भाजपा बनाम महागठबंधन नहीं बल्कि महागठबंधन का मुकबला उनके ही सहयोगियों से होगा।

पटना, 13 फरवरी। तथाकथित महागठबंधन में सीट विवाद पर स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडेय ने कहा है कि सीटों के तालमेल के पहले ही सहयोगियों ने मुर्गे की तरह बांग देना शुरू कर दिया है। इसमें शामिल कांग्रेस समेत अन्य सहयोगी पार्टियां याचक बन राजद पर निगाहें टिका रखी हैं। श्री पांडेय ने कहा कि कांगे्रस का जोर जहां फिफ्टी-फिफ्टी पर है, वहीं हम और रालोसपा को बराबरी की हिस्सेदारी चाहिए, जबकि वीआईपी, बीएसपी, कम्युनिस्ट पार्टी एवं शरद यादव के सुर अलग हैं। इससे साफ जाहिर होता है कि तथाकथित महागठबंधन टूटने के कगार पर है, जिसकी रूपरेखा अंदरखाने तैयार भी हो रही है।
      श्री पांडेय ने कहा कि अगर यही स्थिति रही तो 2019 का चुनाव भाजपा बनाम महागठबंधन नहीं बल्कि महागठबंधन का मुकबला उनके ही सहयोगियों से होगा। अपने हित के लिए बना यह मौसमी गठबंधन अभी जमीन पर भी नहीं उतरा है, लेकिन सौदेबाजी का खेल शुरू हो गया है। तथाकथित महागठबंधन की स्थिति एक अनार और सौ बीमार वाली है। कांग्रेस नेता सदानंद सिंह और अजित शर्मा का बयान साफ संकेत है कि कांग्रेस को 20 से कम सीट मंजूर नहीं है। यही नहीं सदानंद सिंह ने कांग्रेस आलाकमान को 20 सीटों की लिस्ट भी थमा दी है।
     श्री पांडेय ने कहा कि यह एक ऐसा महागठबंधन है, जिसकी न तो कोई नीति है, न ही कोई सिद्धांत और न ही कोई नेता है। अलग-अलग राज्यों में में बिहार की तरह बने महागठबंधन के नेता कुछ दिन पहले भाजपा और एनडीए को हराने के लिए कोई भी कुर्बानी देने को तैयार थे। 22 दलों के नेता कोलकाता पहुंच एकता का परिचय देतेे हुए भाजपा के खिलाफ शंखनाद तक कर डाला, लेकिन अलग-अलग राज्यों में नेताओं की लालसा पूरी नहीं होने से बिहार की तरह ही महागठबंधन मे ढनमन शुरू हो गया है। हम अध्यक्ष जीतनराम मांझी की धमकी तो एक बानगी है। पूरी कहानी अभी बांकी है।

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