मुख्यमंत्री केजरीवाल बताएं कि 44 ऑक्सीजन प्लांट क्यों नहीं लगे ?

नई दिल्ली:  कोरोना महामारी को लेकर दिल्ली में भयावह स्थिति बनी हुई है उसके इकलौते जिम्मेदार मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल हैं। केजरीवाल सरकार की कुप्रशासन और अक्षमता के कारण दिल्ली में ऑक्सीजन का संकट उत्पन्न हुआ, लेकिन फिर भी ऑक्सीजन आपूर्ति को लेकर झूठ बोलकर मुख्यमंत्री केजरीवाल और उनके मंत्री दिल्लीवासियों को गुमराह करते रहे जिसके कारण लोगों ने अपनों को खो दिया।

दम तोड़ती स्वास्थ्य व्यवस्था ने मुख्यमंत्री केजरीवाल की नाकामी को उजागर कर दिया, लेकिन जिम्मेदारी से बचने की कोशिश में केजरीवाल सरकार अपनी लापरवाही का ठीकरा केंद्र सरकार पर फोड़ने की कोशिश करती रही। कितनी शर्म की बात है कि जिस वक्त दिल्ली की जनता को केजरीवाल और उनकी पार्टी की सबसे ज्यादा जरूरत थी उस वक्त केजरीवाल और उनकी पार्टी के लोग दिल्ली की जनता को लूट रहे थे, उनकी जान की कीमत लगा रहे थे और ऑक्सीजन की कालाबाजारी कर रहे थे। खुद को दिल्ली का बेटा कहने वाले केजरीवाल ने महामारी से जूझ रही दिल्ली को उसके हाल पर ही छोड़ दिया।
प्रदेश कार्यालय में आज दिल्ली भाजपा अध्यक्ष आदेश गुप्ता, नेता प्रतिपक्ष रामवीर सिंह बिधूड़ी, दिल्ली भाजपा के पूर्व अध्यक्ष और सांसद मनोज तिवारी और सांसद प्रवेश साहिब सिंह ने संयुक्त प्रेस वार्ता को संबोधित किया। इस अवसर पर दिल्ली भाजपा प्रवक्ता हरीश खुराना उपस्थित थे।
दिल्ली भाजपा अध्यक्ष आदेश गुप्ता ने कहा कि केंद्र सरकार के बार-बार आग्रह करने के बाद भी केजरीवाल सरकार ऑक्सीजन उपलब्धता को लेकर गंभीर नहीं थी। जब 90 हजार से एक लाख कोरोना के केस दिल्ली में थे तब प्रतिदिन 433.1 मीट्रिक टन ऑक्सीजन (आवंटन 590 मीट्रिक टन) की खपत हो रही थी और केजरीवाल सरकार 976 मीट्रिक टन की मांग कर रही थी। वहीं महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, गुजरात जैसे राज्यों में 70 हजार से 80 हजार कोरोना केस थे और वहां 230-300 मीट्रिक टन ऑक्सीजन आपूर्ति से ही कोरोना मरीजों का इलाज हो रहा था। जबकि दिल्ली में प्रति 10 हजार व्यक्ति खपत सबसे अधिक आवंटन (61 मीट्रिक टन) भी था। जैसे ही ऑक्सीजन ऑडिट करने के लिए सुप्रीम कोर्ट ने एक पैनल बनाया वैसे ही केजरीवाल सरकार की 976 मीट्रिक टन की मांग घटकर 582 मीट्रिक टन पर आ गई क्योंकि इन्हें अपनी कलई खुलने का डर था। इसलिए उच्चतम न्यायालय में केजरीवाल सरकार ऑक्सीजन ऑडिट का विरोध कर रही थी। ऑक्सीजन को लेकर केजरीवाल सरकार के बदलते रुख को देखते हुए अब दिल्ली की जनता कि यह मांग है कि ऑक्सीजन ऑडिट होना चाहिए।
आदेश गुप्ता ने कहा कि ऑक्सीजन वितरण को लेकर केजरीवाल सरकार की वितरण प्रणाली अव्यवस्थित और अनियमित थी जिसके कारण अस्पताल में भर्ती कोरोना मरीजों को अपनी जान गंवानी पड़ी। ऑक्सीजन सप्लाई करने वाली एक कंपनी आईनॉक्स ने दिल्ली हाई कोर्ट को बताया कि वह दिल्ली के 45 अस्पतालों में ऑक्सीजन आपूर्ति कर रहे थे, लेकिन दिल्ली के मुख्य सचिव ने कंपनी को 25 अप्रैल, 2021 को पत्र लिखकर 17 अस्पताल में ही आपूर्ति करने का आदेश दिया। उन्होंने कहा कि बिना किसी वैकल्पिक व्यवस्था के बाकी के 28 अस्पतालों में हजारों की संख्या में भर्ती मरीजों का ऑक्सीजन बंद कर देना किसी अपराध से कम नहीं है। हालात इतने बदतर हो गए कि ऑक्सीजन