पर्यावरण और मानव

पर्यावरण- परी+आ+वरण। इसमे परी और आ “उपसर्ग” है एवं वरण “प्रत्यय” है। पर्यावरण या जैव मंडल या पारिस्थितिकी तीनों पर्यायवाची शब्द है। सजीव और निर्जीव पृथ्वी और उसके वातावरणीय क्षेत्र पर स्वाभाविक रूप से होने वाली बातें पर्यावरण कहलाता है, या यूं कहें “परी” यानी जो हमारे चारों ओर है ,”आवरण” जो हमें सभी तरफ से घेरे हुए हैं अर्थात वही है पर्यावरण। हम जिस ग्रह पर रहते हैं वह पृथ्वी है ।

पृथ्वी पर चार प्रमुख घटकों -वायुमंडल ,जीव मंडल, स्थल मंडल और जल मंडल है ।प्राकृतिक संपदा एवं समस्याओं का संरक्षण और सुरक्षा जिसमें जल,मिट्टी, वन ,खनिज ,तेल ,कोयला ,गैस, हवा, ऑक्सीजन, बिजली ,पहाड़ ,नदी ,झरना, शामिल है ।पर्यावरण का हमारे जीवन में बहुत ही बड़ा महत्व है। यह हरे-भड़े पेड़-पौधे, जल ,पहाड़ और पठार, नदी और झड़ना स्थल, वायु, अग्नि, आकाश ,हमारे जीवन का अभिन्न अंग है ।इन सब के बिना मानव जीवन की कल्पना नहीं की जा सकती है। मानव शरीर भी जल, मिट्टी, वायु ,अग्नि और आकाश इन्हीं पंच भूतों से बना है। मृत्यु के बाद इन्हीं में विलीन हो जाता है ।पर्यावरण से हमें स्वच्छ हवा, पानी, (पीने, खेती के लिए), प्राकृतिक रोशनी, स्वस्थ जीवन शैली में मददगार, रहने के लिए भूमि, फल-फूल, नदी-नाले, भोजन ,तेल,प्राकृतिक गैस,कोयला ,खनिज संपदा, वन्यजीव, वनसम्पदा, विभिन्न प्रकार के मौसम ,वर्षा ,आदि सब मिलता है ।पर्यावरण में असंतुलन से या संरक्षण नहीं करने से मानव जीवन पर घोर संकट आते रहता है। प्रकृति के बिना, पर्यावरण संरक्षण के बिना ,जीवन की कल्पना संभव नहीं है। पर्यावरण धरती पर स्वस्थ जीवन का अस्तित्व रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। पर्यावरण का अत्यधिक दोहन, शोषण ,के कारण हमारे ऊपर विपरीत प्रभाव पड़ रहा है। ग्लोबल वार्मिंग, हिमखंड का पिघलना ,सागर का अम्लीकरण, बड़े पैमाने पर बिलुप्त होते जीव-जंतु, वन संपदा का नष्ट होना, नदी, तालाब, झरने,का सूखने से वन, पहाड़ के खत्म होने से पर्यावरण में असंतुलन पैदा हुआ ।जिस कारण अत्यधिक वर्षा, कभी-कभी कम वर्षा, सूखा ,बाढ़ की स्थिति,वायुमंडल में ऑक्सीजन की कमी ,वायुमंडल का गर्म होने से कई प्रकार की बीमारी का होना, जल संकट ,भूजल का स्तर नीचे गिरना, नदी, नालों, तालाबों का सूखना ,मिट्टी का क्षरण ,समुद्र का उथला होना, समुद्र का जल स्तर का बढ़ना, कृषि उपज पर प्रभाव, इन सब चीजों को हमें झेलना पड़ रहा है। हमने अपनी भौतिक सुखों के लिए पेड़ को काट डाला, जबकि एक पेड़ पूरे जीवन काल में ₹80करोड़ का सिर्फ ऑक्सीजन देता है ।फल-फूल, छाया ,हरी पत्तियां,लकड़ी सब को जोड़ दें तो एक पेड़ 100 करोड़ के बराबर है ।जिस घर के पास 10 पेड़ लगे हैं वहां के लोगों की आयु 7 वर्ष बढ़ जाती है। पहाड़ों के काटने से, खनिज संपदा के दोहन से ,पर्यावरण असंतुलित हो गया है ।

