उच्च शिक्षा के क्षेत्र में उत्तर प्रदेश सरकार के बढ़ते कदम

सूचना प्रौद्योगिकी के इस युग में तीव्रता से सम्पूर्ण विश्व एक वैश्वीकृत ग्राम का रूप धारण करता जा रहा है। परम्परागत मूल्यों एवं मान्यताओं में परिवर्तन का प्रभाव शिक्षा तथा विशेष रूप से उच्च शिक्षा पर पड़ा है। शिक्षा मानव व्यक्तित्व के निर्माण में विनियोजन तथा व्यक्ति के माध्यम से समाज एवं राष्ट्र के निर्माण एवं विकास की आधारशिला है। उच्च शिक्षा ज्ञानार्जन, विश्लेषण, शोध और अनुप्रयोग की प्रविधियों से आकार पाती है, इसका उद्देश्य ज्ञान-विज्ञान से समृद्ध ऐसी पीढ़ी का निर्माण करना है, जो उच्चतम मानवीय मूल्यों यथा-समता,समरसता, धर्म निरपेक्षता पर कल्याण, वैज्ञानिक दृष्टिकोण और मानवता आदि से युक्त हो। उच्च शिक्षा समाज के आर्थिक, सांस्कृतिक एवं औद्योगिक विकास की रीढ़ है। इन चुनौतियों का सामना करने तथा उच्च शिक्षा को अन्तर्राष्ट्रीय मानकों के अनुरूप सर्वसुलभ प्रासंगिक तथा अर्थपरक बनाने की दिशा में उत्तर प्रदेश का उच्च शिक्षा विभाग अग्रसर है।
उच्च शिक्षा के तीन प्रमुख उद्देश्य- शिक्षण, शोध एवं प्रसार, वैश्विक पर्यावरण निर्माण का आधार निर्मित करना हैं। वर्तमान समय में व्यक्तिगत एवं सामाजिक प्रगति के लिए विश्वस्तरीय ज्ञान से युक्त होना तथा उसके अनुप्रयोग की क्षमता रखना अति आवश्यक है। स्वतन्त्रता प्राप्ति के पश्चात उच्च शिक्षा का प्रसार तीव्र गति से हुआ है, जिसके फलस्वरूप विश्वविद्यालयों एवं महाविद्यालयों की संख्या में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है। प्रदेश में उच्च शिक्षा के उद्देश्यों की पूर्ति हेतु वर्तमान में 16 राज्य विश्वविद्यालय, 01 मुक्त विश्वविद्यालय, 01 डीम्ड विश्वविद्यालय, 27 निजी विश्वविद्यालय, 164 राजकीय महाविद्यालय, 331 अनुदान सूची पर अशासकीय  महाविद्यालय तथा 6192 स्ववित्तपोषित महाविद्यालय संचालित है।

