व्यापारी मनीष गुप्ता की हत्या करने वालों पर दर्ज हो मुकदमा: अरुण श्रीवास्तव

गोरखपुर: गोरखपुर के होटल कृष्णा पैलेस में कानपुर के व्यापारी मनीष गुप्ता की थानाध्यक्ष रामगढ़ ताल एवं उसके हमराहियों द्वारा हत्या के मामले में सबसे पहले गोरखपुर के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक और जिलाधिकारी के विरुद्ध मामला दबाने का एवं पीड़ित की तहरीर दबाव डालकर बदलवाने का मुकदमा दर्ज किया जाना चाहिए क्योंकि अब एसआईटी की जांच में यह बात खुलकर सामने आने लगी है कि मनीष गुप्ता का हत्या करने में पुलिस ही जिम्मेदार थी और होटल में उसके साथ रामगढ़ ताल पुलिस का व्यवहार बहुत ही हिंसक था तथा इस मामले में पुलिस द्वारा एवं वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक गोरखपुर तथा जिलाधिकारी गोरखपुर द्वारा मनीष गुप्ता मरहूम के पत्नी पर दबाव डालकर छह अपराधियों में से जो कि नामजद थे तीन अपराधियों का नाम तहरीर से निकलवाया गया था।

उस रात की घटना पुलिस द्वारा बहुत ही सोची समझी चाल के द्वारा की गई थी। इसमें गोरखपुर मेडिकल कॉलेज में भी दबाव डाल करके भर्ती के दो पर्चे बनवाने की बात सामने आई है जबकि एक ही पर्ची बनाने का कठोर नियम है।यह साबित करता है कि अगर मरहूम मनीष गुप्ता की पत्नी एवं उसके सहयोगी जिद नहीं करते तो मामले को रफा-दफा कर दिया गया होता। एसआईटी द्वारा तमाम उपलब्ध सबूत एवं कैमरों की जांच यह साबित हो गया है कि पुलिस ने झूठ बोला था और  वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक और जिलाधिकारी गोरखपुर द्वारा जानबूझकर मामले को दबाने की कोशिश की गई और अपराधियों को बचाने की कोशिश की गई है। अगर एसआईटी जांच नहीं होती तो अपराधियों के बच निकलने की पूरी गुंजाइश थी। जब जिम्मेदार अफसर ही मामले को दबाने में लग जाएंगे तो आम जनता का विश्वास सरकार पर से उठ जाएगा।

वैसे भी इस सरकार पर अब जनता का विश्वास नहीं रहा है और मुख्यमंत्री के शहर गोरखपुर में तो पूरी तरह से अराजकता व्याप्त है और भ्रष्टाचार का बोलबाला है। जनता को उत्पीड़ित करने में यह सरकार कोई गुंजाइश नहीं छोड़ रही है, अधिकारी बेलगाम हैं, रोज अखबारों में हत्या और बलात्कार की घटनाएं छप रही हैं। पुलिस द्वारा वारदात की घटनाओं का एफ आई आर दर्ज नहीं किया जाता है जो बहुत ही शर्मनाक और दुर्भाग्यपूर्ण हैं। पीस पार्टी इस मामले की घोर भर्त्सना करती है और सरकार से न्याय की मांग करते हुए गोरखपुर के जिलाधिकारी एवं  वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक के विरुद्ध कार्रवाई की मांग करती है।

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