नॉएडा ग्रेनो एक्सप्रेसवे पर चालान काटने और वसूलने में ढीला है पुलिस प्रशाशन

नॉएडा – शहर के लिए  करोड़ों में खरीदी हुई विदेशी तकनीक की मशीन और नॉएडा ट्रैफिक पुलिस के कार्य पर आज कई सवाल खड़े हुए हैं , अधिवक्ता एवं युवा समाजसेवी श्री रंजन तोमर ने एचटीएमएस द्वारा नॉएडा ग्रेनो एक्सप्रेसवे पर मार्च 2015 जब से यह प्रणाली लगाई गई तब से अक्टूबर 2018 तक काटे गए चालानों का विवरण माँगा तो कई चौंकाने वाले खुलासे हुए  जो इस प्रकार हैं –

1. ब्यौरा बताता है के वर्ष 2015 में कुल 16671 चालान हुए जो की मात्र 9 महीने के समय के आंकड़े हैं , इसके बाद 2016 में 11338 चालान काटे गए , यहाँ बड़ी बात यह है के 4 माह इसमें ऐसे रहे जिसमें एक भी चालान नहीं काटा गया , क्या उस दौरान यह मशीन ख़राब हो गई अथवा चार महीने किसी ने भी कोई रूल नहीं तोडा , इसका जवाब नॉएडा ट्रैफिक पुलिस को देना चाहिए और नॉएडा प्राधिकरण को भी।

2. इसी तरह 2017 में 11490  चालान हुए पर इस दौरान भी 5 महीने एक भी चालान नहीं कटा , किसी महीने मात्र 304 चालान कटे तो किसी में 3820 .

3. वर्ष 2018 में जनवरी में एक भी चालान नहीं कटा लेकिन फिर अचानक क्या गति बढ़ी के अगले 9 महीने में 35890 चालान हो गए , यानी के लगभग पिछले तीन वर्षों के करीब मात्र 9 माह में , अब या तो जनता ने कानून मानना छोड़ दिया है या फिर विदेशी मशीनरी में कोई तकनीकी खामी आ गई है जो इतने सारे चालान काटे जा रहे हैं , कहीं ऐसा तो नहीं के पहले कोई खामी थी जिससे कम चालान काटे जा रहे थे या फिर मशीन कई महीने के लिए छुट्टी पर चली जा रही थी ? अथवा कोई ऐसी पालिसी जिसके कारण यह चालान  नहीं काटे गए

इन लगभग चार  वर्षों में 75389 कुल चालान काटे गए हैं

अब आते हैं इनमें से शमनित चालानों के विवरण पर जिसमें कुछ यह खुलासे हुए हैं

1. वर्ष 2015 में कुल 6299 चालानों का शमन हुआ जिससे  1948500 रुपए अर्जित किये गए , जबकि वर्ष 2016  में 2544 चालान शमन हुए जिनसे मात्र 841400 रुपए अर्जित किये गए , इस दौरान भी चार ऐसे महीने आये जिनमें एक भी चालान का शमन नहीं किया गया।

2. वर्ष 2017 में फिर 1868 चालान शमन किये गए जिनसे 804200 रुपए अर्जित किये गए , जबकि इस दौरान पांच ऐसे महीने रहे जिनमें एक भी चालान का शमन नहीं हुआ।

3. वर्ष 2018 में 620 चालानों का शमन किआ गया और अक्टूबर तक 384200 रुपए अर्जित किये गए  जिसमें  3 महीने ऐसे भी रहे जिनमें एक भी चालान शमन नहीं किया गया।

ऊपर के आंकड़ों से यह सवाल भी उठता है के ऐसा कैसे हुआ के  चालान पहले वर्ष ज़्यादा कटे और ज़्यादा ही कमाई हुई , फिर  अगले 2  वर्ष की तुलना की जाए तो चालान किन्ही कारणों से कम कटे एवं कमाई भी कम हुई , फिर 2018 में जबकि अत्यधिक चालान काटे गए लेकिन कमाई फिर सबसे कम क्यों हुई ?

बड़ा सवाल यह भी है के यह सिस्टम पिछली सरकार के समय खरीदा गया था , तो क्या उस समय इसकी खामियों को नहीं देखा गया या फिर खरीदारी  में जल्दी की गई , अथवा यह किसी और की ही गलती है , वजह जो भी हो प्राधिकरण और पुलिस प्रशाशन से यहाँ बड़ी चूक तो हुई है और हो रही है। पॉजिटिव खबर किन्तु यह भी हो सकती है के चालान संख्या बढ़ रही है तो पुलिस प्रशाशन सख्त हो सकता है अपितु उनका भुगतान न होना कहीं न कहीं फिर खामी दर्शाता है।  श्री तोमर ने संवाददाताओं से अंत में कहा के हो सकता है इनमें से कुछ बातों का जवाब प्राधिकरण के पास एवं पुलिस कप्तान के पास हो भी परन्तु एक समाजसेवी होने के नाते सवाल खड़े करना श्री तोमर का धर्म है

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