देश का पाठ्यक्रम विस्तृत एवं असीमित होता है जिसमें सफल होना एक प्रधानमंत्री के लिए आवश्यक है।

लखनऊ 30 जनवरी। राष्ट्रीय लोकदल के प्रदेष अध्यक्ष डाॅ0 मसूद अहमद ने कहा कि देष के प्रधानमंत्री मा0 नरेन्द्र मोदी ने छात्रों अभिभावकों और षिक्षकों से संवाद के माध्यम से अपनी नाकामियों को छिपाने का सफल प्रयास करते हुये कहा है कि एक आध परीक्षा में कुछ इधर उधर हो जाये तो जिंदगी ठहरती नहीं है। इस वाक्य से ही यह स्पष्ट होता है कि वे देष को यह संदेष देना चाहते हैं कि अपने सम्पूर्ण कार्यकाल में जो वायदे पूरे नहीं कर सके उसके लिए ही वह पुनः प्रयासरत हैं। वास्तविकता यह है कि कक्षाओं की परीक्षा और देष के नेता की परीक्षा में बहुत अंतर होता है क्योंकि कक्षा की परीक्षा में पाठ्यक्रम निष्चित होता है परन्तु देष का पाठ्यक्रम विस्तृत एवं असीमित होता है जिसमें सफल होना एक प्रधानमंत्री के लिए आवष्यक है।
डाॅ0 अहमद ने कहा कि देष में विद्यार्थियों अभिभावकों एवं षिक्षकों का वर्ग बडा है और इस वर्ग के लोग ही समाज के पोषक है। प्रधानमंत्री इस वर्ग को अपनी ओर से षिक्षा देने का प्रयास कर रहे हैं जबकि षिक्षकों का अपार जनसमूह समाज को षिक्षित करने का कार्य करता चला आ रहा है जिसमें नरेन्द्र मोदी भी एक विद्यार्थी की तरह रह चुके हैं। यह कहना अतिषयोक्ति न होगा कि उन्होंने “सूरज को दीपक दिखाने की नाकाम कोषिष की है” देष के समक्ष नरेन्द्र मोदी जी ने स्वयं अपनी ओर से कालाधन वापस लाने, पाकिस्तान को एक के बदले दस सिर का सबक सिखाने, मंहगाई पर नियंत्रण करने, दो करोड युवाओं को प्रतिवर्ष रोजगार देने, किसानों को उनकी लागत का दुगुना मूल्य देने, गंगा की सफाई, बुलेट ट्रेन चलाने, डिजिटल इण्डिया बनाने जैसे तमाम पाठ्यक्रम जनता के सामने रखे थे परन्तु किसी एक में भी वे उत्तीर्ण नहीं हुये। यही कारण है कि इस बडे जनसमूह के माध्यम से अपनी असफलता को छिपाने का असफल प्रयास कर रहे हैं।
रालोद प्रदेष अध्यक्ष ने कहा कि देष की जनता भली प्रकार प्रधानमंत्री के जुमलों की समीक्षा कर चुकी है जो केवल झूठ का पुलिंदा साबित हो चुके हैं और इनका रिपोर्ट कार्ड 2019 के चुनाव में देष की जनता इन्हीं को थमा देगी। निष्चित रूप से देष के चैकीदार को अपना झोला उठाकर तैयार रहना है।

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