दिल्ली के अधिकांश इलाकों में लोग बूंद-बूंद पानी के लिए क्यों तरस रहे हैं ?

नई दिल्ली: प्रदेश के लोगों को इस महामारी में दिल्ली के स्वास्थ विभाग ने बेहाल तो किया ही है, लेकिन पिछले 7 सालों से दिल्ली जल बोर्ड का पानी लोगों को रोज बीमार कर रहा है। मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल द्वारा हर बार चुनाव से ठीक पहले साफ जल, घर-घर टोटी से पानी देने और न जाने पानी से सम्बंधित कितने वादे तो जरूर किये जाते हैं, लेकिन वह सिर्फ दिखावा और लोगों को लुभाने का तरीका होता है और कुछ नहीं।

दिल्ली जल बोर्ड की नाकामी के उजागर करने के लिए आज प्रदेश कार्यालय में हुए संयुक्त वार्ता को प्रदेश भाजपा अध्यक्ष आदेश गुप्ता, विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष रामवीर सिंह बिधूड़ी और पूर्वी दिल्ली से सांसद श्री गौतम गंभीर ने संबोधित किया। इस अवसर पर प्रदेश भाजपा प्रवक्ता श्री बृजेश राय उपस्थित थे।
आदेश गुप्ता ने अरविंद केजरीवाल पर आरोप लगाते हुए कहा कि हर बार चुनाव से ठीक पहले केजरीवाल साफ पानी और दिल्ली के सभी कालोनियों में पाइप लाइन बिछाने का वादा करते हैं लेकिन पिछले 7 सालों में कुछ नहीं बदला। दिल्ली की जनता का स्वच्छ जल पीने का  सपना आज भी अधूरा है क्योंकि घर में लगे टोटी से अभी तक पानी आने का इंतजार हो रहा है। उन्होंने कहा कि केजरीवाल सरकार कहती है कि दिल्ली के 93 प्रतिशत कॉलोनियों के अंदर पाइपलाइन बिछा दिया गया है  तो उसमें पानी क्यों नहीं आ रहा? इतना ही नहीं साल 2014 से पहले जब कांग्रेस की सरकार थी तो पानी टैंकरों पर 1109 करोड़ रुपये खर्च होते थे क्योंकि अधिकांश कॉलोनियों में पानी की सप्लाई नहीं थी लेकिन केजरीवाल सरकार के अनुसार अगर 93 प्रतिशत कॉलोनियों में पाईपलाइन बिछा दी गई है तो पानी टैंकरों पर 1783 करोड़ रुपये का खर्च होना कई सारे सवाल खड़े करता है। उसके बावजूद आज लोग पानी टैंकरों से पानी लेने के लिए लंबी लाइन लगने पर क्यों मजबूर हैं।
आदेश गुप्ता ने कहा कि दिल्ली में तुगलकाबाद, आनंद पर्वत, मंडावली, बुराड़ी, शक्ति नगर ऐसे कई इलाके हैं जहां पानी सप्लाई नहीं है और इन इलाकों की चिंता करने की जगह केजरीवाल गुजरात में सैर कर रहे हैं। साल 2019 में हुए एक सर्वे के मुताबिक भारत के 21 शहरों में सबसे खराब पानी दिल्ली का है। उन्होंने कहा कि जिस तरह से दिल्ली में पिछले 7 सालों में पानी की स्वच्छता में कोई बदलाव नहीं आया बल्कि पानी और गंदा हो तो चला गया, उससे तो यही लग रहा है कि आने वाले समय में दिल्ली जल का पानी और नाले के पानी में कोई अंतर नहीं रह जायेगा। केजरीवाल अगर इतने ही दिल्ली जल बोर्ड की पानी की प्रशंसा करते हैं तो अपने घर में लगे आरो के पानी को छोड़ एक दिन के लिए ही दिल्ली जल बोर्ड द्वारा दिए गए पानी को पीकर बताए कि क्या पानी सच में पीने लायक है। आखिर दिल्ली की जनता को गंदे पानी पीने पर मजबूर क्यों किया जा रहा है।
नेता प्रतिपक्ष रामवीर सिंह बिधूड़ी ने केजरीवाल सरकार के उन वादों की फेहरिस्त मीडिया के सामने रखते हुए जानकारी दी कि कैसे मौके-मौके पर अरविंद केजरीवाल वादे करके मुकरते चले गए। पिछले 6 सालों में दिल्ली सरकार ने दिल्ली जलबोर्ड को 47000 करोड़ रुपये स्वच्छ जल उपलब्ध कराने के नाम पर दिए गए और उसका परिणाम अभी भी कुछ नहीं है। दिल्ली की 40 प्रतिशत आबादी के पास अभी भी फिल्टर वाटर नहीं पहुंच पा रहा है। दिल्ली को जितना पानी चाहिए उतना जल बोर्ड पूर्ति ही नहीं