अफगानिस्तान संकट से सबक लें सीएए का विरोध करने वाले दल: राजीव रंजन

पटना: सीएए का विरोध करने वाले दलों को अफगानिस्तान संकट से सीख लेने की नसीहत देते हुए भाजपा प्रदेश उपाध्यक्ष राजीव रंजन ने कहा कि अफगानिस्तान में तालिबानी कब्जे के बाद हो रहे खून-खराबे से आम अफगानियों की जिंदगी नरक बन गयी है। उनकी नृशंसता से वहां के बहुसंख्यक तो परेशान है ही लेकिन वहां के अल्पसंख्यकों का जीना मुहाल हो गया है।

उनकी स्थिति देख अब वह लोग भी बेचैन होने लगे हैं जो कांग्रेस और उसके सहयोगियों के दुष्प्रचार का शिकार बनकर सीएए का विरोध कर रहे थें। तालिबानियों की नृशंसता ने शाहीनबाग में बिरयानी बांटने वालों और उसे खाकर सीएए में मुद्दे पर मोदी सरकार को कोसने वाले दोनों को इस कानून के महत्व से भलीभांति परिचित करवा दिया है।

उन्होंने कहा कि पाकिस्तान, बंग्लादेश व अफगानिस्तान में वहां के अल्पसंख्यकों पर होने वाली ज्यादतियां कोई नयी बात नहीं है, बल्कि आजादी के बाद से ही जारी है। अभी हाल ही में मीडिया की सजगता से पाकिस्तान में महाराजा रणजीत सिंह की मूर्ति को तोड़ने, हिन्दू मंदिरों को ध्वस्त करने, उनकी लड़कियों को घर से उठा लेने जैसी कई घटनाएं सामने आयी हैं। यह घटनाएं दिखाती हैं कि कैसे इन देशों में अल्पसंख्यकों को दोयम दर्जे के नागरिक के तौर पर रखा जाता है। वास्तव में उनके कष्टों को सुनकर किसी के भी रोएं खड़े हो सकते हैं।

श्री रंजन ने कहा कि लोग अब समझ चुके हैं कि सीएए पर फैलाया गया विवाद अनायास नहीं बल्कि विरोधी दलों का सुनियोजित प्रयास था। वास्तव में सीएए इन मुल्कों में सताए जा रहे अल्पसंख्यकों को एक सम्मानजनक जीवन देने के लिए मोदी सरकार की एक ईमानदार पहल है, जिसे आजादी के बाद ही लागू कर देना चाहिए था। इसके तहत उन्हीं लोगों को उनका हक देने की बात हो रही है, जो कभी भारत माता की ही सन्तान थे और बंटवारा नहीं चाहते थे। इन्हें उनके अधिकार से वंचित रखने की कोशिश न केवल इन बेकसूरों के साथ बल्कि पूरी मानवता के साथ अन्याय होगा।

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