वैश्विक महामारी के शमन में योग की महत्वपूर्ण भूमिका है: प्रो. श्यामल किशोर

पटना: वैश्विक महामारी से पूरी मानवता आक्रांत है, लेकिन भारतीय जीवनश्शैली एवं खान-पान के कारण भारत के लोग अवसाद से ग्रसित नहीं हुए। वैश्विक महामारी से कल हम उबर जाएंगें लेकिन इस महामारी ने जीवन शैली में बड़े बदलाव का संदेश दिया है। हम सभी न्यूनौरमल समाज की ओर बढ़ रहें हैं। इस न्यूनौरमल समाज के तीन आयाम महत्वपूर्ण होंगे- जीवन की इच्छा, सामाजिक निकटता तथा करूणा। ये बातें अरविन्द महिला कॉलेज में ‘वैश्विक समाज में दर्शन की भूमिका’ विषय पर भारतीय दार्शनिक-अनुसंधान परिषद् के अध्यक्ष प्रो. आर. सी सिन्हा ने कहीं।

कार्यक्रम के मुख्य अतिथि प्रो. आई. एन. सिन्हा ने कहा है कि आज विज्ञान दर्शन पर हावी होने लगा तथा विज्ञान सत्य का संवाहक होने लगा है। लेकिन इस वैश्विक महामारी में विज्ञान एवं तकनीकी भी अपने को असहज महसूस कर रहा है। प्रकृति विपदाओं के समाधान में तो कुछ हद तक विज्ञान एवं तकनीकी सहायक हो सकता है, लेकिन मानव निर्मित महामारी का समाधान जागरूकता के द्वारा ही संभव हो सकता है। समाज को जागरूक होना होगा तथा प्रकृति संसाधनों को नियंत्रित रूप से उपयोगी होना होगा।
बिहार दर्शन-परिषद् के महासचिव प्रो. श्यामल किशोर ने कहा कि वैश्विक महामारी के शमन में योग की महत्वपूर्ण भूमिका है। योग भारतीय दर्शन का अमूल्य देन है। योग का जीवन-शैली तथा साधना पक्ष का काफी महत्व है। कार्यक्रम की संयोजक प्रो. सत्या सिन्हा ने विषय प्रवर्तन करते हुए कहा कि दार्शनिक चिन्तन की सार्थकता का आकलन सामाजिक परिवेश में ही किया जा सकता है। उपभोक्तावादी संस्कृति ने मनुष्य को वस्तु समझने लगा है। लेकिन अस्तित्ववादी दर्शन में मनुष्य की गरिमा को स्थापित किया है। वैश्विक महामारी में सहानुभूति एवं स्वअनुभूति का काफी महत्व है।
इस अवसर पर बिहार सरकार के पूर्व मंत्री डॉ. रंजू गीता ने कहा कि दर्शन सभी विषयों की जननी है। मेरे राजनीतिक जीवन में दर्शन का अध्ययन काफी लाभ प्रद रहा। दर्शन एक दृष्टि देती है, वह दृष्टि देती है। मानवीय संबंधों के समाधान की।
कार्यक्रम का प्रारंभ दीप प्रज्ज्वलन तथा महाविद्यालय की छात्राओं ने सरस्वती वंदना का गायन प्रस्तुत िकया। कार्यक्रम का सफल संचालन राजनीति विज्ञान की अध्यक्ष प्रो. साधना ठाकुर तथा धन्यावाद ज्ञापन प्रो. गीता कुमारी ने की। इस अवसर पर प्रो. पूनम सिंह, प्रो. किस्मत कुमार सिंह, प्रो. रामचन्द्र प्रसाद सिंहा, डॉ. अजय कुमार, डॉ. विमी. डॉ. बी. मॉर्या, राजीव कुमार, डॉ. प्रभा मिश्रा, डॉ. अनुमाला, डॉ. रूपेश कुमार सिंह, स्नेहा कुमारी तथा काफी संख्या में शिक्षक एवं छात्राएं मौजूद थी।

Facebook Comments