सीट शेयरिंग होते ही कुनबा का टूटना तय,महागठबंधन नहीं बता सका अपने नेता का नामःमंगल पांडेय

 पटना, 20 जनवरी। बिहार राज्य के अंदर तथाकथित महागठबंधन में सीट शेयरिंग की तारीख 3 फरवरी को निर्धारित होने पर स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडेय ने विपक्षियों पर निषाना साधा है। उन्होंने कहा कि महागठबंधन अभी तक अपने नेता का नाम नहीं बता पाया है। सीट शेयरिंग में हो रही देरी से कुनबा का टूटना तय है। भाजपा का अष्वमेध रथ रोकने के लिए कहीं गठबंधन, कहीं महागठबंधन तो कहीं तीसरे मोर्चें की सुगबुगाहट हो रही है। रही सही कसर ममता बनर्जी ने पूरी कर दी, जिसने 20 दलों के नेताओं का जुटान कर प्रधानमंत्री का सपना देख रहे सियासी सूरमाओं की बोलती बंद कर दी।
     श्री पांडेय ने कहा कि पूर्व मंे भाजपा को रोकने के लिए कांग्रेस समेत वामपंथी और समाजवादी नेता देष स्तर पर महागठबंधन बनाने की बात कर रहे थे, लेकिन यूपी में जहां सपा-बसपा ने ऐसे दलों को नकार दिया तो आंध्र प्रदेष और तेलांगना में केसीआर और वाइएसआर के बीच सियासी खिचड़ी पक रही है। वहीं बिहार-झारखंड समेत विभिन्न राज्यों में सीटों की चाहत को लेकर तथाकथित गठबंधन में संषय बरकरार है। इसमें शामिल दलों ने एकजुटता का परिचय देते हुए मकरसंक्रांति के बाद सीटों की घोषणा की बात कही थी, लेकिन अभी तक तथाकथित गठबंधन उलझन में फंसा हुआ है।
    श्री पांडेय ने कहा कि देष भर में भाजपा विरोधी पार्टियां वोटों का ध्रुवीकरण रोकने के लिए कोई भी कुर्बानी देने की बात कर रही है, लेकिन उनकी ललक ध्रुवीकरण की राह में रोड़े डाल रहा है। चाहे बात सीटों को लेकर हो या फिर प्रधानमंत्री पद को लेकर स्थिति ‘एक अनार और सौ बीमार’ वाली है। कांग्रेस गैर भाजपाइयों के भरोसे राहुल गांधी को बतौर प्रधानमंत्री मान रहे हैं, लेकिन कोलकाता में तृणमूल कांग्रेस की रैली में प्रधानमंत्री पद का साक्षात्कार देने जुटे नेता राहुल को इस योग्य नहीं मान रहे हैं। हाल यह था कि रैली में शामिल दर्जन भर घाघ राजनीतिज्ञ खुद प्रधानमंत्री के उम्मीदवार के रूप में दिखे।

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