की कमी के कारण दिल्ली के बत्रा अस्पताल में 12, सर गंगाराम अस्पताल में 25 और जयपुर गोल्डन अस्पताल में 20 कोरोना मरीजों की मौत हो गई। बत्रा अस्पताल के चिकित्सा निदेशक डॉ. एससीएल गुप्ता ने बताया कि ऑक्सीजन की कमी होने की जानकारी तुरंत ही प्रशासन को दी गई बावजूद इसके ऑक्सीजन देर से पहुंचा। सर गंगाराम अस्पताल के प्रमुख डॉ. डी एस राणा ने ऑक्सीजन संकट को लेकर कहा कि दिल्ली सरकार ऑक्सीजन आपूर्ति करने में लाचार है, इस स्थिति में हमें काम करने में काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है। जयपुर गोल्डन अस्पताल के चिकित्सा निदेशक डॉ. डी के बलूजा ने कहा कि दिल्ली सरकार ने ऑक्सीजन आपूर्ति को लेकर कोई वादा नहीं किया, बस भरसक कोशिश का हवाला देते रहे।
नेता प्रतिपक्ष श्री रामवीर सिंह बिधूड़ी ने कहा कि केंद्र सरकार ने 4 अप्रैल, 2020 और 25 सितंबर, 2020 को केजरीवाल सरकार को पत्र लिखकर ऑक्सीजन आपूर्ति, संबंधी आवश्यकताओं के संदर्भ में जानकारी मांगी थी लेकिन केजरीवाल सरकार ने केंद्र सरकार को कोई जवाब नहीं दिया। केजरीवाल सरकार दिल्लीवासियों के स्वास्थ्य के प्रति कितनी गंभीर है इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि 5 जनवरी, 2021 को केंद्र सरकार ने केजरीवाल सरकार को दिल्ली में 8 ऑक्सीजन प्लांट लगाने की मंजूरी के साथ ही इसे लगाने के लिए पीएम केयर्स फंड से राशि भी मुहैया कराई लेकिन केजरीवाल सरकार ने अब तक मात्र एक ही ऑक्सीजन प्लांट स्थापित किया है। यहां तक कि प्लांट लगाने के लिए नोडल ऑफिसर 9 अप्रैल, 2021 को नियुक्त किया, जो कि दिल्लीवासियों की जान के प्रति केजरीवाल सरकार की संवेदनहीनता को दर्शाता है। दिल्ली में कोरोना के मामले लगातार बढ़ते जा रहा है, लेकिन केजरीवाल सरकार ऑक्सीजन प्लांट लगाने की बजाए पंजाब विधानसभा चुनाव के मद्देनजर किसान आंदोलन के जरिए अपनी राजनीतिक रोटियां सेकने में व्यस्त थी क्योंकि उन्हें पंजाब में अपनी पार्टी का विस्तार करना है।
दिल्ली भाजपा के पूर्व अध्यक्ष और सांसद श्री मनोज तिवारी ने कहा कि केन्द्र सरकार द्वारा केजरीवाल सरकार को पत्रों के माध्यम से आगाह किया गया और तैयारी की जानकारी देने को भी बोला गया था, लेकिन केजरीवाल सरकार ने कोई उत्तर नहीं दिया और अपनी ओछी राजनीति में मशगूल रहे। उन्होंने बताया कि 19 अप्रैल, 2021 को मुख्यमंत्री केजरीवाल ने कहा कि दिल्ली में अतिरिक्त ऑक्सीजन की व्यवस्था है, ऑक्सीजन की कोई कमी नहीं है, लेकिन जब हकीकत में मरीजों को ऑक्सीजन की जरूरत हुई तो मुख्यमंत्री केंद्र सरकार से ऑक्सीजन की मांग करते नजर आए। ऑक्सीजन के लिए केजरीवाल सरकार की मांग के अनुरूप केंद्र सरकार ने ऑक्सीजन आवंटित किया, लेकिन केजरीवाल सरकार के पास न तो ऑक्सीजन लेने के लिए टैंकर की व्यवस्था थी और न ही उसे स्टोर करने के लिए कोई फैसिलिटी। ऑक्सीजन आपूर्ति में केजरीवाल सरकार के कुप्रबंधन का नतीजा रहा कि ऑक्सीजन की कमी को लेकर लोगों में भय का माहौल बन गया। इन चरमराती व्यवस्थाओं को सुधारने की बजाए केजरीवाल सरकार का पूरा ध्यान ऑक्सीजन की कालाबाजारी पर था जिसे दिल्लीवासियों ने देखा जब मुख्यमंत्री के करीबी व्यवसायी नवनीत कालरा को दिल्ली पुलिस ने ऑक्सीजन की कालाबाजारी के जुर्म में गिरफ्तार किया। दिल्ली हाईकोर्ट ने आम आदमी पार्टी के नेता प्रवीण कुमार और प्रीति तोमर को उनके पास ऑक्सीजन की उपलब्धता को लेकर नोटिस दिया है। उन्होंने बताया कि पेट्रोलियम और विस्फोटक सुरक्षा संगठन (पेसो) की रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि केंद्र सरकार दिल्ली को मेडिकल ऑक्सीजन की अतिरिक्त आपूर्ति कर रही है, जबकि दिल्ली को आपूर्ति के लिए अन्य राज्यों से मेडिकल ऑक्सीजन की आपूर्ति के लिए भी विशेष व्यवस्था की गई है। 