विशेष राज्य का मुद्दा बड़ों से समझे तेजस्वी: संजय जायसवाल

पटना: विशेष राज्य के मसले पर तेजस्वी यादव को नसीहत देते हुए भाजपा प्रदेश अध्यक्ष डॉ संजय जायसवाल ने आज कहा कि वंशवादी व्यवस्था से पार्टी के सिरमौर बने युवराजों की सबसे बड़ी समस्या यह होती है कि वह अपनी अनुभवहीनता में खुद को सभी विषयों का विशेषज्ञ मान लेते हैं. इन्हें न तो तर्क की परवाह रहती है और न ही तथ्यों कीलेकिन चाटुकारों की जी-हुजूरी के शिकार बन यह किसी भी मसले पर ज्ञान बघारने लगते हैं. तेजस्वी भी इसी समस्या से पीड़ित होकर आजकल विशेष राज्य के दर्जे को मुद्दा बनाने में लगे हुए है.

उन्होंने कहा कि इन्हें इतना तक नहीं पता है कि विशेष राज्य का दर्जा देना प्रधानमंत्री जी का काम नहीं है बल्कि यह काम नेशनल डेवलपमेंट काउंसिल करती है, जिसके सदस्य देश के तमाम राज्यों के मुख्यमंत्री होते हैं. जब कोई मुख्यमंत्री अपने राज्य के लिए विशेष राज्य का दर्जा मांग रहे हो, तब अन्य सभी मुख्यमंत्री अपने बजाए किसी एक राज्य को विशेष राज्य बनने देंगे, इस सोच में ही कमी है. वैसे भी 14वें वित्त आयोग की अनुशंसा के बाद भारत सरकार अब प्रदेश को 32% हिस्सेदारी के बदले 42% हिस्सेदारी दे रही है. इसके अतिरिक्त बिहार को प्रधानमंत्री जी ने 1 लाख 37 हजार करोड़ का पैकेज भी दिया है और आज भी एक लाख करोड़ से ज्यादा की योजनाएं सिर्फ सड़क के लिए दी है पर यह सब तेजस्वी जी को समझ में नहीं आएगा और झूठ की खेती करके वह आगे बढ़ने को वह सदैव सोचते रहेंगे.

 डॉ जायसवाल ने कहा कि तेजस्वी को यह तक नहीं पता है कि बिहार राजद-कांग्रेस के कुशासन के कारण ही बीमारू राज्य बना हुआ था. इसी के कारण विकास के सभी मानकों पर बिहार सबसे पिछड़े राज्यों में शुमार हो चुका था. तेजस्वी के माता-पिता की कृपा से ही तब ‘बिहारी’ शब्द का गाली की तरह प्रयोग किया जाने लगा था. इसी सूरतेहाल को शीघ्रता से बदलने के लिए तब नयी-नयी आयी एनडीए सरकार ने पहली बार बिहार के लिए विशेष दर्जे की मांग रखी थीजिसका राजद-कांग्रेस दोनों विरोध किया करते थे. लेकिन तब से अब में गंगा में काफी पानी बह चुका है. बिहार की गिनती अब बीमारू नहीं बल्कि प्रमुख विकासशील राज्यों में होने लगी है.

उन्होंने कहा कि नीति आयोग द्वारा जारी एसडीजी की हालिया रिपोर्ट ने भी बिहार के प्रगति के पथ पर चल रहे होने की बात को स्वीकारा है. रिपोर्ट में पहले और अब की प्रगति का तुलनात्मक अध्ययन करते हुए बिहार के सही दिशा में होने की पुष्टि की गयी है.

उन्होंने कहा कि तेजस्वी को यह तक जानकारी नहीं है कि बिहार के विशेष राज्य के मुद्दे पर ही केंद्र की उन्हीं की तत्कालीन यूपीए सरकार ने रघुराम राजन समिति का गठन किया था. इस समिति ने अपनी रिपोर्ट में पिछड़े राज्यों को अतिरिक्त सहायता देने के लिये उन्हें विशेष दर्जा देने वाले मापदंडों को समाप्त कर देश के 28 राज्यों को सबसे कम विकसितकम विकसित और अपेक्षाकृत विकसित राज्यों की श्रेणी में बांटने की सिफारिश की थी. 14वें वित्त आयोग के बाद इस तरह की परिस्थितियां बन गयी कि दुर्गम भौगोलिक स्थिति व अंतर्राष्ट्रीय सीमा से सटे राज्यों को छोड़कर किसी अन्य राज्य को यह दर्जा देना संभव ही नहीं है.

 उन्होंने कहा कि खुद मुख्यमंत्री रह चुके प्रधानमन्त्री मोदी राज्यों की समस्याओं को भलीभांति समझते हैंइसीलिए केंद्र सरकार अब जरूरतमंद राज्यों को विशेष राज्य के दर्जे की जगह विशेष पैकेज दे रही हैजिसमें आर्थिक मदद के साथ-साथ कई तरह की रियायतें भी शामिल हैं. इसके तहत केंद्र सरकार बिहार को तकरीबन डेढ़ लाख करोड़ का भारी-भरकम पैकेज पहले ही दे चुकी है और आवश्यकता पड़ने पर आगे भी देगी.

 भाजपा प्रदेशाध्यक्ष ने कहा कि तेजस्वी यदि वाकई में काबिल राजनेता बनना चाहते हैं तो चाटुकारों पर भरोसा करने की बजाए उन्हें खुद से तथ्यों की जानकारी लेनी चाहिए. कोई मुद्दा अगर समझ में न आये तो उन्हें अपने से बड़ों से भी पूछने में नहीं झिझकना चाहिए. इसीलिए उन्हें हमारी सलाह है कि विशेष राज्य से जुड़े प्रावधानों को पहले खुद से पढ़ें और न समझ में आये तो किसी बड़े से पूछें. बेफिजूल और झूठी बयानबाजी से अगर लोग नेता बनते तो आज राहुल गांधी देश ही नहीं बल्कि दुनिया के सबसे बड़े नेता होते.

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