कांग्रेस की अब कोई क्रांति बिहार में रंग लाने वाली नहींः मंगल पांडेय

पटना:  स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडेय ने कहा है कि कांग्रेस की वर्चुअल रैली सिर्फ सदाकत आश्रम तक ही सीमित है। हाल यह है कि कांग्रेस का बिहार क्रांति महासम्मेलन लोगों को रास नहीं आ रहा है। बिहार में इससे जुड़ने वालों की संख्या नगण्य है। बिहार के लोगों का यह मानना है कि कांग्रेस राजद का पिछलग्गू बन कर रह गई है।

कार्यकर्ताविहीन कांग्रेस महागठबंधन का प्रमुख अंग सिर्फ कहने के लिए है। सच तो यह है कि कांग्रेस बिहार में अपना अस्तित्व बचाने को लेकर राजद के आगे नतमस्तक है। हाल यह है कि सीट शेयरिंग के मामले में राजद सुप्रीमो जेल से एक राष्ट्रीय पार्टी को कठपुतली की तरह नचा रहे हैं।

स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि कांग्रेस को बिहार की जनता ने तीन दशक पूर्व ही बिहार की सत्ता से इस कदर बेदखल किया कि अब भविष्य में भी उसके हाथों में सत्ता आने की संभावना नहीं है। कांग्रेस की अब कोई क्रांति बिहार में रंग लाने वाली नहीं है। यह अलग बात है कि राजद की कृपा से कभी-कभी कांग्रेस को सत्तासुख प्राप्त हुआ, लेकिन अब उसकी संभावना भी क्षीण है। क्यांेंकि उसकी बैसाखी ही कमजोर पड़ने वाली है। जिस राजद के भरोसे कांग्रेस विधान सभा चुनाव में जीत का ख्वाब देख रही है, वह कभी पूरा होने वाला नहीं है। जनता जानती है कि कांग्रेस ने तो आजादी के करीब चार दशक तक खुद तो देश और राज्य को लूटा ही, सत्ता जाने के बाद भी लूट के लिए भ्रष्टाचारियों से हाथ मिला कर सत्ता हासिल की और राज्य को विकास से कोसांे दूर रखा।

स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि बिहार में कांग्रेस का कोई जनाधार नहीं है। बिहार क्रांति महासम्मेलन के बहाने कांग्रेस लोगों से जुड़ना चाह रही है, लेकिन बिहार की जनता कांग्रेस की खोखली बातों को तरजीह नहीं दे रही है। यही नहीं महागठबंधन के साथी दल भी कांग्रेस को तबज्जो नहीं देते। आसन्न विधान सभा चुनाव में कांग्रेस की स्थिति ऐसी होगी कि विधायकों की संख्या दो अंक पहुंचेगी या नहीं, इसमें भी संदेह है। उन्होंने कहा कि महागठबंधन के अंदर कांग्रेस की स्थिति भीगी बिल्ली की तरह है। कांग्रेस के नेता भले ही उम्मीद पाले हुए हैं कि उन्हें प्र्याप्त अमुख सीट मिले, लेकिन राजद सुप्रीमो का जो फैसला होगा, वहीं कांग्रेस आलाकमान को भी मान्य होगा। बिहार के कांग्रेसी भले ही हवा में दावा ठोकते रहंे, लेकिन उनकी बातों को उनकी पार्टी आलाकमान भी सुनने को तैयार नहीं हैं।

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