उत्तर प्रदेश उच्चतर शिक्षा सेवा आयोग अधिनियम 1980 की धारा 31 (ड) में संशोधन सम्बन्धी विधेयक विधान मण्डल द्वारा पारित किया जा चुका है जिसके फलस्वरूप अशासकीय सहायता प्राप्त महाविद्यालयों में मानदेय पर कार्यरत शिक्षकोें को आमेलित किये जाने की कार्यवाही प्रक्रियाधीन है। स्ववित्तपोषित महाविद्यालयों के प्राचार्यों की नियुक्ति हेतु यूजीसी द्वारा निर्धारित 15 वर्ष की अर्हकारी सेवा तथा 400 एपीआई अंकों की अनिवार्य अर्हताओं में छूट प्रदान करने हेतु परिनियमांे में संशोधन कर प्राविधान किये गये जिससे स्ववित्तपोषित महाविद्यालयों के प्राचार्य के रिक्त पदों पर तैनाती किया जाना सम्भव होगा। प्रदेश की 47 विधान सभा क्षेत्रों में मा0 मुख्यमंत्री जी की घोषणा के अन्तर्गत राजकीय महाविद्यालयों  के निर्माण के लिए भूमि का चयन एवं स्थापना हेतु कार्यवाही की जा रही है। शिक्षकों के लिए  असाधारण अवकाश के अतिरिक्त 05 वर्ष का अतिरिक्त विशेष अवकाश अनुमन्य किया गया है। प्रदेश के राजकीय महाविद्यालयोें को प्रवक्ताओं एवं प्रवक्ता-पुस्तकालय को अनुमन्य मकान किराये भत्ते की दरों में 20 प्रतिशत की वृद्धि की गयी है। स्व0 अटल बिहारी वाजपेयी पूर्व प्रधानमंत्री के नाम पर डीएवी कालेज कानपुर, जहां उनके द्वारा शिक्षा ग्रहण की गयी, में सेण्टर आफ एक्सीलेन्स की स्थापना हेतु 5 करोड़ रूपये का प्राविधान प्रथम अनुपूरक के माध्यम से किया गया है। राजकीय महाविद्यालयोें के शिक्षकों की स्थानान्तरण नीति का निर्धारण किया गया तथा आनलाइन स्थानान्तरण की प्रक्रिया प्रारम्भ की गयी। स्थानान्तरण नीति के अन्तर्गत सहायक प्रोफेसर के स्थानान्तरण उनके द्वारा दिये गये विकल्प के अनुसार किये गये हैं।

प्रदेश सरकार द्वारा निजी क्षेत्र में विश्वविद्यालय की स्थापना हेतु भूमि का मानक नगरीय क्षेत्र हेतु 40 एकड़ तथा ग्रामीण क्षेत्र हेतु 100 एकड़ निर्धारित था जिसे प्रदेश सरकार द्वारा संशोधित कर क्रमशः नगरीय क्षेत्र एवं ग्रामीण क्षेत्र में 20 एकड़ एवं 50 एकड़ कर दिया है। इस निर्णय से प्रदेश में निजी विश्वविद्यालयों की स्थापना अधिक संख्या में हो सकेगी तथा गुणवत्तापरक स्किल डेवलपमेण्ट युक्त शिक्षा प्राप्त हो सकेगी।

उत्तर प्रदेश राज्य विश्वविद्यालयों द्वारा आयोजित परीक्षाओं में अनुचित साधनों के प्रयोग पर नियन्त्रण करने, परीक्षाओं की शुचिता, पवित्रता एवं पारदर्शिता तथा शान्ति निर्धारण किये जाने के फलस्वरूप विश्वविद्यालयों/महाविद्यालयों में पठन-पाठन का कार्य नियमित रूप से हो रहा है। सिद्धार्थ विश्वविद्यालय कपिलवस्तु,सिद्धार्थनगर को अन्तर्राष्ट्रीय  बुद्धिस्ट सेन्टर एवं सेन्टर फाॅर एक्सीलेन्स  इन हिन्दुइज्म, बुद्धिज्म एण्ड जैनिज्म के रूप में विकसित किये जाने का निर्णय लिया गया है।

महायोगी गुरू गोरक्षनाथ के लोकोपयोगी मन्तव्यों एवं उपदेशों को एकत्रित करके योगानुकूल सिद्धांतों एवं प्रयोगों का जीवनोपयोगी कार्य तथा व्यवहार में परिवर्तित करने के लिए दीन दयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय, गोरखपुर से महायोगी गुरू श्रीगोरक्षनाथ शोध पीठ की स्थापना किये जाने का निर्णय लिया गया है । इस हेतु शिक्षक एवं शिक्षणेत्तर संवर्ग के कुल 28 पदों का सृजन किया गया है।

