कोरोना संकट में भी ‘मेक इन इंडिया’ ने लहराया परचम: संजय जायसवाल

पटना: कोरोना काल में ‘मेक इन इंडिया’ को मिल रही सफलता के बारे में बताते हुए भाजपा प्रदेश अध्यक्ष डॉ संजय जायसवाल ने कहा “ किसी वैश्विक संकट को भी अपने देश के लिए एक बेहतर अवसर के रूप में कैसे बदला जा सकता है यह शायद ही कोई बता पाए. लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसे देश को बताया ही नहीं बल्कि कर के दिखा दिया है. कोरोना जैसी वैश्विक महामारी से निपटने के लिए जहां बड़े से बड़े देश को पानी मांगना पड़ रहा है, वहीं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस भीषण संकट के दौर में भी देश को आत्मनिर्भरता की ओर ले जाने में सफल रहे हैं.

यह भारत को उत्पादन क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाने के संकल्प ‘मेक इन इंडिया’ की ही देन है जो देश कुछ समय पहले तक स्वास्थ्य क्षेत्र की कई चीजों के लिए दूसरे देशों पर निर्भर था, वह आज न केवल उन वस्तुओं का उत्पादन कर रहा है, बल्कि दूसरे देशों को मदद भी देने लगा है.‘मेक इन इंडिया’ के बैनर तले पीपीई, मास्क और वेंटिलेटर के निर्माण में देश ने बड़ी छलांग लगाई है. गौरतलब हो कि पहले भारत में पीपीई किट और N-95 मास्क का निर्माण नहीं होता था. लेकिन आज 250 घरेलू निर्माताओं द्वारा रोजाना 2 लाख से अधिक किटों का निर्माण किया जा रहा है.

भारतीय उद्योगों की इसी ताकत से महज कुछ महीनों में ही भारत पीपीई निर्माण में चीन के बाद दुनिया में दूसरे नंबर पर आ चुका है और विशेषज्ञों के मुताबिक जल्द ही भारत के पहले नंबर पर पहुंच जाने की उम्मीद है. इसी तरह हमारे कंपनियां आज रोजाना तकरीबन 4.5 लाख N-95 मास्क का निर्माण कर रही हैं, जिससे भारत इनके उत्पादन में भी नंबर 2 स्थान पर पहुँच गया है. आज नौ घरेलू निर्माताओं के जरिए देश में 60,000 वेंटिलेटरों का निर्माण किया जा चुका है. इसके अलावा आइआइटी कानपूर ने कोरोना किलर बॉक्स का निर्माण किया है, जो पराबैंगनी किरणों के जरिए रोजमर्रा के सामानों को साफ़ करता है. इसी तरह आइआइटी मद्रास ने भी ‘स्मार्ट बिन सिस्टम’ विकसित किया है, जो अस्पतालों के कचरे से कोविड के प्रसार को रोकने में कारगर साबित हो रहा है.

इसके अतिरिक्त विश्व के अन्य देशों से मुकाबला करते हुए भारत कोरोना के वैक्सीन निर्माण पर भी तेजी से काम कर रहा है. फिलहाल 30 से अधिक वैक्सीन अपने निर्माण के विभिन्न चरणों में है. वास्तव में प्रधानमन्त्री मोदी के नेतृत्व में भारतीय कंपनियों और संस्थानों ने चुनौतियों को एक बार फिर अवसर में बदलते एक बार फिर यह साबित कर दिया है कि अगर सबल और सशक्त नेतृत्व मिले तो भारतीय दुनिया में किसी से कम नहीं है.”

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