पिछड़ा-अतिपिछड़ा समाज को मिले 40% की भागीदारी,मौसमी नेताओं से समाज: राजीव रंजन

पटना, नवंबर 10, 2018: पिछड़ा-अतिपिछड़ा समाज के लोगों को चुनावी मौसम में आने वाले नेताओं से सावधान रहने की सलाह देते हुए प्रदेश भाजपा प्रवक्ता सह पूर्व विधायक श्री राजीव रंजन ने कहा “ आगामी लोकसभा चुनाव की आहट आते ही आज राजनीतिक दलों को पिछड़े-अतिपिछडे समाज की याद आने लगी है, जिसकी बानगी पिछड़े समाज के नाम इनके द्वारा किए जा रहे आयोजनों से दिखाई देता है. पिछड़े समाज का वोट पाने के लिए इन्होने अपने कई लोगों को मैदान में उतार रखा है, जो सामने खुद को इस समाज का हितैषी बताते हैं, लेकिन पीठ पीछे इनका उद्देश्य सिर्फ इस समाज बरगला कर इनके वोटों को अपनी पार्टियों के पाले में करना है. पिछड़ा-अतिपिछड़ा समाज याद रखे कि सिर्फ चुनावों में दिखाई देने वाले यह नेतागण, उन्ही पार्टियों के नुमाइंदे है, जिन्होंने 1955 से चली आ रही पिछड़ा/अतिपिछड़ा आयोग को संवैधानिक दर्जा देने की इस समाज की मांग को दशकों तक लटकाए रखा था. यह तो भला हो वर्तमान केंद्र सरकार का जिसने इस समाज के विकास के लिए अपनी प्रतिबद्धता के तहत, सत्ता में आते ही इस आयोग को संवैधानिक दर्जा दिलाने की दिशा में सार्थक प्रयास किए और अंतत: इस बिल को पास करवा के ही दम लिया. याद रहे कि केंद्र के इस ऐतिहासिक पहल का भी इन मौसमी नेताओं ने कुछ छोटे-मोटे तकनीकी खामियों के नाम पर विरोध किया था. इस आयोग को संवैधानिक दर्जा मिलने के बाद इस समाज के विकास के लिए सबसे ज्यादा जरूरी प्रश्न उनकी संख्या के हिसाब से समुचित राजनीतिक भागीदारी का है, इसमें भी सबसे बड़े बाधक यही मौसमी नेता हैं. खुद को इस समाज का हितैषी बताने वाले यह नेतागण इस समाज को बताएं कि 52% की जनसंख्या वाले इस समाज को 8-9% के कोटे में बांधे रखना कैसे उचित है? इस समाज के लिए हमारी बराबर मांग रही है कि इन्हें कोटा नही बल्कि कम से कम 40% की भागीदारी मिलने चाहिए. यह नेतागण बताएं कि हमारी इस मांग पर उनका और उनकी पार्टियों का रुख क्या है? यह लोग समझ लें कि आगामी लोकसभा चुनाव में पिछड़ा-अतिपिछड़ा समाज सबसे अहम भूमिका निभाने वाला है. यही समाज तय करेगा कि कौन जीतेगा और कौन हारेगा. यह लोग जान लें कि यह समाज अब जागरूक हो चुका है और उनके बहकावे में नही आने वाला और अगर उन्होंने इस समाज की भागीदारी के प्रश्न पर समय रहते अपना रुख स्पष्ट नही किया तो आने वाले चुनावों में उन्हें इसका परिणाम भुगतना पड़ेगा.”

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