एनडीए की चिंता छोड़ अपना घर संभाले राजद-कांग्रेस: राजीव रंजन

पटना: राजद-कांग्रेस पर पलटवार करते हुए भाजपा प्रदेश उपाध्यक्ष ने कहा कि अपने अपने राजकुमारों की पालकी ढ़ोते-ढ़ोते राजद-कांग्रेस के नेताओं की मतिशुन्यता इतनी बढ़ गयी है कि इन्हें दो लोकतांत्रिक दलों की वैचारिक बहस भी अपने कुनबे के घमासान सा प्रतीत होता है. सत्ता के लिए इनकी टपकती ल़ार अब घुटनों तक आ गयी है.

दरअसल वंशवाद की पट्टी आंखों पर बांधे हुए यह नेता बिना सवाल-जवाब किये हुक्म बजाने के आदि हैं. अपने दल में इन्हें सांस लेने के लिए भी युवराजों की अनुमति चाहिए होती है. इसीलिए इन्हें लोकतांत्रिक कार्यशैली का पता ही नहीं है. लाठी चलाने वाले इन बयानवीरों को यह पता ही नहीं कि वैचारिक बहसों से भी किसी निष्कर्ष पर पहुंचा जा सकता है.

उन्होंने कहा कि राजद-कांग्रेस मानसिक दिवालियापन के उस स्तर पर पहुंच चुके हैं, जहां इन्हें अपने घर में छिड़ा महायुद्ध दिखाई नहीं देता, लेकिन एनडीए का समान्य विमर्श भी इन्हें कलह दिखने लगता है. इनका गठबंधन ऐसा है जहां वरिष्ठ नेताओं को ‘एक लोटा पानी बताया जाता’ है. गठबंधन के साथी नेताओं को भक**र जैसे अपशब्दों से नवाजा जाता है, लेकिन फिर भी यह लोग अपमान में आनंदित होते रहते हैं. इन नेताओं को हमारी सलाह है कि पड़ोसी के घर में ताका-झांकी करने से पहले अपने गिरेबान में झांकें.

श्री रंजन ने कहा कि यह वही दल है जो अपने शासनकाल में दलितों-पिछड़ों का नरसंहार करवा कर ‘सामाजिक न्याय’ का ढ़ोल पीटते थे. भ्रष्टाचार को शिष्टाचार और अपहरण को उद्योग बना देने वाले यह लोग किसी के सगे नहीं है. चाहे वह बिहार की जनता हो या इनके अन्य सहयोगी दल, जिसने भी इनपर विश्वास किया है, उन्हें गद्दारी के अलावा कुछ और हाथ नहीं लगा. आज भी इनमें कोई बदलाव नहीं आया है. यह दल जान लें कि आसमान पर कीचड़ फेंकने से आसमान गंदा नहीं होता, उल्टे गंदगी अपने मुंह पर आ गिरती है.

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