मुख्यमंत्री का संघ प्रमुख से जाकर मिलना मर्यादा के विरुद्ध: अरुण श्रीवास्तव

लखनऊ: अयोध्या से लखनऊ पहुंचे राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक मोहन भागवत से प्रदेश के मुख्यमंत्री का जाकर मिलना मर्यादा के विरुद्ध है।यह कहना है पीस पार्टी के प्रदेश महासचिव अरुण श्रीवास्तव का।उनका कहना है कि समाचार पत्रों के माध्यम से पता चला कि उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री संघ प्रमुख से मिलने उनके कार्यालय पहुंचे थे। विभिन्न मुद्दों पर उनसे चर्चा भी किए तथा संघ प्रमुख ने दीपावली के मौके पर अयोध्या में होने वाले दीपोत्सव कार्यक्रम एवं उत्तर प्रदेश में चलाई जा रही विभिन्न सरकारी योजनाओं और प्रदेश के विकास के लिए राज्य सरकार द्वारा उठाए गए कदमों पर निर्देश भी दिया एवं बातचीत किया।

यह समझ में नहीं आता है कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक मोहन भागवत का इस देश में क्या प्रोटोकोल है? ऐसा प्रतीत होता है की सरसंघचालक के पद को अलिखित रूप से सरकार द्वारा संवैधानिक पद के रूप में मान्यता दे दिया गया है क्योंकि सरकार के हर कार्य में कहीं न कहीं राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ एवं उसके सरसंघचालक की भूमिका दिखाई देती है। श्री राम जन्मभूमि ट्रस्ट सरकार द्वारा बनाया हुआ है। यह ट्रस्ट अयोध्या में प्रभु राम के भव्य मंदिर के निर्माण की जिम्मेदारी लिए हुए हैं ,उसमें भी सरसंघचालक की भूमिका दिखाई दे रही है और उनके द्वारा राम मंदिर के ले आउट एवं अन्य मामलों में दखल देने का प्रमाण भी है। यह बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण है कि एक सांस्कृतिक, साहित्यिक गैर राजनीतिक संगठन राजनीतिक कार्य में और सरकार द्वारा किए गए कार्यों में दखलअंदाजी देता है। इससे प्रतीत होता है कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ इस देश में समानांतर अर्थात पैनल सरकार चला रहा है और बिना उसके निर्देश के सरकार कुछ भी करने में अपने को असमर्थ पाती है।
अगर ऐसा नहीं है तो क्या कारण है कि एक गैर राजनीतिक संगठन जो अपने को गैर सरकारी एवं सांस्कृतिक संगठन कहता है, सरकार द्वारा उसको संवैधानिक संगठन की तरह से महत्व दिया जाता है एवं उसके सरसंघचालक को राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री और राज्यपाल एवं मुख्यमंत्री की तरह से प्रोटोकॉल उपलब्ध कराया जाता है? देश के लिए यह बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण है एवं इस तरह की परंपरा एक बहुत ही गलत एवं खतरनाक परंपरा की शुरुआत की जानी प्रतीत होती है जो देश हित में समझ में नहीं आता। यह बहुत ही अच्छी बात है कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ देश में अच्छे विचारों का प्रचार कर रहा है और गैर सरकारी संगठन के रूप में कार्य कर रहा है लेकिन क्या सरकार इसी तरह की अन्य संगठनों के पदाधिकारियों को भी इस तरह की सुविधा उपलब्ध कराएगी? यह समझ से परे है।

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