राहुल गाँधी की तरह बेसिर-पैर की हांकना बंद करें तेजस्वी: राजीव रंजन

पटना: राजद नेता तेजस्वी यादव पर करारा प्रहार करते हुए भाजपा प्रदेश उपाध्यक्ष राजीव रंजन ने कहा, “ बिना किसी राजनीतिक अनुभव के सिर्फ परिवारवाद के कारण राजद के प्रमुख बने तेजस्वी अपने राजनीतिक गुरु राहुल गाँधी की तरह झूठ और कुतर्कों की राजनीति को पूरी तरह अपना चुके हैं. जैसे राहुल बार-बार बेइज्जत होने के बाद भी झूठ बोलना नहीं छोड़ रहे, उसी तरह तेजस्वी भी बिना सोचे समझे झूठ पर झूठ बोले जा रहे हैं. 

यही वजह है कि रामसूरत राय जी द्वारा सारे सबूत पेश कर दिए जाने के बाद भी तेजस्वी घिसे-पिटे बयानों के जरिये उन्हें निशाना बनाने का लगातार प्रयास कर रहे हैं. ऐसा प्रतीत होता है कि उनके सलाहकारों ने उनके दिमाग में यह भर दिया है कि अपने से बड़ों को बेइज्जत करने और झूठ पर झूठ बोलने से बिहार की जनता उनके झांसे में आ जाएगी.”

रंजन ने कहा “ ऐसा लगता है कि रामसूरत राय जी के प्रति तेजस्वी के आक्रामक रुख का एकमात्र कारण उनका तेजस्वी का स्वजातीय होना है. सामन्तवादी व्यवस्था में पले-बढ़े तेजस्वी को यह बर्दाश्त ही नही हो रहा है कि उनकी जात का कोई दूसरा व्यक्ति उनसे ज्यादा ताकतवर हो रहा है. खुद को अपनी जात का युवराज मानने वाले तेजस्वी की निगाह में उनके स्वजातीय सिर्फ उनकी चाकरी करने के ही लायक हैं.”

भाजपा प्रदेश उपाध्यक्ष ने कहा “ जो नेता अपने से अधिक उम्र के नेताओं, कार्यकर्ताओं यहां तक कि रघुवंश बाबु जैसे पार्टी की स्थापना करने वाले की इज्जत नहीं कर सका, उससे अन्य दलों के नेताओं का सम्मान करने की अपेक्षा बेमानी है. उनमें अहंकार कूट-कूट कर भरा है, जो गाहे-बगाहे उनके बयानों और अन्य क्रियाकलापों में दिखता रहता है. इसी अहंकार के कारण पहले उन्होंने पहले राजद की दुर्गति की और बाद में महागठबंधन की भी धज्जियां बिखेर दीं हैं. परिक्रमा करने वाले लोगों को छोड़ दें तो तेजस्वी पर अब उनके कार्यकर्ताओं का रत्ती भर भी भरोसा नहीं है. वास्तव में राजनीति का ककहरा न जानने वाले अपने सलाहकारों की बदौलत राजनीति कर रहे तेजस्वी जब अपने पोस्टर से लालू जी को गायब कर सकते हैं तो उनके सामने बाकी नेताओं की क्या बिसात है, यह स्वत: समझा जा सकता है. जो नेता बीते चुनाव में अपने आवास पर टिकट मांगने आये मेहनती कार्यकर्ताओं की बत्ती बुझा कर पिटाई करवा सकते हैं, वह मौका मिलने पर जनता का क्या हाल करेंगे, यह बिहार के लोग अच्छे से जानते हैं. इसीलिए दुष्प्रचार के तमाम हथकंडे अपनाने के बाद भी जनता उन्हें सीरियसली नहीं लेती.” 

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