नसबंदी के 3 माह बाद तक सतर्क रहें पुरुष : डॉ. शबीह मजहर
Date posted: 19 January 2022
नोएडा: पुरुष नसबंदी के बाद परिवार नियोजन के लिए तीन महीने तक एहतियात रखना जरूरी है क्योंकि तीन महीने तक गर्भ ठहरने की आशंका रहती है। इसलिए पुरुष नसबंदी के बाद तीन महीने तक परिवार नियोजन का कोई भी अस्थाई साधन अपनाना आवश्यक है। यह कहना है जिला अस्पताल में तैनात शल्य चिकित्सक डॉ. शबीह मजहर का। डॉ. मजहर जनपद की एक मात्र महिला शल्य चिकित्सक हैं, जो पुरुष नसबंदी भी करती हैं। अब तक वह 65 पुरुषों की नसबंदी कर चुकी हैं।
डा. शबीह ने बताया पुरुष नसबंदी के बाद परिवार नियोजन के लिहाज से कम से कम तीन महीने तक एहतियात बरतना जरूरी होता है, क्योंकि तीन महीने तक शुक्राशय में शुक्राणु सक्रिय रहते हैं। यदि इस बीच शारीरिक संबंध बनाये जाते हैं तो महिला के गर्भ ठहरने का डर बना रहता है। उन्होंने बताया हालांकि नसबंदी करने के बाद पुरुष को इसके बारे में हिदायत दे दी जाती है, साथ ही बताया जाता है कि इन तीन महीने के दौरान वह निरोध अथवा कोई भी परिवार नियोजन का अस्थायी साधन जरूर अपनाए। उन्होंने बताया पुरुषों में प्राकृतिक रूप से तीन महीने तक शुक्राशय में शुक्राणु सक्रिय रहते हैं। शुक्राशय से शुक्राणु को पूरी तरह से खाली करने के लिए 25 से 30 बार उनका निष्कासन (इजेकुलेशन) होना जरूरी है। यदि शुक्राणु निष्कासन नहीं होता है तो तीन महीने बाद वह स्वत: ही निष्क्रिय हो जाते हैं। उन्होंने बताया नसबंदी के तीन महीने बाद सीमन विश्लेषण (एनालेसिस) होता है। इसके बाद ही पुरुषों को नसबंदी का प्रमाण दिया जाता है।
गलत फहमी के चलते नहीं कराते पुरुष नसबंदी
डा. शबीह कहती हैं घर संभालने का मामला हो, या परिवार संभालने की बात हो, अथवा परिवार नियोजन का मुद्दा हो, हर दम समाज का हर तबका महिलाओं को आगे कर देता है। नसबंदी के मामले में तो पुरुषों की भागीदारी बहुत कम है। सरकार द्वारा तमाम जागरूकता कार्यक्रम चलाये जाने के बाद भी इसको लेकर गलत फहमी और भ्रांतियां बरकरार हैं। जहां पढ़े लिखे लोगों को लगता है कि नसबंदी कराने के बाद उन्हें शारीरिक कमजोरी हो जाएगी और संबंध बनाने में दिक्कत आएगी वहीं मजदूर वर्ग समझता है कि नसबंदी के बाद शारीरिक कमजोरी के चलते वह काम करने लायक नहीं रहेगा और उसके सामने रोजी रोटी का संकट पैदा हो जाएगा। उन्होंने कहा यह सब बातें एकदम गलत हैं। नसबंदी से किसी तरह की कोई कमजोरी नहीं आती है। नसबंदी कराने के अगले दिन से पुरुष कामकाज कर सकता है।
अब तक 65 पुरुष नसबंदी कर चुकी हैं डा. शबीह मजहर
डा. शबीह मजहर जनपद की एक मात्र महिला शल्य चिकित्सक हैं। साधारण शल्य क्रिया के साथ वह अब तक करीब 65 पुरुषों की नसबंदी कर चुकी हैं। यही नहीं वह लोगों को परिवार नियोजन के लिए जागरूक भी करती रहती हैं। उनका कहना है कि अभी परिवार नियोजन में पुरुषों की भागीदारी बहुत कम है। जबतक नसबंदी को लेकर भ्रांतिया बरकरार रहेंगी, पुरुष इसके लिए आगे नहीं आएंगे। इसलिए जागरूकता के माध्यम से यह भ्रांति तोड़ना बहुत जरूरी है।
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