मोदी ने सांस्कृतिक राष्ट्रवाद की ऐसी लकीर खिची कि अब उसे पार कर पाना दूसरे नेताओं के लिए नामुमकिन

पटना: बिहार भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता और पूर्व विधायक मनोज शर्मा ने बयान जारी करते हुए कहा कि सांस्कृतिक राष्ट्रवाद का आधार हमारी युगों पुरानी संस्कृति है, जो सदियों से चली आ रही है। यह सांस्कृतिक एकता है, जो किसी भी बन्धन से अधिक मजबूत और टिकाऊ है, जो किसी देश में लोगों को एकजुट करने में सक्षम है और जिसमें इस देश को एक राष्ट्र के सूत्र में बांध रखा है।  सांस्कृतिक राष्ट्रवाद के एजेंडे को श्री नरेंद्र मोदी इसी रूप में पूरा कर रहे है। पिछले पांच दशकों में भारत के राजनीतिक नेत्तृत्व के पास दुनिया में अपना सामर्थ्य बताने के लिए कुछ भी नही था।

सच तो ये है की इन राजनीतिक दुष्चक्रों के कारण हम अपनी अहिंसा को अपनी कायरता की ढ़ाल बनाकर जी रहे थे। आज पहली बार विश्व की महाशक्तियों ने समझा है कि भारत की अहिंसा इसके सामर्थ्य से निकलती है। जो भारत को 60 वर्षो में पहली बार मिली है। सवा सौ  करोड़ भारतीयों के स्वाभिमान का भारत अब खड़ा हो चुका है और यह आत्मविश्वास ही सबसे बड़ी पूंजी है।  आज जो माननीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सांस्कृतिक राष्ट्रवाद की लकीर खिची है अब उसे पार कर पाना दूसरे नेताओं के लिए नामुमकिन है।   
किसी भी देश, समाज और राष्ट्र के विकास की प्रक्रिया के आधारभूत तत्व मानवता, राष्ट्र, समुदाय, परिवार और व्यक्ति ही केंद्र में होता है। जिससे वहां के लोग आपसी भाईचारे से अपनी विकास की नींव को मजबुत कर आगे को बढ़ते हैं। अपने साढे सात साल के कार्यकाल में माननीय श्री नरेंद्र मोदी इसी मूल तत्व के साथ आगे बढ़ रहे हैं। साढे सात साल पहले जब श्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भाजपा ने पूर्ण बहुमत से केंद्र में सरकार बनाई, तब इनके सामने तमाम चुनौतियां खड़ी थीं और जन अपेक्षाएं काफी थी।  ऐसे में प्रधानमंत्री और उनके मंत्रिपरिषद के सहयोगियों के लिए चुनौतियों का सामना करते हुए विकास के पहिये को आगे बढ़ाना आसान राह नही थी। लेकिन मात्र सात साल में ही श्री नरेंद्र मोदी के कार्ययोजना का आधार बताता है कि उनके पास दूर दृष्टि और स्पष्ट दृष्टि है। आजादी के बाद छद्म हिन्दुवादी नेताओं ने जिस तरह से हिन्दुत्व का चीरहरण किया। जिस तरह से हिन्दुत्व को गिरवी रखने की तैयारी थी, उससे माननीय श्री नरेंद्र मोदी ने 2014 में मुक्ति दिला दी। आज हिन्दुत्व का मसला ग्लोबल हो चुका है। इसका श्रेय माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी को जाता है।
किसी भी सरकार और देश के लिए उसकी छवि महत्त्वपूर्ण होती है। नरेंद्र  मोदी इस बात को बखूबी समझते हैं। इसलिए दुनिया भर के तमाम देशो में जाकर भारत को याचक नहीं बल्कि शक्तिशाली और समर्थ देश के नाते स्थापित कर रहे हैं। श्री नरेंद्र मोदी जिस पार्टी के प्रतिनिधि के रूप में आज प्रधानमंत्री बने हैं, उस भारतीय जनता पार्टी का मूल विचार एकात्म मानव दर्शन और सांस्कृतिक राष्ट्रवाद है। दीनदयाल उपाध्याय भी इसी विचार को सत्ता द्वारा समाज के प्रत्येक तबके तक पहुचाने की बात करते थे।  समाज के सामने उपस्थित चुनौतियों के समाधान के लिए सरकार अलग-अलग समाधान खोजने की जगह एक योजनाबद्ध तरीके से काम करे।  लोगों के जीवन की गुणवत्ता, आधारभूत संरचना और सेवाओं में सुधार सामूहिक रूप से हो। प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी इसी योजना के साथ गरीबों , वंचितों और पीछे छूट गए लोगों के लिए प्रतिबद्व है और वे अंत्योदय के सिद्धांत पर कार्य करते दिख रहे हैं।

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