पृथ्वी 1 वर्ष में जितना कुछ बनाती है, उसे हम 7 महीने में ही खर्च कर दे रहे हैं ।अभी हमारे पास मात्र 114 वर्ष का कोयले का भंडार है। 53 वर्ष का प्राकृतिक तेल एवं गैस का भंडार है। 54 वर्ष का ही खनिज संपदा बचा है ।पर्यावरण में मात्र 21% के लगभग ऑक्सीजन बचा है,78 प्रतिशत नाइट्रोजन है,शेष 1 प्रतिशत में अन्य गैस है ।5 जून 2021 शनिवार को विश्व पर्यावरण दिवस मनाया जाएगा ।5 जून 1974 का पहला विश्व पर्यावरण दिवस स्वीडन के स्टॉकहोम में 119 देशों ने मिलकर मनाया था। पर्यावरण की सुरक्षा और संरक्षण हेतु समूचा विश्व इस अवसर पर संकल्प लेते हैं । रियो डी जनेरियो से लेकर के कोपनहेगन तक या फिर पिछले वर्ष चीन में पूरा विश्व ने संकल्प लिया पर्यावरण के संरक्षण का। आज विश्व के अधिकांश देश जंगलों, पहाड़ों को काटकर, उद्योगों को लगाकर, पर्यावरण के लिए खतरा पैदा किया है ।अधिक से अधिक एयर कंडीशन लगाने से वायुमंडल में क्लोरोफ्लोरोकार्बन ने ओजोन परत में छिद्र कर दिया है ।ओजोन परत वायुमंडल में सूर्य की पराबैंगनी किरणों को रोकता है। इससे पृथ्वी पर सूर्य का तापमान संतुलित रहता है ।चर्म रोग ,कैंसर जैसे रोग कम होते हैं ।भारत सरकार और बिहार सरकार के संयुक्त प्रयास से पर्यावरण संरक्षण हेतु जल-जीवन-हरियाली हेतु अधिक से अधिक पौधे लगाकर जल संरक्षण,वायु का शुद्धीकरण ,पर्यावरण संरक्षण का काम कर रही है। बिहार सरकार ने पिछले साल 3 करोड़ 40 लाख पौधे लगाए ,जो लक्ष्य से 96 लाख अधिक था ।इसी तरह हमने गया में पौधारोपण को अधिक से अधिक किया,जिससे गया का भूजल का स्तर 5 फीट ऊपर आ गया। गया के तापमान में भी कमी आई। इस वर्ष भी हम सब गया में एक लाख पौधा लगाने का प्रयास एक साल के लिए लक्ष्य रखा है ।बिहार सरकार इस वर्ष में 43लाख62हजार पौधे जल जीवन हरियाली के तहत लगाने जा रही है । पिछले वर्ष लोकडॉन में जिस तरह से पर्यावरण में अच्छा रिस्पांस दिया, लगा हम सब कितने प्रकृति के, पर्यावरण से जुड़ गए हैं। आकाश साफ हो गया था ,स्वच्छ हवा, दिनभर पक्षियों का कलरव ,पर्याप्त मात्रा में वर्षा,अति सुंदर वातावरण की स्थिति थी । प्रकृति के साथ हमें जीना चाहिए। प्रकृति के करीब रहना चाहिए। जितना पर्यावरण सुरक्षित एवं संरक्षित रहेगा, उतना ही मानव जीवन, स्वस्थ एवं दीर्घायु होगा। अतः आइए पर्यावरण बचाइए, पौधे लगाइए।

*हर मंदिर में बँटे ही प्रसाद एक पौधा और जैविक खाद ।

हर मस्जिद से एक ही अजान दरख़्त लगाए हर इंसान।

 हर गुरुद्वारे में एक ही बानी दे हर बंदा पौधों में पानी ।

हर चर्च दे अब यही शिक्षा पौधा लगाओ यीशु की इच्छा।

सांसे हो रही नित नित कम आओ पौधा जल्द लगाएं हम।

 

डॉ प्रेम कुमार

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