अयोध्या में आयोजित होने वाली धर्मसंसद का महत्व आतंक का वातावरण बनाकर कम किया जा रहा है

लखनऊ 21 नवम्बर। राष्ट्रीय लोकदल के प्रदेष प्रवक्ता सुरेन्द्रनाथ त्रिवेदी ने कहा कि अयोध्या में आयोजित होने वाली धर्मसंसद का महत्व कुछ अनावष्यक तत्वों द्वारा आतंक का वातावरण बनाकर कम किया जा रहा है। सत महंत का जीवन सम्पूर्ण समाज के लिए होता है जिसमें कोई धर्म अथवा सम्प्रदाय विषेष की चर्चा नहीं होती जबकि अयोध्या में ऐसा वातावरण बनाया जा रहा है कि दूसरे धर्म और सम्प्रदाय के लोग भयभीत हों। सम्पूर्ण समाज के प्रति मंगल कामना प्रत्येक संत का धर्म होता है। अयोध्या में मर्यादा पुरूषोत्तम भगवान राम का मंन्दिर बनाने में समाज के किसी भी वर्ग के किसी भी व्यक्ति को कोई आपत्ति नहीं है भारतीय जनता पार्टी ने स्वयं अपने लाभ के लिए राममन्दिर का मुददा बना रखा है यदि उसके द्वारा मन्दिर का निर्माण हो जाता है तो मुददा स्वतः खतम हो जाता है।
श्री त्रिवेदी ने कहा कि 6 दिसम्बर 1992 की घटना के फलस्वरूप उ0प्र0 का सामाजिक असंतुलन लगभग 10 वर्षो बाद समाप्त हो पाया और सभी धर्म और सम्प्रदाय के लोग पुनः आपस में घुलमिलकर रहने लगे। अब पुनः ऐसा डरावना वातावरण इसलिए बनाया जा रहा है कि धर्म संसद की आड लेकर कतिपय आसामाजिक तत्वों द्वारा सामाजिक सदभाव को पुनः समाप्त किया जाय और राजनीति की रोटियां सेंककर आने वाले लोकसभा चुनाव के लिए वोटों का ध्रुवीकरण किया जाय। समाज में इस दूषित वातावरण के प्रतिफल के रूप में जो कुछ घटित होगा उसका दोषी भारतीय जनता पार्टी द्वारा संत और महंतों को ठहराया जायेगा जबकि उसमें संत और महंतो की कोई भूमिका नहीं होगी क्योंकि संतो का सारा जीवन समाज और देष के कल्याण के लिए होता है।
रालोद प्रदेष प्रवक्ता ने कहा कि केन्द्र और प्रदेष दोनो में ही भारतीय जनता पार्टी की सरकारे हैं और अयोध्या में 14 कोसी परिक्रमा चल रही है जिसमें देष ही नहीं विष्व के कोने कोने से भक्तगण अपनी आस्था के साथ आते हैं। अयोध्या में कानून व्यवस्था के साथ साथ शान्ति व्यवस्था भी बनी रहे इसकी जिम्मेंदारी दोनो ही सरकारों की है। लाखों की भीड़ में असामाजिक तत्वों द्वारा किसी भी प्रकार की अनहोनी की आषंका से मुंह मोडकर बैठना उचित नहीं होगा।

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