करता। दिल्ली जल बोर्ड 25 प्रतिशत कम पानी अभी सप्लाई कर पा रही है। उन्होंने कहा कि केजरीवाल के शासनकाल में एक भी वाटर ट्रीटमेंट प्लांट नहीं लगाया गया। केजरीवाल ने यमुना किनारे अंडर ग्राउंड रिजर्व वायर बनाने की बात कही थी लेकिन आज तक वह कहाँ बनाया गया किसी को खबर नहीं। यही नहीं उन्होंने 2 जुलाई 2019 को कहा था कि पल्ला से लेकर वजीराबाद तक लगभग 20 किलोमीटर तक किसानों के खेतों को 77000 रुपया प्रति एकड़ जमीन लेकर उसमें गड्ढे खोदे जाएंगे और पीने का पानी उपलब्ध कराए जाएंगे लेकिन वह सिर्फ जुमला ही साबित हुआ।
रामवीर सिंह बिधूड़ी ने कहा कि मुख्यमंत्री केजरीवाल ने कोरोना काल मे जल बोर्ड के कर्मचारियों को कोरोना योद्धा घोषित किया साथ में यह वादा भी किया था अगर ड्यूटी के दौरान कोरोना काल में किसी भी कर्मचारी की मृत्यु होती है तो उसके परिवार को एक करोड़ रुपए की अनुदान राशि देकर सम्मानीत किया जाएगा, लेकिन आज 100 कर्मचारी जिनकी ड्यूटी के दौरान मृत्यु हुई, उनके परिजन मुख्यमंत्री के आवास के सामने मुआवजे के लिए धक्के खा रहे हैं और उनकी कोई सुनवाई नहीं हो रही।लेकिन एक भी कर्मचारी को केजरीवाल ने मुआवजा नहीं दिया। उन्होंने कहा कि आज दिल्ली जल बोर्ड 1500 करोड़ रुपये के घाटे में चल रहा है जिसके जिम्मेवार सिर्फ केजरीवाल, सतेंद्र जैन और राघव चड्ढा है। सत्ता में आने पर केजरीवाल ने एक वादा किया था कि वह ठेकेदारी प्रथा को समाप्त करेंगे लेकिन वह और बढ़ गया है।यही नहीं प्रतिमाह 100 कर्मचारी दिल्ली जल बोर्ड से रिटायर हो रहे हैं लेकिन उनकी जगह पिछले सात सालों में एक भी नई भर्ती नहीं की गई है,क्यों? जनता जवाव चाहती है।
भाजपा सांसद गौतम गंभीर ने कहा कि साफ पानी सबका हक है चाहे वह अमीर हो या गरीब लेकिन, जिस तरह से पूरी दिल्ली में गंदे पानी की वजह से बीमारियां हो रही हैं वह सिर्फ दिल्ली जल बोर्ड और केजरीवाल सरकार की लापरवाही का नतीजा है। एक सर्वे के मुताबिक 30 से 40 प्रतिशत बीमारियां जैसे- टाइफाइड, जोइंडिस, डायरिया आदि की वजह गंदे पानी ही है। लेकिन केजरीवाल के अंदर अब इंसानियत बची नहीं है इसलिए वे दिल्ली की जनता की दुख से बेखबर होकर गुजरात घूम रहे हैं। उन्होंने कहा कि एक साल पहले देश के सबसे बड़े फिल्टर प्लांट को गाजीपुर में लगाने की इजाजत मांगी गई थी लेकिन दिल्ली सरकार से इसकी अनुमति आज तक नहीं मिली। अगर ऐसा होता तो लगभग 50,000 लोगों को सिर्फ 20 पैसे प्रति लीटर फिल्टर पानी मिल सकता था और अगर होम डिलीवरी चाहिए तो 50 पैसे प्रतिलीटर में उपलब्ध होते। इसलिए केजरीवाल जी सिर्फ अपनी फिक्र करते है  बाकी लोगों की चिंता नहीं। दिल्ली को न्यूयार्क, पेरिस जैसे बनाने के सपने दिखाकर आज इसे किसी गाँव से भी बदतर बना दिया है।
प्रदेश भाजपा ने केजरीवाल से पूछे पांच सवाल
1. दिल्ली के अधिकांश इलाकों में आज भी लोग बूंद बूंद पानी के लिए क्यों तरस रहे हैं?
2.केजरीवाल के 6 वर्षों के शासन काल के बाद भी लोग गंदे पानी पीने को मजबूर क्यों हैं?
3. टैंकर माफियाओं से सांठगांठ कर दिल्ली की जनता को उन्हीं से पानी खरीदने पर मजबूर क्यों किया गया?
4. “आप“ के कार्याकाल में दिल्ली जल बोर्ड को 47,000 करोड़ रुपये देने के बावजूद भी दिल्ली के लोगों को साफ पानी के लिए क्यों जूझना पड़ रहा है?
5. दिल्ली में लोगों को हो रही 30 से 40 प्रतिशत बीमारियां जल बोर्ड के द्वारा दिये पानी से हो रही है? इसका जवाब दें

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