पं० दीन दयाल उपाध्याय के व्यक्तित्व, कृतित्व एव चिन्तन पर शोध कार्य हेतु प्रदेश के 15 राज्य विश्वविद्यालयों में पं० दीन दयाल उपाध्याय शोधपीठ की स्थापना की गयी है। इसके अतिरिक्त शोध कार्यों का बढावा देने के उददेश्य से लखनऊ विश्वविद्यालय, लखनऊ से भाऊराव देवरस शोध पीठ तथा अभिनव गुप्त इंस्टीट्यूट आँफ शैव फिलाशिफी एवं एस्थेटिक्स की स्थापना की गयी है। महात्मा गांधी एवं श्री अटल बिहारी बाजपेयी के नाम पर शोधपीठ की स्थापना की कार्यवाही गतिमान है । वीरबहादुर सिंह पूर्वांन्चल विश्वविद्यालय जौनपुर ने     प्रो० राजेन्द्र सिंह (रज्जू भैया) इंस्टीट्यूट आँफ फिजिकल साइन्स आफ स्टडी एण्ड रिसर्च तथा रिसर्च सेन्टर फॉर रिन्यूएबल एनर्जी एण्ड नैनो साइन्स एण्ड टेक्नोलॉजी की स्थापना की गयी  है ।

सहायता प्राप्त अशासकीय महाविद्यालयों में मानदेय क्रो बढाकर असिस्टेन्ट प्रोफेसर, एसोसिएट प्रोफेसर तथा प्रोफेसर के लिए क्रमशः 25000/-30000/- एवं 35000/- रूपये कर दिया गया है। विश्वविद्यालयों एवं महाविद्यालयों में शिक्षकों एवं अन्य शैक्षणिक सदस्यों की नियुक्ति के लिये विश्वविद्यालय अनुदान आयोग नियमन 2010 को शासनादेश दिनांक 31 दिसम्बर 2010  द्वारा राज्य विश्वविद्यालयों ने लागू किया गया है।

राज्य विश्वविद्यालयों से शोध कराये जाते हेतु विश्वविद्यालय अनुदान आयोग द्वारा निर्गत पी०एच०डी० रेगुलेशन 2016 को समस्त राज्य विश्वविद्यालयों में लागू करने हेतु व्यवस्था बनाये रखने की दृष्टि से परीक्षाओं के आयोजन हेतु परीक्षा केन्द्रों के निर्धारण के सम्बन्ध में शासनादेश निर्गत किया गया है। नकल विहीन परीक्षा कराते हुए शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार किया गया है। प्रदेश के समस्त राज्य विश्वविद्यालयों द्वारा दीक्षांत समारोह सम्पन्न करा दिये गये हैं। राष्ट्रीय उच्चतर शिक्षा अभियान के अन्तर्गत 84 राजकीय महाविद्यालयों को आधारभूत सुविधाओं एवं नवीनीकरण हेतु अनुदान प्रदान किया गया है। महाविद्यालयों ने अनुदानित धनराशि द्वारा विभिन्न संकाय, डिजिटल लाइब्रेरी एवं स्मार्ट क्लास का निर्माण किया गया है।

अद्यतन 72 राजकीय महाविद्यालयों का निर्माण कार्य पूर्ण हो गया है एवं अवशेष महाविद्यालयों का निर्माण कार्य भी पूर्ण करा लिया गया है। प्रदेश के विश्वविद्यालयों एवं महाविद्यालयों की सम्बद्धता/मान्यता में पारदर्शिता लाये जाने हेतु एन0आई0सी0 के माध्यम से एक साॅफ्टवेयर तैयार कराया गया है। उक्त के अतिरिक्त सहायता प्राप्त अशासकीय महाविद्यालयों में कार्यरत मानदेय प्रवक्ताओं के आमेलन एवं सहायता प्राप्त अशासकीय महाविद्यालयों हेतु चयनित प्रवक्ताओं की आॅनलाईन काउन्सिलिंग हेतु एन0आई0सी0 के माध्यम से साफ्टवेयर तैयार किया गया है। उत्तर प्रदेश सरकार ने उच्च शिक्षा के क्षेत्र में गुणवत्तापूर्ण शिक्षा देने के लिए शिक्षण संस्थाओं को सुदृढ़ किया है।

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