शराबबंदी से आया बदलाव राजद-कांग्रेस को पसंद नहीं: राजीव रंजन

पटना: शराबबंदी कानून की प्रशंसा करते हुए भाजपा प्रदेश उपाध्यक्ष ने कहा कि नशा वह समाजिक विकृति है जो न जाने कितने ही परिवारों की खुशियों को निगल चुका है. नशे में आदमी की बुद्धि भ्रष्ट हो जाती है, मानव दानव बन जाता है. इसीलिए बिहार सरकार ने राज्य में शराबबंदी को लागू किया था, जिससे यहां न केवल घरेलू हिंसा में कमी आयी है, बल्कि अब शराब के पैसे बच्चों की पढ़ाई-लिखाई व पोषण पर खर्च होने लगे हैं.

उन्होंने कहा कि शराबबंदी से जहां आम लोगों के जीवन के खुशहाली आयी है, वहीं इस बदलाव ने राजद-कांग्रेस जैसी विचारधारा रहित परिवारवादी पार्टियों की बेचैनी बढ़ा दी है. उन्हें यह बर्दाश्त ही नहीं हो रहा है कि जिस बिहार को उन्होंने नशे के गर्त में डूबोने में कोई कसर नहीं छोड़ी थी, वह आज इस मकड़जाल से कैसे निकल रहा है. यही वजह है कि इनके नेता शराबबंदी को फेल करने में जी-जान से जुटे हुए हैं.

उन्होंने कहा कि लोगों की माने तो शराब के अवैध व्यवसाय में संलिप्त अधिकांश लोग इन्हीं दोनों पार्टियों से जुड़े हुए हैं. इनके दो ही मकसद है, पहला कि इस अवैध धंधे से ज्यादा से ज्यादा कमाई की जाए और दूसरा सरकार को बदनाम करें. यही वजह है कि इनका कोई नेता शराबबंदी में सहयोग करना तो दूर इसके पक्ष में एक बयान तक नहीं देते. इनका प्रयास है कि बिहार में फिर से पहले वाला आतंकराज कायम हो और महिलाओं के खिलाफ हिंसा होते रहे. यह चाहते हैं कि यहां फिर से शराब की नदियां बहें, जिसके सहारे यह पैसे और वोट दोनों कमाने में मदद मिले.

शराबबंदी से हुई मौतों पर श्री रंजन ने कहा कि शराब पीना न केवल अनैतिक है बल्कि दंडनीय अपराध भी है. इसके बावजूद कुछ लोग अपने स्वार्थ के लिए शराब के कारोबार में लगे हुए हैं. चंद पैसों के लिए यह लोग शराब के नाम पर जहर बेच रहे हैं, जिनके जाल में फंस कर भोले-भाले लोग अपनी जान गंवा रहे हैं. हमारी सभी से अपील है कि अपने इलाकों में शराब के अवैध व्यापार में लिप्त लोगों की सूचना प्रशासन को दें तथा साथ ही ऐसे तत्वों का सामाजिक बहिष्कार करें. 

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