भूषण चैधरी, डाॅ. तनुजा, डाॅ. कृष्णनंदन प्रसाद, डाॅ. दिपिका शर्मा, डाॅ. बी.एन.ओझा, डाॅ. शशि प्रभा, डाॅ. एन.ए.नूरी, के इलावा बड़ी संख्या में देश भर से आये शिक्षक, शोधार्थी एवं विघार्थी मौजूद थे।

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