9 मई, 2021 को केजरीवाल सरकार ने लिंडे कंपनी द्वारा आपूर्ति की गई 74 मीट्रिक टन लिक्विड ऑक्सीजन फरीदाबाद को लौटा दी थी। 10 मई, 2021 को केजरीवाल सरकार ने पानीपत में एयर लिक्विड कंपनी से अपने 38 मीट्रिक टन मेडिकल ऑक्सीजन को लौटा दिया। फिर 10 मई, 2021 को केजरीवाल सरकार ने सूरजपुर में आईनॉक्स कंपनी से अपने 37 मीट्रिक टन लिक्विड ऑक्सीजन को भी लौटा दिया। उसी दिन केजरीवाल सरकार ने भी कई मेडिकल ऑक्सीजन रिफिलर्स को अपने स्टोरेज में लगभग 37.5 मीट्रिक टन ऑक्सीजन स्टोर करने के लिए कहा। एक ओर केजरीवाल केंद्र की ओर से मिल रहे ऑक्सीजन को वापस करते रहे वहीं दूसरी ओर ऑक्सीजन के इंतजार में कोरोना मरीजों ने दम तोड़ दिया।
सांसद प्रवेश साहिब सिंह ने कहा कि संकट काल में भी केजरीवाल सरकार लापरवाह और गैर जिम्मेदाराना रवैया का परिचय समय-समय पर देती रही। 27 अप्रैल, 2021 को एक प्रेस वार्ता में मुख्यमंत्री केजरीवाल ने यह वादा किया कि 1 महीने के अंदर वह दिल्ली में 44 ऑक्सीजन प्लांट लगाएंगे। मुख्यमंत्री ने आगे कहा कि दिल्ली में ऑक्सीजन आपूर्ति के लिए बैंकाक से 18 क्रायोजेनिक टैंकर और फ्रांस से 21 ऑक्सीजन प्लांट आयात करेगी, और ओडिशा से ऑक्सीजन एयरलिफ्ट की जाएगी। एक ओर दिल्लीवासी महामारी त्रस्त थे तो वहीं दूसरी ओर मुख्यमंत्री घोषणा मंत्री की तरह सिर्फ घोषणाएं कर रहे थे। इन घोषणाओं से दिल्लीवासियों ने ऐसा महसूस किया कि मुख्यमंत्री जले पर नमक छिड़कने जैसा काम कर रहे हैं, क्योंकि उन्हें भी पता है कि ये घोषणाएं शायद ही धरातर पर साकार होगी। दिल्ली की जनता यह जानना चाहती है कि ऑक्सीजन टैंकर और प्लांट दिल्ली में कब आएंगे।
दिल्ली भाजपा ने केजरीवाल सरकार से पूछे पांच सवाल
1. उच्चतम न्यायालय द्वारा ऑक्सीजन ऑडिट के लिए इशारा मात्र करते ही दिल्ली में ऑक्सीजन की आवश्यकता अचानक से 976 से घटकर 582 कैसे हो गई, इसका जवाब दें?
2. जब आईनॉक्स दिल्ली के 45 अस्पतालों में ऑक्सीजन की आपूर्ति कर रहा था तो सिर्फ 17 अस्पतालों में ही आपूर्ति करने का आदेश क्यों दिया गया? बाकी के अस्पतालों में ऑक्सीजन की कमी के कारण हुई मृत्यु का जिम्मेदार कौन है?
3. दिल्ली में 8 ऑक्सीजन प्लांट लगाने के लिए पीएम केयर्स फंड से राशि लेने के बाद भी सिर्फ एक ऑक्सीजन प्लांट ही क्यों लगा?
4. दिल्ली में ऑक्सीजन आपूर्ति के कुप्रबंधन की जवाबदेही किसकी है? पूरे देश में सिर्फ दिल्ली में ही प्रति व्यक्ति ऑक्सीजन खपत  (per capita oxygen consumption) सबसे ज्यादा क्यों थी? 9 और 10 मई को केजरीवाल सरकार ने 100 मीट्रिक टन से अधिक ऑक्सीजन कंपनियों को वापस क्यों किया?
5. मुख्यमंत्री केजरीवाल बताएं कि 44 ऑक्सीजन प्लांट क्यों नहीं लगे? ऑक्सीजन आपूर्ति के लिए बैंकाक से 18 क्रायोजेनिक टैंकर और फ्रांस से 21 ऑक्सीजन प्लांट अभी तक क्यों नहीं मंगवाए गए? ओडिशा से ऑक्सीजन एयरलिफ्ट क्यों नहीं की गई?

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